Cyclone Vayu: क्यों आता है चक्रवात? कैसे पड़ते हैं इनके नाम; जानें इसके बारे में सब कुछ
कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात कहते हैं। दक्षिणी गोलाद्र्ध में इन गर्म हवाओं को चक्रवात के नाम से जानते हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 12 Jun 2019 10:16 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चक्रवात ‘वायु‘ गुजरात की तरफ कहर बरपाने बढ़ रहा है। इस बार इसका नाम भारत ने रखा है। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) के अनुसार अभी इसकी गति 80 से 90 किमी प्रति घंटा है, लेकिन गुजरात के तटीय इलाकों तक पहुंचते-पहुंचते यह 110 से 135 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेगा। 220 किमी/ घंटा: पिछले महीने ओडिशा में आए चक्रवात फणि की इस रफ्तार के मुकाबले ‘वायु’ कमजोर होगा।
अरब सागर के चक्रवात
जून में चक्रवात आना आम है। उनमें से बहुत कम ही अरब सागर में उत्पन्न होते हैं। ज्यादातर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उठते हैं। पिछले 120 वर्षों में जो रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, सभी चक्रवाती तूफानों के लगभग 14 फीसद चक्रवात भारत के आस-पास अरब सागर में आए हैं। बंगाल की खाड़ी में उठने वालों की तुलना में अरब सागर के चक्रवात अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं।
जून में चक्रवात आना आम है। उनमें से बहुत कम ही अरब सागर में उत्पन्न होते हैं। ज्यादातर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उठते हैं। पिछले 120 वर्षों में जो रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, सभी चक्रवाती तूफानों के लगभग 14 फीसद चक्रवात भारत के आस-पास अरब सागर में आए हैं। बंगाल की खाड़ी में उठने वालों की तुलना में अरब सागर के चक्रवात अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं।
क्यों आता है चक्रवात?
गर्म क्षेत्रों के समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है। हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी से संतृप्त होकर संघनन से बादलों का निर्माण करती हैं। रिक्त स्थान को भरने के लिए नम हवाएं तेजी के साथ नीचे जाकर ऊपर आती हैं। फलस्वरूप ये हवाएं बहुत ही तेजी के साथ उस क्षेत्र के चारों तरफ घूमकर घने बादलों और बिजली कड़कने के साथ-साथ मूसलधार बारिश करती हैं। कभी-कभी तो तेज घूमती इन हवाओं के क्षेत्र का व्यास हजारों किमी में होता हैं।
क्या है चक्रवात?
कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात कहते हैं। दक्षिणी गोलाद्र्ध में इन गर्म हवाओं को चक्रवात के नाम से जानते हैं और ये घड़ी की सुई के चलने की दिशा में चलते हैं। जबकि उत्तरी गोलाद्र्ध में इन गर्म हवाओं को हरीकेन या टाइफून कहा जाता है। ये घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमते है। कौन से इलाके होते हैं प्रभावित?भारत के तटवर्ती इलाके विशेषकर ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश ,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक महाराष्ट्र और गोवा चक्रवती तुफान से ज्यादा प्रभावित होते है। विनाश लीला
विश्व मौसम संगठन और युनाइटेड नेशंस इकोनामिक एंड सोशल कमीशन फार एशिया एंड पैसिफिक द्वारा जारी चरणबद्ध प्रक्रियाओं के तहत किसी चक्रवात का नामकरण किया जाता है। आठ उत्तरी भारतीय समुद्री देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, और थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के 64 (हर देश आठ नाम) नाम तय करते हैं। जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है, सूची से अगला दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है। इन आठ देशों की ओर से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार इन चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं। 2004 में नामकरण की यह प्रकिया शुरू की गई।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात कहते हैं। दक्षिणी गोलाद्र्ध में इन गर्म हवाओं को चक्रवात के नाम से जानते हैं और ये घड़ी की सुई के चलने की दिशा में चलते हैं। जबकि उत्तरी गोलाद्र्ध में इन गर्म हवाओं को हरीकेन या टाइफून कहा जाता है। ये घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमते है। कौन से इलाके होते हैं प्रभावित?भारत के तटवर्ती इलाके विशेषकर ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश ,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक महाराष्ट्र और गोवा चक्रवती तुफान से ज्यादा प्रभावित होते है। विनाश लीला
- अक्टूबर 1737 सबसे पुराना और भयानक चक्रवात जिसमें कोलकाता और इसके डेल्टा क्षेत्र के 3 लाख लोग मारे गए।
- 17 और 24 दिसंबर 1964 रामेश्वरम में आए इस चक्रवात ने धनुषकोडी को नक्शे से मिटा दिया। रामेश्वरमसे चलने वाली पूरी यात्री ट्रेन बह गई। मंदापाम और
- रामेश्वरम को जोड़ने वाला पुल भी बहा।
- 8-13 नवंबर 1970 बांग्लादेश में 3 लाख लोग मारे गए।
- 14-20 नवंबर 1977 आंध्र प्रदेश के निजामापटनम में आए चक्रवात ने दस हजार लोगों की जान ली।
- अक्टूबर 1942 मिदनापुर में आए इस चक्रवात में हवाओं की रफ्तार 225 किमी प्रति घंटा थी।
- अक्टूबर 1999 ओडिशा में आए बड़े चक्रवात से 1.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए। 7 मीटर ऊंची लहरों से दस हजार लोग मारे गए।
- परंपरा की शुरूआत चक्रवातों के नाम रखने की प्रवृत्ति ऑस्ट्रेलिया से शुरू हुई। 19वीं सदी में यहां चक्रवातों का नाम भ्रष्ट राजनेताओं के नाम पर रखा जाने लगा।
विश्व मौसम संगठन और युनाइटेड नेशंस इकोनामिक एंड सोशल कमीशन फार एशिया एंड पैसिफिक द्वारा जारी चरणबद्ध प्रक्रियाओं के तहत किसी चक्रवात का नामकरण किया जाता है। आठ उत्तरी भारतीय समुद्री देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, और थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के 64 (हर देश आठ नाम) नाम तय करते हैं। जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है, सूची से अगला दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है। इन आठ देशों की ओर से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार इन चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं। 2004 में नामकरण की यह प्रकिया शुरू की गई।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप