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Covishield: कोविशील्ड लेने वाले पूरी तरह सुरक्षित, डरने की जरूरत नहीं; ICMR के पूर्व महानिदेशक ने बताई सच्चाई

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी लंदन की एंस्ट्राजेनेका के बयान के बाद भारत में भी विवादों का पिटारा खुल गया है और सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले खतरे की जद में है। जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड लेने वाले पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Wed, 01 May 2024 11:45 PM (IST)
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आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि कोविशील्ड लेने वाले पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी लंदन की एंस्ट्राजेनेका के बयान के बाद भारत में भी विवादों का पिटारा खुल गया है और सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले खतरे की जद में है। जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड लेने वाले पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।

आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों को आश्वस्त करते हुए कहा, इसका साइड इफेक्ट वैक्सीन लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। जबकि भारत में वैक्सीन दो-ढाई साल पहले लग चुकी है। ध्यान देने की बात है कि कोविशील्ड वैक्सीन का विकसित करने वाली एस्ट्राजेनेका ने लंदन की अदालत के सामने स्वीकार किया है कि इसके लगाने वालों को दुर्लभ मामलों में खून का थक्का जमने का खतरा (थ्रोम्बोसिसि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम - टीटीएस) का खतरा हो सकता है।

कोविड के बाद ऐसे कुछ मामले आए थे जिसमें युवाओं की भी एकबारगी दिल की धड़कने रुक रही थीं। इसे कोविड से जोड़ा जा रहा था। कोरोना काल में आईसीएमआर के महानिदेशक के रूप में वैक्सीन के विकास और उसके दुष्प्रभावों की जांच की निगरानी में करीब से जुड़े डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कोविशील्ड लेने के बाद टीटीएस या किसी अन्य तरह का साइड इफेक्ट का खतरा अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है, वो भी दुर्लभ मामलों में ही।

उनके अनुसार भारत में कोविशील्ड के 180 करोड़ डोज लगाए गए हैं। लेकिन लगभग नगण्य मामलों में ही इसके साइड इफेक्ट देखे गए और वो भी सामान्य उपचार से ठीक भी हो गए। उन्होंने साफ किया कि वैक्सीन लगाने के दो-ढाई साल बाद इसके साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं है। जबकि भारत में टीकाकरण की निगरानी की सर्वोच्च संस्था नेशनल टेक्नीकल एडवायजरी ग्रुप ऑफ इंडिया (एनटागी) से जुड़े एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि टीटीएस एक दुर्लभ बीमारी है। लेकिन भारत समेत दक्षिण एशिया के लोगों में यह और भी कम पाई जाती है।

उनके अनुसार यूरोप के लोगों की तुलना में एशिया के लोगों में इस बीमारी के होने का खतरा दसवां हिस्सा होता है। एस्ट्राजेनेका ने लंदन की अदालत में यूरोपीय लोगों में कोविशील्ड लगाने के बाद दुर्लभ मामलों में टीटीएस के खतरे की बात स्वीकारी है, जो भारत की परिस्थियों में लागू नहीं होता।

उन्होंने कहा कि कोरोना टीका लगाने के बाद निगरानी के दौरान भी इस तथ्य की पुष्टि हो चुकी है। वैक्सीन लगाने के बाद कितने समय तक कोरोना से सुरक्षित होने के बारे में पूछे जाने पर आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि अब कोरोना से पूरा देश सुरक्षित है और इसके लिए नया वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं है।