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लोकल से ग्लोबल की राह पर बढ़ चला 'भारत', G-20 सम्मेलन में हर तरफ दिखी इसकी झलक...

भारत का लोकल से ग्लोबल तक पहुंचने का सफर शुरू हो गया है। जी20 शिखर सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के टेबल पर भारत के नेम प्लेट ने इस कवायद को हवा दे दी है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत शब्द का प्रयोग होने की उम्मीद है। पहले भी संयुक्त राष्ट्र ने देश के नाम बदलने के आवेदन को स्वीकार किया है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Mon, 11 Sep 2023 05:25 PM (IST)
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'भारत' का लोकल से ग्लोबल तक जाने का सफर शुरू
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। देश में जहां अभी भी भारत या इंडिया को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है, वहीं 'भारत' नाम को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने की शुरुआत हो चुकी है। इसकी पहली झलक नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में देखने को मिल चुकी है, जहां बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखे गए नेम प्लेट पर पहली बार 'इंडिया' की जगह 'भारत' लिखा देखने को मिला है।

दरअसल, देश के नाम को लेकर विवाद तब छिड़ा, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जी20 डिनर के लिए निमंत्रण पत्र भेजा। दरअसल, उस निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा हुआ था।

अटकलें हुईं तेज

जहां जी20 शिखर सम्मेलन में हर जगह देश को 'इंडिया' की जगह 'भारत' से संबोधित किया गया, उससे अटकलें तेज हो गई हैं कि अब सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी 'भारत' के प्रयोग पर बात आगे बढ़ने वाली है। हालांकि, इसकी कुछ औपचारिकताएं होती हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद नाम में बदलाव हो जाएगा।

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आसानी से बदल सकता है नाम

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के प्रमुख प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा है कि किसी भी देश के नाम में बदलाव किया जा सकता है, उसके लिए कोई खास प्रावधान नहीं है। कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद आसानी से नाम में बदलाव किया जा सकता है, इसमें कोई दिक्कत नहीं आती है।

हाल ही में बदला तुर्किये का नाम

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मंच पर तुर्किये के नाम में बदलाव किया गया है। अब तक तुर्किये के लिए तुर्की शब्द का इस्तेमाल होता था, लेकिन जब देश का नाम बदला, तो इसके लिए आवेदन किया गया था। संयुक्त राष्ट्र में आवेदन कर तुर्की को तुर्किये करने के लिए कहा गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद देश को संयुक्त राष्ट्र मंच से तुर्किये की पहचान मिली।

जी20 शिखर सम्मेलन में दिखी भारतीय संस्कृति की झलक

नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में भारतीयता का गौरवपूर्ण प्रदर्शन भी देखने को मिला है। इस पूरे शिखर सम्मेलन के दौरान हर एक मौके पर भारत के इतिहास की झलक देखने को मिली है। जिससे कहा जा सकता है कि देश की समृद्धि को पुरानी पहचान दिलाने की कवायद कई हद तक तेज हो गई है।

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कोणार्क सूर्य मंदिर बना केंद्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए विश्व नेताओं का भारत मंडपम में स्वागत किया। जिस जगह पर खड़े होकर पीएम मोदी सभी विदेशी मेहमानों का स्वागत कर रहे थे, उसके पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर का पोस्टर लगा था। इसके जरिए विदेशी मेहमानों को भारत की समृद्ध विरासत से मिलाने की कोशिश की गई।

इतना ही नहीं, इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को इस मंदिर के बारे में बताते हुए देखा गया था, यानी भारत की इस पहचान और समृद्धता से विदेशी मेहमानों भारत का संदेश भी भेजा गया था।

किसका प्रतीक है कोणार्क सूर्य मंदिर?

गौरतलब है कि इस शिखर सम्मेलन में 13वीं सदी के ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर को प्रदर्शित किया गया था। इस कोणार्क चक्र को गति, समय, विकास और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। दरअसल, इस कोणार्क मंदिर के वास्तुकारों ने यूं ही इस मंदिर का ढांचा खड़ा नहीं किया था, बल्कि धूपघड़ी बनाने के लिए कई जटिल गणनाओं का प्रयोग किया था, ताकि पृथ्वी के साथ सूर्य, चंद्रमा और सितारों की गतिविधियों का पता लगाया जा सके।

जी20 में विश्व नेताओं के समक्ष इसकी प्रस्तुति से संदेश दिया गया है कि भारतीय विज्ञान पुरातन समय से ही समृद्ध रहा है और आज भी कोणार्क चक्र पूरे साल के सूर्य की गति का पता लगाने में सक्षम है।

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नालंदा विश्वविद्यालय की झलक दिखी

कोणार्क सूर्य मंदिर के अलावा, इस मंच पर नालंदा विश्वविद्यालय की झलक भी प्रदर्शित की गई। दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा जी20 में शामिल हुए मेहमानों के लिए भारत मंडपम में रात्रिभोज का आयोजन किया गया था। इस दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मु जिस जगह खड़े होकर विदेशी मेहमानों का स्वागत कर रहे थे, वहां पृष्ठभूमि में बिहार का प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय दिख रहा था।

यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल 

इस दौरान भी पीएम मोदी ने जो बाइडन और ऋषि सुनक समेत कई वैश्विक नेताओं को इस विश्वविद्यालय का महत्व बताया। गौरतलब है कि इस विश्वविद्यालय की विरासत बौद्ध और महावीर के युग से चली आ रही है। आज भी एक खूबसूरत और संपूर्ण विश्वविद्यालय के भग्नावशेष देखने को मिल जाती है। नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।

विदेशी मेहमानों के परिधान में दिखी झलक

इन विरासतों के अलावा, वैश्विक स्तर पर भारत को पहचान मिलने का एक और संकेत जी20 शिखर सम्मेलन में देखने को मिली। दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जी20 डिनर का आयोजन किया था, जिसमें विदेशी मेहमानों की पत्नियों को भारतीय परिधान में देखा गया। इसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस रात्रिभोज में शामिल होने के लिए जापान के राष्ट्रपति फुमियो किशिदा की पत्नी यूको किशिदा को हरे और गुलाबी रंग की साड़ी में देखा गया था।

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साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जिया को बैंगनी सूट और सुनहरे रंग के दुपट्टे में देखा गया था। इसके अलावा, मॉरिशियस के पीएम की पत्नी भी ऑफ व्हाइट रंग की साड़ी में पहुंची थी। इस कार्यक्रम के लिए ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक की पत्नी भी इंडो-वेस्टर्न लुक में देखी गई थी।

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देसी जायके के दीवाने हुए विदेशी मेहमान

इस डिनर नाइट में ज्यादातर व्यंजन भारतीय थे। सभी विदेशी मेहमानों को यह देसी जायका काफी लजीज लगा था। सभी विदेशी मेहमानों ने इन देसी व्यंजनों को काफी सराहा था। इस रात्रिभोज में बिहार के लिट्टी-चोखा, राजस्थान के दाल-बाटी चूरमा, गुजरात के थेपले से लेकर केरल के इडली-डोसा का शानदार स्वाद चखने का मौका विदेशी मेहमानों को दिया गया था।