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Oxygen Plant: कोरोना काल में संजीवनी बने आक्सीजन प्लांट्स कई प्रदेशों में हुए बंद, जानें पड़ताल करती रिपोर्ट

देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच राज्यों में आक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। कमजोर होती महामारी के बीच राज्यों में भारी भरकम लागत से बनाए गए आक्सीजन प्लांट में से अधिकांश सांसों का संकट झेल रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 27 Jul 2022 10:42 PM (IST)
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आक्सीजन प्लांट में से अधिकांश 'सांसों' का संकट झेल रहे हैं

 जागरण टीम, नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच राज्यों में आक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। गंभीर मरीजों के लिए ये प्लांट सहायक सिद्ध हुए थे। कमजोर होती महामारी के बीच राज्यों में भारी भरकम लागत से बनाए गए आक्सीजन प्लांट में से अधिकांश 'सांसों' का संकट झेल रहे हैं। कहीं रखरखाव की कमी वजह है तो कहीं खराबी ठीक न होने की समस्या है। इस मुद्दे की पड़ताल करती रिपोर्ट:

  • हिमाचल: 49 में 10 ही कर रहे काम

-प्रदेश में कुल 49 आक्सीजन प्लांट हैं। इनमें कोरोना काल के दौरान 40 स्थापित हुए। 10 चल रहे हैं, बाकी बंद हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जहां जरूरत नहीं, वहां प्लांट नहीं चलाए जा रहे हैं। दो दर्जन स्वास्थ्य संस्थानों में आक्सीजन प्लांट चलाने के लिए आपरेटर ही नहीं हैं।

  • हरियाणा: अधिकतर प्लांट बंद

- करनाल के दो प्लांट आक्सीजन की आपूर्ति कर रहे हैं जबकि तीन में काम अधूरा है। जींद के दो प्लांट को सप्ताह में एक दिन चालू करके देखा जाता है। फतेहाबाद में तीन आक्सीजन प्लांट लगे थे, लेकिन एक का भी उपयोग नहीं हुआ है। कैथल का प्लांट दो बार खराब हो चुका है। यमुनानगर के सभी चार प्लांट बंद पड़े हैं। बहादुरगढ़ के सिविल अस्पताल के प्लांट में तो बिजली आपूर्ति ही नहीं है। कुरुक्षेत्र जिले के तीन में से एक प्लांट चालू नहीं हो पाया है।

  • पंजाब: 89 में 17 हुए खराब

- अमृतसर सहित पंजाब के अन्य जिलों में 89 आक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। इनमें से 17 प्लांट खराब हो चुके हैं। सिविल अस्पताल फरीदकोट व श्री गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कालेज में लगे तीन में से दो प्लांट खराब हैं। कोटकपूरा, अबोहर, फगवाड़ा में लगे प्लांट में कोई न कोई खराबी है। लुधियाना के वर्धमान स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगे आक्सीजन प्लांट में उत्पादन नहीं हो रहा। गुरदासपुर के धारीवाल स्वास्थ्य केंद्र में लगे प्लांट के लिए विद्युत आपूर्ति नियमित नहीं है। मोगा, अबोहर, श्री मुक्तसर साहिब के प्लांट भी खराब हैं। संगरूर में पीएम केयर फंड से लगे आक्सीजन प्लांट का कंप्रेसर खराब है।

  • झारखंड: अब कई अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट की जरूरत नहीं

- झारखंड में कुल 72 प्रेशर स्विंग एब्सा‌र्ब्शन (पीएसए) प्लांट लगाए गए थे, जिनमें 38 पीएम केयर फंड तथा 34 अन्य स्त्रोतों से प्राप्त राशि से लगाए गए। इन प्लांट का गिने-चुने मेडिकल कालेज व सदर अस्पतालों में उपयोग हो रहा है। कई अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में गंभीर मरीज न होने के कारण प्लांट की जरूरत नहीं पड़ रही है। कई जगहों पर प्लांट को बीच-बीच में केवल इसलिए चालू किया जाता है, ताकि वह खराब न हो।

  • मेरठ में गले की फांस बने प्लांट

-भारी भरकम बिजली बिल और रखरखाव में आने वाले खर्च की वजह से कई प्लांट बंद हैं। मेडिकल कालेज समेत सात सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे आक्सीजन प्लांट सप्ताह में सिर्फ एक दिन चलाए जा रहे हैं। मेरठ में प्राइवेट अस्पतालों में 13 और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में 14 प्लांट लगाए गए थे। फिटनेस के लिए आक्सीजन प्लांट प्रतिदिन चलना चाहिए, लेकिन माह भर में एक लाख रुपये तक बिजली बिल आने की वजह से अब सप्ताह में एक बार चलाए जा रहे हैं।