जल, भोजन और ऊर्जा पर संकट! प्रदूषण से निपटने के लिए क्या एक होंगे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश?
कॉप-29 में स्पेन नीदरलैंड कनाडा जर्मनी फ्रांस केन्या कोलंबिया और यूरोपीय संघ जैसे देशों के गठबंधन ने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खरबों डॉलर की सख्त जरूरत है। यह बयान तब सामने आया है जब कई देश एक नए जलवायु वित्त पैकेज के मसौदे को पेश किए जाने के बाद कॉप-29 में इस पर मोहर लगाए जाने से नाराज हैं।
पीटीआई, बाकू। भारत ने प्रदूषण को सीमा के आरपार वाला मुद्दा बताते हुए पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से इस पर सक्रिय और संयुक्त रूप से कदम उठाने का सख्त आग्रह किया है। यह अपील तब आई है जब उत्तरी भारत में प्रदूषण बढ़ रहा है और राजधानी नई दिल्ली में बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 418 पर पहुंचकर इस मौसम के सबसे गंभीर स्तर पर पहुंच गया।
वायु प्रदूषण कई देशों के लिए चुनौती
अजरबैजान में जारी संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन कॉप-29 में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे द्वारा बुलाई गई बैठक में दुनिया के सबसे ऊंचे क्रायोस्फीयर जोन को साझा करने वाले आठ में से छह देशों के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और मंत्रियों ने शिरकत की। बैठक में भारत ने सिंधु-गंगा मैदानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले वायु प्रदूषण को इन राष्ट्रों के बीच आपसी चुनौती और दबाव डालने वाला बताया।
पर्यावरण एवं वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव नरेश पाल गंगवार ने कहा, 'हमारे अधिकांश देश एक ही वायुक्षेत्र (सिंधु-गंगा मैदानी वायुक्षेत्र) के नीचे आते हैं। यह मुद्दा सीमा से परे है। सभी देशों को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा।'
संयुक्त कदम उठाने का आग्रह
उन्होंने विशेषकर पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत बाकी देशों से सीमा के आरपार मौजूद प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए कड़े, सक्रिय और संयुक्त कदम उठाने का सख्त आग्रह किया। इस माह की शुरुआत में लाहौर की बिगड़ती वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी और पाकिस्तान ने इसके लिए भारत से आने वाली हवा को दोषी ठहराया था।