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Corona Effect: छत्तीसगढ़ में 500 निजी स्कूल बंद, एक लाख छात्रों का भविष्य अधर में

राज्य में ज्यादातर निजी स्कूल किराए के भवन में चल रहे थे। किराया नहीं दे पाने के कारण उनको स्कूल बंद करना पड़ा है। प्रदेश के 29 जिलों में कुल 57 हजार निजी-सरकारी स्कूलों में 60 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 08 Jun 2021 08:14 PM (IST)
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किराया नहीं दे पाने के कारण उनको स्कूल बंद करना पड़ा है।

संदीप तिवारी, रायपुर। फीस नहीं मिलने और छात्रों की संख्या घटने के कारण छत्तीसगढ़ में 500 निजी स्कूलों में ताले लग चुके हैं। प्रबंधकों ने शिक्षा विभाग को विधिवत स्कूलबंद करने की सूचना दी है। इसके कारण इन स्कूलों में पढ़ने वाले करीब एक लाख बच्चों की शिक्षा अधर लटक गई है। साथ ही शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निशुल्क पढ़ने वाले करीब 20 हजार बच्चे भी मुफ्त शिक्षा से वंचित हो गए हैं। अकेले राजधानी में 35 निजी स्कूलों के बंद होने का परिणाम यह रहा कि सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 40 सीटों पर दाखिले के लिए डेढ़ हजार आवेदन पहुंचे हैं।

स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षा विभाग को विधिवत बंद करने की दी सूचना

राज्य में ज्यादातर निजी स्कूल किराए के भवन में चल रहे थे। किराया नहीं दे पाने के कारण उनको स्कूल बंद करना पड़ा है। देश के अन्य राज्यों में भी स्कूलों के बंद होने की सूचना है। प्रदेश के 29 जिलों में कुल 57 हजार निजी-सरकारी स्कूलों में 60 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें अकेले छह हजार 615 निजी स्कूल हैं, जहां 15 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इनमें 25 फीसद सीटों पर आरटीई के तहत तीन लाख एक हजार 317 बच्चे अध्ययनरत हैं।

आरटीई के लिए होती है प्रतिपूर्ति राशि

आरटीई के तहत राज्य सरकार प्राइमरी के प्रति शिक्षकों के हिसाब से सात हजार रुपये और अपर प्राइमरी के प्रति शिक्षकों के हिसाब से 11 हजार रुपये प्रति वर्ष वहन करती है।

स्कूल प्रबंधक की मौत के बाद स्कूल बंद

रायपुर के सरोरा में एक निजी स्कूल के संचालक की मौत के बाद स्कूल को संभालने वाला ही कोई नहीं था। निजी स्कूल बंद होने से सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 40 सीटों पर दाखिले के लिए डेढ़ हजार आवेदन पहुंच चुके हैं। वहीं रायपुर डीईओ एएन बंजारा ने कहा कि बंद हुए स्कूलों के बच्चों का दाखिला सुनिश्चित करा रहे हैं।

आरटीई के तहत नहीं हो पा रहा दूसरे जगह पर दाखिला

11 मई 2021 को धमतरी शहर में एक निजी स्कूल के बंद होने के बाद शहर के रामसागरपारा वार्ड निवासी कोमल रजक समेत कुछ अन्य अभिभावक कलेक्टरेट पहुंचे। उन्होने आरटीई के तहत अन्य स्कूल में दाखिला करवाने के लिए आवेदन लगाया है, लेकिन दूसरे स्कूल में दाखिला नहीं हो पाया।

स्कूलों का तर्क, अभिभावक नहीं दे पा रहे फीस

दुर्ग में साल 2019-20 और 2020-21 में 49 निजी स्कूल बंद हो चुके हैं। प्रबंधकों का तर्क है कि कोरोना काल में अभिभावकों की नौकरी छूट गई तो फीस नहीं जमा कर पा रहे हैं, ऐसे में स्कूल के शिक्षकों को वेतन देना मुश्किल हो रहा है। दुर्ग के डीईओ प्रवास सिंह बघेल ने कहा कि सभी बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करेंगे।

रायपुर के छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन से जुड़े राजीव गुप्ता ने बताया कि कोरोना के कारण अभिभावक फीस जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में स्कूल बंद करना पड़ रहा है। आरटीई के तहत इन स्कूलों में मुफ्त पढ़ने वाले बच्चों का प्रभावित होना स्वाभाविक है।

स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने कहा कि जो स्कूल बंद हुए हैं और जिन बच्चों का दाखिला दूसरे स्कूलों में नहीं हो पा रहा है, उनकी जानकारी देंगे तो हम उनका दाखिला करवा देंगे।

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष किस्टोफर पाल ने कहा कि जो स्कूल बंद हो गए हैं उनमें आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों को दूसरे स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई करवाने के लिए दाखिला दिलाना चाहिए, अभिभावक भटक रहे हैं।

मंत्री बोले- हम कराएंगे दाखिला

स्कूल शिक्षा मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि जिन बच्चों के स्कूल बंद हो गए हैं, उनके दाखिला की व्यवस्था सरकार की ओर करवाई जाएगी। ऐसे बच्चों का दाखिला हम करवाएंगे। साथ ही आरटीई के बच्चों को दूसरे निजी स्कूल में दाखिल कराने पर विचार करेंगे।