सबसे बड़े गौ अभयारण में रोज मर रहीं गायें, पशुपालन विभाग बचाव में उतरा
गायों की मौत का सच सामने आने लगा तो पशुपालन विभाग बचाव में लग गया है। इस पर कलेक्टर अजय गुप्ता से दूरभाष पर चर्चा की तो बोले- किसने कहा कि गायों की मौत हो रही है।
सुसनेर, नईदुनिया। देश के पहले गौ अभयारण्य सालरिया में प्रतिदिन 8-10 गायें मर रही हैं। हालांकि इनकी देखभाल के लिए 7 चौकीदार और 85 कर्मचारी तैनात हैं। एक अधिकारी के साथ 9 पशु चिकित्सक भी पदस्थ हैं। प्रति गाय 4 किलो के मान से 18 हजार 772 किलो भूसा दिया जाना होता है। इतना होने के बाद भी प्रतिदिन गायों की मौत जांच का विषय है।
गायों के इस प्रकार प्रतिदिन मरने की खबर ग्रामीणों ने वरिष्ठ अधिकारियों को दी तो सुसनेर तहसीलदार सुनील जायसवाल अभयारण्य पहुंचे। तब वहां मौजूद अधिकारियों ने तहसीलदार को वास्तविक स्थिति से दूर रखा। जब मीडिया ने सभी शेड देखे तो नजारा कुछ और था। यहां टीन शेडों के पीछे घने जंगल में जेसीबी से करीब दो किमी लंबी खाई बनवाकर मृत गायों को बिना पोस्टमार्टम के दफनाया जा रहा है। अलग-अलग दूरी पर करीब 100 गड्ढों में गायों को दफनाया जा रहा है और करीब 10-12 फीट के गड्ढों में दर्जनों मरी गायों को दफनाया जा रहा था।
उपस्थित पशु चिकित्सक राजीव खरे का कहना था कि हम सभी गायों की देखरेख करते हैं। उनका इलाज भी करते हैं, बीमारी से मरने वाली गायों का पोस्टमार्टम करते हैं। आगर मालवा जिले के लिए 2012 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सालरिया में गौ अभयारण्य का भूमिपूजन किया था। 27 सितंबर 2017 को अभयारण्य का शुभारंभ किया था। तब यहां 7520 गाय थीं। अक्टूबर में 4158, नवंबर में 4272, दिसंबर में 4693 गाय दर्ज की गई।
गायों की मौत का सच सामने आने लगा तो पशुपालन विभाग बचाव में लग गया है। इस पर कलेक्टर अजय गुप्ता से दूरभाष पर चर्चा की तो बोले- किसने कहा कि गायों की मौत हो रही है। तब उन्हें बताया कि वहां की स्थिति के वीडियो और फोटो हमारे पास हैं। वहीं डॉ. एसवी कौसरवाल, उपसंचालक पशुपालन विभाग/गौ-अभयारण्य ने कहा कि वृद्ध व बीमार गाय सर्दी और पॉलीथिन खाने के कारण मरती रहती हैं।
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