Cyber Crime Case: साइबर ठगी का धन रोकने में मिल रही सफलता, लेकिन वापसी बनी हुई है समस्या
देश में साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर की मदद से ठगी की रकम को बैंकिंग चैनल में रोकने में काफी मदद मिल रही है लेकिन उन्हें पीड़ित के खातों तक पहुंचाने में कानूनी बाधाएं बनी हुई है। हालात यह है कि जितनी रकम बैंकिंग चैनल में रोकी गई है उसका केवल नौ-दस फीसद ही पीड़ित व्यक्तियों को वापस मिल पा रहा है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर की मदद से ठगी की रकम को बैंकिंग चैनल में रोकने में काफी मदद मिल रही है, लेकिन उन्हें पीड़ित के खातों तक पहुंचाने में कानूनी बाधाएं बनी हुई है। हालात यह है कि जितनी रकम बैंकिंग चैनल में रोकी गई है, उसका केवल नौ-दस फीसद ही पीड़ित व्यक्तियों को वापस मिल पा रहा है। इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) अब इन कानूनी बाधाओं को दूर करने की कोशिश में जुटा है।
अब तक 1127 करोड़ रुपये का फ्रॉड रुका
आई4सी के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 में हेल्पलाइन के शुरू होने और साइबर ठगी की रकम बैंकिंग चैनल में तत्काल रोकने की व्यवस्था शुरू होने के बाद से अब तक कुल 1127 करोड़ रुपये की रकम रोकी जा चुकी है। लेकिन इनमें अधिकांश रकम अभी तक बैंकिग चैनल में ही फंसी हुई है।यह भी पढ़ेंः Cyber Crime: मेवात सेक्सटार्शन तो झारखंड KYC वेरिफिकेशन से संबंधित अपराधों का गढ़, पूरे देश में फैला साइबर अपराधियों का जाल
आई4सी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बैंक से दूसरे बैंक में रकम के पहुंचने के बाद उसे वापस पहले बैंक में दिलाने में कानूनी अड़चन है। ऐसा सिर्फ मजिस्ट्रेट के आदेश से ही हो सकता है। जाहिर है मजिस्ट्रेट के सामने लंबी कानूनी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है।
बैंकिंग प्रणाली से जुड़े कानूनों में अहम सुधार की जरूरत
उन्होंने कहा कि कानूनी अड़चन का रास्ता कानून के मार्फत ही निकल सकता है और इसके लिए बैंकिंग प्रणाली और उससे जुड़े कानूनों में अहम सुधार की जरूरत है। आई4सी इसके लिए नई गाइडलाइंस तैयार की है और कानूनी मानदंडों में उसके खरा उतरने के लिए सलाह-मश्विरा चल रहा है। कानूनी रूप से दुरुस्त पाए जाने के बाद इसे अधिसूचित कर दिया जाएगा। उसके बाद पीड़ितों की रकम बहुत कम समय में वापस खाते में लौटाया जा सकेगा।दरअसल साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 या साइबर अपराध पोर्टल पर ठगी की शिकायत मिलते ही उस बैंक को सूचित किया जाता है, जिसके खाते से रकम निकाली गई है। इसके बाद पूरी बैंकिंग प्रणाली में उस रकम की खोज शुरू हो जाती है। रकम के किसी भी बैंक में पाए जाने पर उसे तत्काल वहीं फ्रीज कर दिया जाता है। ॉपहले यह प्रक्रिया मैनुअल थी और हर बैंक आगे के बैंक को रकम की सूचना देता था। इसी कारण रकम को रोकने में देरी होती थी। लेकिन अब पूरी प्रक्रिया आटोमैटिक हो गई है। हर बैंक का ऑनलाइन सिस्टम अगले बैंक को साइबर ठगी और उसके रकम की जानकारी देता जाता है। इससे ठगी की रकम को रोकना ज्यादा आसान हो गया है। 2021 में बैंकिंग चैनल में कुल 36.38 करोड़, 2022 में 169 करोड़ और 2023 में 922 करोड़ रुपये बैंकिंग चैनल में रोकने में सफलता मिली है।
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