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स्‍वच्‍छता का संवाहक बना है दैनिक जागरण, ये हैं हमारे सात सरोकार

दैनिक जागरण की मुहिम के सात अहम पहलू हैं। इनमें स्‍वच्‍छ भारत के साथ स्‍वस्‍थ भारत तक सबकुछ है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 17 Aug 2020 10:23 AM (IST)
स्‍वच्‍छता का संवाहक बना है दैनिक जागरण, ये हैं हमारे सात सरोकार
नई दिल्‍ली (जेएनएन)। अपने देश और सामाजिक दायित्व को लेकर दैनिक जागरण ने सात सरोकारों को अंगीकार किया हुआ है। सुशिक्षित समाज, स्वस्थ समाज, नारी सशक्तीकरण, गरीबी उन्मूलन, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और जनसंख्या नियोजन से जुड़े इन सरोकारों का तानाबाना कहीं न कहीं साफसफाई और स्वच्छता से भी जुड़ा हुआ है। समय-समय पर स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत मर्म को समझते हुए दैनिक जागरण ने गंदगी से मुक्ति को लेकर देशव्यापी अभियान चलाये हैं। ये मुहिम थमने वाली नहीं है।

मिशन 1000 टन

देश के 33 शहरों में इस अभियान का श्रीगणेश किया गया। पिछले साल दशहरा से दिवाली तक इसे चलाया गया। इसमें शहर के उन इलाकों को चिंंह्नित किया गया, जहां कूड़े बिखरे थे या ऐसी जगहों को चिह्नित किया गया जहां कूड़ों का निस्तारण नहीं हो रहा था। एक शहर में ऐसे 25 जगहें चुनी गईं। दैनिक जागरण ने लोगों से आगे आकर नगर निकायों के साथ जुड़कर कूड़े के निस्तारण की अपील की। डेढ़ लाख से ज्यादा लोग जुड़े। कुल 38 हजार टन कूड़ा निस्तारित किया गया। जिन जगहों पर कूड़ा नहीं होना चाहिए, वहां से कूड़े को हटाकर उसका रंग-रोगन किया गया। पेंटिंग्स बनाई गईं। शाम को वहीं पर सार्वजनिक रूप से चाय पार्टी का आयोजन किया गया।

तलाश तालाबों की

मई, 2016 में शुरू किए गए इस अभियान से देश में तालाब संस्कृति फिर से चर्चा की केंद्र बनीं। तालाब एक लाभ अनेक के मर्म को समझते हुए देश के दस राज्यों के दो सौ से अधिक जिलों में यह अभियान चलाया गया। बारह हजार से ज्यादा तालाबों पर बदलाव की कोशिशें हुईं। सैकड़ों तालाबों का पुनरुद्धार किया गया। तीन चरणों में यह अभियान चलाया गया। पहले चरण में हमने तालाबों की तलाश की। दूसरे चरण में हमने पड़ताल की कि इनमें से कौन से तालाबों का तुरंत पुनरुद्धार किया जा सकता है। संबंधित विभागों और लोगों को जोड़कर तालाबों का पुनरुद्धार किया गया। पांच हजार तालाबों को पुनर्जीवित किया गया। खुदाई की गई। सौंदर्यीकरण किया गया।

छोड़ो जंगल जाना

रुहेलखंड के चार जिलों बरेली, पीलीभीति, बदायूं और शाहजहांपुर में छोड़ो जंगल जाना (खुले में शौच जाने के स्थानीय भाषा में यही कहते हैं..जंगल जा रहे हैं) अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत चारो जिलों के पाच सौ गांवों को खुले में शौच से मुक्त करवाया। यह अभियान 2015 में शुरु होकर करीब एक साल तक चला। सबसे पहले ग्रामीणों के बीच सर्वे किया गया। उसके बाद विभिन्न तरह के आयोजनों के जरिए उन्हें शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया गया। जिला प्रशासन सहित तमाम सामाजिक संगठनों को भी इसमें शामिल किया गया। इसके परिणाम बहुत उत्साहजनक रहे और सैकड़ों गांव ओडीएफ हुए।

स्वच्छता के सिपाही

जो सफाईकर्मी हमें जीने के बेहतर माहौल मुहैया कराते हैं, उनको दैनिक जागरण और उसके पाठक पुरस्कृत करते हैं। जीवन जोखिम में डालकर समाज की सेवा करने वाले इन वास्तविक पर्यावरणविदें को स्वच्छता के प्रति उनके योगदान के लिए अभिनंदन किया जाता है।

थमे नहीं हैं कदम

मेरा भारत स्वच्छ अभियान के तहत अलग-अलग कार्यक्रमों की लंबी फेहरिस्त है।

स्वच्छता की पाठशाला

चुनिंदा स्कूलों के साथ मिलकर ये विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके तहत विशेष कक्षाएं आयोजित हुईं।

स्वच्छता की प्रभातफेरी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन दो अक्टूबर को दैनिक जागरण के साथ मिलकर नगरवासी प्रभातफेरी करते हैं। इस दौरान लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हैं।

स्वच्छता संगिनी

दैनिक जागरण संगिनी क्लब की सदस्य उनके घर और इलाके को स्वच्छ बनाती हैं जो रोज अपनी मेहनत से हमारे घरों को साफसुथरा रखती हैं।