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सितंबर में शुरू होगी देशभर के पशुओं की गिनती, सवा दो सौ नस्लों की गणना करेंगे 1 लाख कर्मचारी; जानिए क्यों है जरूरी

Livestock Census in India देश में 21वीं पशुधन गणना सितंबर माह में शुरू की जाएगी एवं दिसंबर तक चलेगी। इस दौरान देशभर के 212 नस्लों के पशुओं की गिनती की जाएगी। तकरीबन 1 लाख केंद्रीय एवं राज्यीय कर्मचारी ये गणना करेंगे। जानिए क्यों कराई जाती है ये गणना और क्या है इसकी अहमियत। साथ ही पढ़िए पिछली गणना से जुड़े आंकड़े।

By Arvind Sharma Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 20 Jul 2024 09:03 PM (IST)
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देश में प्रत्येक पांच वर्षों के में पशुधन एवं पोल्ट्री पक्षियों की गिनती की जाती है। (File Image)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। देश में पशुधन गणना की तैयारी आगे बढ़ चुकी है। गिनती में इस बार लगभग सवा दो सौ तरह की पशुधन प्रजातियों को शामिल किया जा रहा है। पिछली बार यह संख्या 184 थी। देश में वर्ष 1919-20 से प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल पर पशुधन एवं पोल्ट्री पक्षियों की गिनती की जाती है।

इस बार 21वीं गणना है, जिसमें पहली बार सभी नस्लों की सटीक और समुचित पहचान के साथ गिनती होनी है। गिनती से प्राप्त आंकड़े पशुधन के जरिए देश के आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होंगे। खाद्य सुरक्षा के लिए भी पशुधन को अनिवार्य बताया जाता है।

एक लाख कर्मचारी करेंगे गिनती

इस वर्ष सितंबर से दिसंबर के दौरान होने वाले पशुगणना कार्य में केंद्र एवं राज्यों के करीब एक लाख कर्मचारी लगाए जाएंगे, जिनमें पशु चिकित्सक भी शामिल होंगे। राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) ने निबंधन के आधार पर पशुधन गणना में शामिल होने वाली प्रजातियों की कुल संख्या 212 बताई है।

सितंबर से दिसंबर के बीच होगी गणना

पिछली बार 19 प्रजातियों की 184 मान्यता प्राप्त देसी-विदेशी एवं संकर नस्लों की पहचान की गई थी, जिनकी कुल संख्या लगभग 53.68 करोड़ थी। पूरे देश में एक साथ इसी वर्ष सितंबर से दिसंबर के बीच पशुओं की गणना कराई जाएगी। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात एवं अरुणाचल को पायलट सर्वे के लिए चुना गया है।

पशुपालन मंत्रालय की ओर से विभिन्न राज्यों के नोडल पदाधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में गणना से संबंधित साफ्टवेयर एवं पशु नस्लों की सटीक पहचान का तरीका बताया जा रहा है। बाद में यही अपने-अपने जिलों में पशुगणना कार्य में लगने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेंगे।

कैसे की जाती है गणना?

पशुगणना में सभी घरों, उद्यमों एवं संस्थानों में पशुओं की नस्ल वार गिनती की जाती है। 2019 में गिनती के दौरान पहली बार टैबलेट का प्रयोग किया गया था। पहली बार एंड्राइड एप के जरिए गिनती के कारण नस्लों की सटीक पहचान में त्रुटि आ गई थी। अबकी सटीक गिनती पर ज्यादा जोर है, क्योंकि पशुधन क्षेत्र के सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसे जरूरी बताया जा रहा है।

गणना क्यों जरूरी?

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन की बड़ी भूमिका है। समग्र विकास दर का लगभग 7.93 प्रतिशत है। बाजार का आकार 15.63 लाख करोड़ रुपये है। इसलिए विभिन्न नस्लों की जानकारी जरूरी है, क्योंकि इससे नीति निर्माताओं, कृषि विशेषज्ञों, व्यापारियों, उद्यमियों एवं डेयरी उद्योगों को मदद मिलती है।

गिनती से कुछ ऐसे निष्कर्ष उभर कर आते हैं, जिससे पशुओं की विभिन्न नस्लों की संख्या के साथ इनकी स्थिति का भी पता चलता है। इससे उनके उत्पाद एवं अन्य उद्देश्यों के लिए उन्हें आनुवंशिक रूप से उन्नत करने में भी मदद मिलती है।

इनकी होगी गिनती

पशुधन गणना डोर-टू-डोर फील्ड ऑपरेशन है, जिसमें प्रत्येक घर से पशुधन संबंधी डाटा एकत्र किया जाता है और देश की कुल पशुधन संपदा का आकलन करने के लिए पालतू जानवरों और पक्षियों की वास्तविक गणना की जाती है। गणना सभी गांवों एवं शहरी वार्डों में की जाएगी।

घरों एवं उद्यमों में मौजूद पशुओं की प्रजातियां जैसे भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, घोड़ा, गधा, टट्टू, खच्चर, सुअर, कुत्ता, ऊंट, खरगोश एवं हाथी की नस्लों को गिना जाएगा। इसके अलावा पोल्ट्री पक्षी जैसे मुर्गी एवं बत्तख के साथ-साथ अन्य पोल्ट्री पक्षियों की गणना उनके वास स्थान पर, उम्र, लिंग एवं नस्ल के अनुसार की जाएगी।