COP 27: पर्यावरण सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र का मसौदा हुआ पेश, तेल व गैस की उपयोगिता को कम करने की है कोशिश
संयुक्त राष्ट्र के मसौदे में कोयले से पैदा की जाने वाली बिजली की मात्रा को कम करने और तेल व गैस की राशनिंग किए जाने के कदमों को प्रचलन में लाने के लिए कहा गया है। सदस्य देशों को ऐसा परिस्थितियों को देखते हुए करने के लिए कहा गया है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 17 Nov 2022 08:42 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। मिस्त्र के शर्म अल-शेख में हो रहे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन (सीओपी 27) में गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र ने पहला मसौदा पेश किया। इस मसौदे में तेल और गैस का चरणबद्ध तरीके से उपयोग बंद करने पर कुछ नहीं कहा गया है। दोनों प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग बंद करने का प्रस्ताव भारत का था जिसे यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों का समर्थन प्राप्त था। इन्हीं दोनों प्राकृतिक उत्पादों (तेल और गैस) के उपयोग से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।
संयुक्त राष्ट्र के मसौदे में कोयले से पैदा की जाने वाली बिजली की मात्रा को कम करने और तेल व गैस की राशनिंग किए जाने के कदमों को प्रचलन में लाने के लिए कहा गया है। सदस्य देशों को ऐसा परिस्थितियों को देखते हुए करने के लिए कहा गया है। कहा गया है कि उपयोग और आवश्यकता में संतुलन बनाकर पर्यावरण सुधार के लिए कदम उठाने हैं।
विकसशील देशों से विकसित देश मांग रहे हैं मदद
कुछ ऐसी ही बात 2021 में ग्लास्गो में हुए पर्यावरण सम्मेलन (सीओपी 26) में कही गई थी। इस बारे में फिलहाल भारतीय पर्यावरण मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की है। कहा है कि पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा का दौर अभी जारी है, इसलिए कुछ कहना जल्दबाजी होगी। विदित हो कि पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भारतीय दल सम्मेलन में भाग ले रहा है।सम्मेलन में भाग ले रहे विकासशील और गरीब देशों ने पर्यावरण सुधार के कार्यों के लिए विकसित देशों से आर्थिक सहायता की मांग की है। विकसित देशों ने 2009 में 2020 से 100 अरब डालर प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। लेकिन उसके दो साल बाद भी विकसित देशों ने सहायता शुरू नहीं की और न ही उसे निकट भविष्य में देने का उन्होंने इरादा जाहिर किया है।
हर संभव तरीके से वायुमंडल का तापमान कम करने की है कोशिश
भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने इस पूर्व घोषणा को पूरा करने की मांग की है। कहा है कि संपन्न राष्ट्रों ने ही पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है और अमेरिका अभी भी सबसे ज्यादा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के मसौदे में पेरिस समझौते के प्रविधानों के अनुसार पर्यावरण सुधार के हर उपाय पर जोर दिया गया है। कहा गया है कि हर संभव तरीके से वायुमंडल का तापमान कम किया जाए, इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस के नजदीक रखने की कोशिश की जाए। 20 पेज का यह मसौदा 8,400 शब्दों का है।
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