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CRPF Sthapna Diwas: वीरता और शौर्य का प्रतीक है CRPF, कई युद्धों में निभाई अहम भूमिका; 74 साल पहले बदला था नाम

भारत की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना के कंधों पर है लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ के पास है। जरूरत पड़ने पर सीआरपीएफ ने बॉर्डर पर सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कई अहम लड़ाइयों में अपना योगदान दिया है। ऐसे में आपको बताते हैं 84 साल पहले स्थापित किए गए CRPF के इतिहास के बारे में...

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalUpdated: Thu, 27 Jul 2023 12:10 AM (IST)
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CRPF Sthapna Diwas 2023: वीरता और शौर्य का प्रतीक है CRPF (फोटो जागरण ग्राफिक्स)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना के कंधों पर है, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ के पास है। जरूरत पड़ने पर सीआरपीएफ ने बॉर्डर पर सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कई अहम लड़ाइयों में अपना योगदान दिया है।

चाहे बात पाकिस्तानी घुसपैठियों की हो या फिर चीन के हमलों को नाकाम करने की हो हर बार सीआरपीएफ ने अपनी वीरता और शौर्य से दुश्मनों को हार का स्वाद चखाया है। भारत के एकीकरण में जब बाधा आई थी, तब सीआरपीएफ ने अपनी भूमिका को पूरी मजबूती के साथ निभाया था। इसी प्रकार से लद्दाख में 1959 में चीनी हमले को सीआरपीएफ ने नाकाम किया था। ऐसे में आपको बताते हैं 84 साल पहले स्थापित किए गए CRPF के इतिहास के बारे में...

कब हुई केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की स्थापना?

दरअसल, आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) भारत का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल है, जिसे अब केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल के रूप में जाना जाता है। आंतरिक सुरक्षा के मद्देनजर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की स्थापना की गई थी। इसे साल 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था।

CRPF बना क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस

बता दें कि देश की आजादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद के एक अधिनियम के तहत इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया। तत्‍कालीन गृह मंत्री सरदार बल्‍लभ भाई पटेल ने देश की बदलती जरूरतों के अनुसार, इस बल के लिए एक बहु आयामी भूमिका की कल्‍पना की थी।

जब CRPF ने पेश की वीरता और शौर्य की गाथा

  • CRPF ने देश की आजादी के बाद भारत को एक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सीआरपीएफ ने वीरता दिखाते हुए जूनागढ़, काठियावाड़ जैसी रियासतों को भारत में शामिल कराया। बता दें कि इन राज्यों ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
  • इसके अलावा कच्‍छ, राजस्‍थान और सिंध सीमाओं में घुसपैठ और सीमा पार अपराधों की जांच के लिए इसकी टुकड़ियों को भेजा गया था।
  • साथ ही सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों के हमलों को भी नाकाम किया था।
  • इसके बाद सीआरपीएफ को जम्‍मू-कश्‍मीर में पाकिस्‍तानी सीमा पर तैनात किया गया।
  • सीआरपीएफ ने 21 अक्टूबर 1959 को चीनी हमले को भी नाकाम किया था। हालांकि, इस दौरान दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्‍च बलिदान दिया था।
  • उनकी याद में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्‍मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर सीआरपीएफ ने अपनी बहादुरी की मिसाल पेश की। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की।
  • इस आक्रमण के दौरान सीआरपीएफ के 8 जवान शहीद हुए थे।
  • वहीं, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी सीआरपीएफ ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया था।

CRPF ने विदेशी जमीं पर भी मनवाया अपना लोहा

बता दें कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने विदेशी धरती पर भी बहादुरी दिखाई। सीआरपीएफ की 13 कंपनियों को आतंवादियों से लड़ने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका में भेजा गया था। इसमें महिलाओं की टुकड़ी को भी श्रीलंका भेजा गया था। इसके अलावा, सीआरपीएफ को संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति सेना के एक अंग के रूप में हैती, नामीबिया, सोमालिया और मालदीव भी भेजा गया था।

मणिपुर और पंजाब में भी निभाई अहम भूमिका

70 के दशक में जब उग्रवादियों ने त्रिपुरा और मणिपुर में शांति को भंग किया था। इस दौरान सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई थी। साथ ही 80 के दशक में पंजाब में बढ़ती आतंकी घटनाओं को देखते हुए वहां भी सीआरपीएफ को तैनात किया गया था।

भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले को किया नाकाम

13 दिसंबर, 2001 को आतंकवादियों द्वारा भारतीय संसद पर किए गए हमले को भी सीआरपीएफ के बहादुर जवानों ने नाकाम कर दिया था। CRPF और आतंकवादियों के बीच 30 मिनट तक चली गोलीबारी में पांचों आतंकियों को मार गिराया गया था। हालांकि, एक महिला सिपाही शहीद हो गई थीं। जिन्हें 26 जनवरी, 2002 को अशोक चक्र प्रदान किया गया था।