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Crude Oil: कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई होगी कम, पिछले साल की तुलना में 34 फीसदी घटे दाम

तेल विक्रेता कंपनी आरामको को आशंका है कि भारत और चीन जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था को तेल बेचने के लिए कई देश तैयार हो सकते हैं। रूस से पहले ही भारत और चीन दोनों ही सस्ते दाम पर तेल की खरीदारी कर रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 05 May 2023 08:29 PM (IST)
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कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई होगी कम

राजीव कुमार, नई दिल्ली। दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए कच्चे तेल की कीमतों में कमी भले ही नुकसानदेह हो, लेकिन भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में हो रही गिरावट फायदेमंद साबित होने जा रही है। पिछले एक महीनों में कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमतों में लगभग 14 फीसद की गिरावट हुई है और फिलहाल कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 73 डॉलर के पास है।

एक साल में कच्चे तेल के दाम में 34 फीसद की गिरावट

पिछले एक साल में कच्चे तेल के दाम में 34 फीसद की गिरावट हो चुकी है। पिछले साल मई के पहले सप्ताह में कच्चे तेल की कीमत 112 डॉलर प्रति बैरल के पास थी। कच्चे तेल के दाम अभी और कम होंगे, क्योंकि अमेरिका से लेकर यूरोप तक मंदी की चपेट में आता दिख रहा है।

यही वजह है कि सऊदी अरब की सरकारी तेल विक्रेता कंपनी आरामको ने एशिया देशों के अपने खरीदारों के लिए जून माह की तेल कीमतों में प्रति बैरल 2.25 डॉलर की कटौती की घोषणा की है। इन खरीदारों में भारत भी शामिल है। आने वाले महीनों में कच्चे तेल की मांग वैश्विक स्तर पर और कम हो सकती है।

आरामको को आशंका है कि भारत और चीन जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था को तेल बेचने के लिए कई देश तैयार हो सकते हैं। रूस से पहले ही भारत और चीन दोनों ही सस्ते दाम पर तेल की खरीदारी कर रहा है।

भारत को क्या होगा फायदा

कच्चे तेल के दाम में हो रही कमी से भारत के आयात बिल में काफी कमी आएगी, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसद तेल आयात करता है। देश के आयात बिल में 25 फीसद से अधिक की हिस्सेदारी कच्चे तेल की होती है।

पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तुओं के कुल आयात का बिल 714 अरब डॉलर का था। इनमें कच्चे तेल व पेट्रोलियम का आयात 209 अरब डॉलर का था। आयात बिल कम होने से विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ेगा और डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती आएगी। इससे महंगाई को कम करने में भी मदद मिलेगी। प्लास्टिक व कई अन्य आइटम कच्चे तेल के इस्तेमाल से बनाए जाते हैं, जो सस्ते हो जाएंगे।

वहीं, डीजल, गैसोलिन का मूल्य भी कम हो जाएगा, क्योंकि ये आइटम भी कच्चे तेल से ही बनते हैं। हालांकि, भारत में कच्चे तेल की कीमतों में हो रही गिरावट का फायदा खुदरा ग्राहकों को नहीं मिल रहा है। पिछले एक साल से पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं किया गया है।

राजकोषीय घाटे को कम करने में मिलेगी मदद

विशेषज्ञों के मुताबिक, सीधे तौर पर भले ही ग्राहकों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है, लेकिन इतना तो तय है कि पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमत नहीं बढ़ने जा रही है। सरकार के पास उत्पाद शुल्क के मद में अधिक राजस्व इकट्ठा हो रहा है जिससे राजकोषीय घाटे को और कम करने में मदद मिलेगी और सरकार का कर्ज कम होगा।

रुपए में मजबूती से आयातित सामान भी महंगे नहीं होंगे और इससे कई आयातित कच्चे माल पहले के मुकाबले कम दाम पर उपलब्ध होंगे। इससे आयातित माल से बनने वाली वस्तुओं की लागत कम रहेगी। कच्चे तेल की कीमत का अर्थव्यवस्था के विकास से सीधा रिश्ता है, तभी आरबीआई से लेकर वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार साल भर के लिए कच्चे तेल की एक अनुमानित कीमत के आधार पर ही विकास दर का अनुमान लगाते हैं।

चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से कम रहने पर विकास दर 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।