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Itanagar: साली ने जीजा पर लगाया दुष्कर्म का झूठा आरोप, कोर्ट ने पत्नी को भेजा जेल; 20 हजार का जुर्माना भी ठोका

Arunachal Pradesh News एक अदालत ने महिला को अपनी छोटी बहन की मदद से पति के खिलाफ दुष्कर्म की झूठी शिकायत दर्ज कराने के आरोप में 20 हजार रुपये का जुर्माना और एक महीने की जेल की सजा सुनाई है। हालांकि आरोपी महिला के वकील का कहना है कि महिला घरेलू हिंसा का शिकार थी और पुलिस से कई बार मदद मांगने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Fri, 28 Jul 2023 12:19 PM (IST)
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पति के खिलाफ दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज कराने वाली महिला को कोर्ट ने सुनाई सजा
ईटानगर, पीटीआई। अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग जिले की एक अदालत ने एक महिला को एक महीने की जेल की सजा सुनाई है। साथ ही, कोर्ट ने आरोपी महिला पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल, आरोपी महिला ने अपनी छोटी बहन पर दबाव डाला की वो आरोपी महिला के पति के खिलाफ दुष्कर्म की झूठी शिकायत दर्ज कराए।

महिला पर लगा जुर्माना और सुनाई गई जेल की सजा

पासीघाट में विशेष न्यायाधीश तागेंग पडोह की POCSO अदालत ने गुरुवार को एक महिला पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उसे एक महीने जेल की सजा भी सुनाई है, जबकि उसकी बहन को सजा नहीं सुनाई गई, क्योंकि वह नाबालिग है और अधिनियम के तहत संरक्षित है।

घरेलू हिंसा की शिकार थी महिला

न्यायाधीश ने कहा, "कानून का उद्देश्य बहुत स्पष्ट है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम का किसी भी व्यक्ति द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।" दोषी के बचाव पक्ष के वकील ने नरमी बरतने की प्रार्थना करते हुए कहा कि उसके पति द्वारा कथित घरेलू हिंसा पर बार-बार पुलिस में शिकायत करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलने पर उसने यह कदम उठाया।

झूठे मामले दर्ज कराने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई

इस महीने की शुरुआत में शख्स की साली ने झूठा दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। POCSO अधिनियम के विशेष लोक अभियोजक संजय ताये ने कहा कि सजा देने में कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए, क्योंकि इससे एक गलत संदेश जाएगा और लक्षित व्यक्तियों के खिलाफ कष्टप्रद और झूठे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी।

छोटी बहन को नहीं हुई सजा

दोषी महिला की सह-अभियुक्त बहन को सजा नहीं दी गई, क्योंकि वह नाबालिग है और अधिनियम के तहत किए गए किसी भी अपराध के लिए किसी भी बच्चे को कानून के तहत संरक्षित किया गया है। कोर्ट ने कहा, "दोषी के पास घरेलू हिंसा से निपटने के लिए एक वैकल्पिक उपाय था, लेकिन उसने इसका सहारा नहीं लिया।"

कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश

एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ अपराध का संज्ञान लेने के लिए आरोपी द्वारा कानून और निष्पादन एजेंसी के अधिकार को गुमराह किया गया और दुरुपयोग किया गया, जो कि POCSO अधिनियम को कानून बनाने का उद्देश्य नहीं था। पदोह ने फैसला सुनाते हुए कहा, "अधिनियम की धारा 22 के प्रावधान को अधिनियम का दुरुपयोग करने का इरादा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए निवारक के रूप में शामिल किया गया है।"