Modi Government: देश में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से आए बाहर, यूपी-बिहार और मध्यप्रदेश के आंकड़े दे रहे गवाही
Multidimensional Poverty Index सोमवार को नीति आयोग की तरफ से मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इन इंडिया (Multidimensional Poverty In India) पर जारी दस्तावेज में इस बात की जानकारी दी गई। मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) की वैश्विक मान्यता है और इस इंडेक्स को निकालने के लिए प्रति व्यक्ति आय की जगह बिजली स्वास्थ्य पेयजल स्कूल वित्तीय समावेश जैसी सुविधाओं को शामिल किया जाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Multidimensional Poverty Index: सरकार की विभिन्न लोक कल्याणकारी स्कीम योजना का आकलन उत्साहवर्धक है। पिछले नौ सालों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर आ गए हैं। अब ये खुद को गरीब होने का अनुभव नहीं करते क्योंकि इन्हें भी मध्य वर्ग व उच्च आय वर्ग वालों की तरह कई सुविधाएं प्राप्त हो गई है। सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व राजस्थान के लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।
सोमवार को नीति आयोग की तरफ से मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इन इंडिया पर जारी दस्तावेज में इस बात की जानकारी दी गई। मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) की वैश्विक मान्यता है और इस इंडेक्स को निकालने के लिए प्रति व्यक्ति आय की जगह बिजली, स्वास्थ्य, पेयजल, स्कूल, वित्तीय समावेश जैसी सुविधाओं को शामिल किया जाता है। नीति आयोग ने एमपीआई निकालने के लिए ऐसे 12 मानकों को शामिल किया जिनमें पोषक तत्व, बच्चे की मृत्यु दर, माताओं के स्वास्थ्य, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में उनकी उपस्थिति, रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपदा व बैंक खाता शामिल हैं।
नौ सालों में 17.89 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर आए
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 में देश की 29.17 प्रतिशत आबादी एमपीआई के हिसाब से गरीब थे। वित्त वर्ष 2022-23 में सिर्फ 11. 28 प्रतिशत लोग एमपीआई के हिसाब से गरीब रह गए हैं। यानी कि इन नौ सालों में 17.89 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर आए। नीति आयोग ने देश की आबादी को 138 करोड़ मानकर एमपीआई तैयार किया है।