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COVID-19 JN.1: देश में फिर डरा रहे कोरोना के आंकड़े! JN.1 वेरिएंट के कुल मामलों की संख्या 1000 के पार

COVID-19 JN.1 देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट जेएन.1 अब रफ्तार पकड़ रहा है। शुक्रवार को दर्ज हुए ताजा मामले के बाद देश में कुल मामलों की संख्या 1000 के पार हो गया। अब तक 16 से अधिक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में जेएन.1 के मामले दर्ज हो चुके हैं। कर्नाटक में सबसे अधिक 214 मामले दर्ज हुए हैं।

By Agency Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Fri, 12 Jan 2024 03:50 PM (IST)
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देश में तेजी से बढ़ रहे जेएन.1 के मामले। (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट जेएन.1 अब रफ्तार पकड़ रहा है। शुक्रवार को दर्ज हुए ताजा मामलों के बाद देश में कुल मरीजों की संख्या 1000 के पार हो गया। अब तक 16 से अधिक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में जेएन.1 के मामले दर्ज हो चुके हैं।

सबसे अधिक कर्नाटक में जेएन.1 के मामले दर्ज

SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) द्वारा के आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में सबसे अधिक 214 मामले दर्ज हुए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 170, केरल में 154, आंध्र प्रदेश में 189, गुजरात में 76 और गोवा में 66 मामले सामने आए हैं।

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किन राज्यों में मिले नए वेरिएंट के मामले?

वहीं, तेलंगाना और राजस्थान में 32-32 जेएन.1 के मामले मिले हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 25, तमिलनाडु में 22, दिल्ली में 16, उत्तर प्रदेश में 6, हरियाणा में पांच, ओडिशा में तीन, पश्चिम बंगाल में दो और उत्तराखंड में एक मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि अब तक 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जेएन.1 के कुल 1,013 मरीज मिले हैं।

केंद्र ने राज्य सरकारों को दी सलाह

देश में नए मामलों में वृद्धि को देखते हुए सभी राज्यों को लगातार निगरानी बनाए रखने के लिए कहा गया है, ताकि किसी भी खतरे से निपटा जा सके। केंद्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें।

इसके अलावा इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) पर भी नजर रखने के लिए कहा गया है। केंद्र ने सभी राज्यों से जिलेवार मामलों की निगरानी के लिए कहा है।

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जेएन.1 वेरिएंट को अगर प्रकार के रूप में चिह्नित किया है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने इसे कम जोखिम के श्रेणी में रखा है।

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