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Modi Government: देश में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से आए बाहर, यूपी-बिहार और मध्यप्रदेश के आंकड़े दे रहे गवाही

Multidimensional Poverty Index सोमवार को नीति आयोग की तरफ से मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इन इंडिया (Multidimensional Poverty In India) पर जारी दस्तावेज में इस बात की जानकारी दी गई। मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) की वैश्विक मान्यता है और इस इंडेक्स को निकालने के लिए प्रति व्यक्ति आय की जगह बिजली स्वास्थ्य पेयजल स्कूल वित्तीय समावेश जैसी सुविधाओं को शामिल किया जाता है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 15 Jan 2024 08:04 PM (IST)
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पिछले 9 वर्षों में गरीबी के अभिशाप से निकले करोड़ों भारतीय (जागरण ग्राफिक्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Multidimensional Poverty Index:  सरकार की विभिन्न लोक कल्याणकारी स्कीम योजना का आकलन उत्साहवर्धक है। पिछले नौ सालों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर आ गए हैं। अब ये खुद को गरीब होने का अनुभव नहीं करते क्योंकि इन्हें भी मध्य वर्ग व उच्च आय वर्ग वालों की तरह कई सुविधाएं प्राप्त हो गई है। सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व राजस्थान के लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।

सोमवार को नीति आयोग की तरफ से मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इन इंडिया पर जारी दस्तावेज में इस बात की जानकारी दी गई। मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) की वैश्विक मान्यता है और इस इंडेक्स को निकालने के लिए प्रति व्यक्ति आय की जगह बिजली, स्वास्थ्य, पेयजल, स्कूल, वित्तीय समावेश जैसी सुविधाओं को शामिल किया जाता है। नीति आयोग ने एमपीआई निकालने के लिए ऐसे 12 मानकों को शामिल किया जिनमें पोषक तत्व, बच्चे की मृत्यु दर, माताओं के स्वास्थ्य, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में उनकी उपस्थिति, रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपदा व बैंक खाता शामिल हैं।

नौ सालों में 17.89 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर आए

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 में देश की 29.17 प्रतिशत आबादी एमपीआई के हिसाब से गरीब थे। वित्त वर्ष 2022-23 में सिर्फ 11. 28 प्रतिशत लोग एमपीआई के हिसाब से गरीब रह गए हैं। यानी कि इन नौ सालों में 17.89 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर आए। नीति आयोग ने देश की आबादी को 138 करोड़ मानकर एमपीआई तैयार किया है।

15 करोड़ लोग एमपीआई मानक से जुड़ी सुविधाओं से वंचित

इस हिसाब से अब सिर्फ लगभग 15 करोड़ लोग एमपीआई मानक से जुड़ी सुविधाओं से वंचित रह गए हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले नौ सालों में 5.94 करोड़, बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ तो राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग एमपीआई मानकों के हिसाब से गरीबी से मुक्त हुए। नीति आयोग के सीईओ बी.वी. सुब्रह्मण्यम के मुताबिक पिछले चार-पांच सालों में एमपीआई के हिसाब से गरीबी घटने की दर दहाई अंक की हो गई है जबकि उससे पहले यह रफ्तार कम थी। सरकार ने 2030 तक देश के सभी नागरिकों को इन 12 मानकों की सुविधा देने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इन दिशा में चल रहे काम की तेज गति को देखते हुए वर्ष 2030 से काफी पहले यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।

सरकारी योजनाओं से मिली खासी मदद 

नीति आयोग के दस्तावेज के मुताबिक सरकार की तरफ से चलाए जाने वाले पोषण अभियान व एनीमिया मुक्त भारत अभियान से स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ाने में मदद मिली। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, स्वच्छ ईंधन के लिए उज्ज्वला योजना, सभी घरों में बिजली के लिए सौभाग्य योजना, पेयजल सुविधा के लिए जल जीवन मिशन व जन-धन खाते की सुविधा जैसी योजनाओं से 25 करोड़ लोगों को गरीबी से ऊपर लाने में खासी मदद मिली।

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बताया कि आय बढ़ने का यह मतलब नहीं है कि उस आय को कल्याणकारी चीजों पर खर्च किया जा रहा हो। बहुआयामी सुविधाओं की जगह वह व्यक्ति अपनी निजी सुविधाओं पर या गलत आदतों पर उस आय को खर्च कर सकता है। इसलिए आय की जगह बहुआयामी सुविधाओं के आधार पर गरीबी मापने का काम किया जाता है।

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