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'धार्मिक गतिविधियों के लिए दलाई लामा स्वतंत्र', चीन-अमेरिका के बीच विवाद में भारत की सधी हुई प्रतिक्रिया

भारत की यह प्रतिक्रिया शुक्रवार को तब आई है जब एक दिन पहले ही अमेरिका का अभी तक सबसे बड़ा संसदीय दल दलाई लामा से मुलाकात करके स्वदेश लौट चुका है और अब दलाई लामा इलाज के लिए अमेरिका जाने वाले हैं। वह पिछले कई वर्षों से विदेश दौरे पर नहीं गये हैं। उनकी इस विदेश यात्रा को लेकर भी कूटनीतिक सर्किल में काफी चर्चा है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 21 Jun 2024 08:15 PM (IST)
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अमेरिकी सांसदों के दल ने 19 जून को धर्मशाला में दलाई लामा से की मुलाकात। (Photo -ANI)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 14वें दलाई लामा को लेकर चीन और अमेरिका के बीच चल रहे विवाद में भारत ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। हालांकि भारत ने यह भी संकेत में साफ कर दिया है कि दलाई लामा को वह समर्थन देना जारी रखेगा और उन्हें भारत में अपनी धार्मिक व अध्यात्मिक गतिविधियों को चलाने की पूरी आजादी होगी।

भारत की यह प्रतिक्रिया शुक्रवार को तब आई है, जब एक दिन पहले ही अमेरिका का अभी तक सबसे बड़ा संसदीय दल दलाई लामा से मुलाकात करके स्वदेश लौट चुका है और अब दलाई लामा इलाज के लिए अमेरिका जाने वाले हैं। वह पिछले कई वर्षों से विदेश दौरे पर नहीं गये हैं। उनकी इस विदेश यात्रा को लेकर भी कूटनीतिक सर्किल में काफी चर्चा है।

अमेरिकी दल से सवाल पूछने की सलाह

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से जब अमेरिकी सांसदों के सात सदस्यीय दल के दलाई लामा से मिलने और इस बारे में चीन की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो उनका जबाव था, 'इस बारे में मैं आपको अमेरिकी दल से ही सवाल पूछने की सलाह दूंगा।'

फिर उन्होंने दलाई लामा के बारे में कहा कि सम्मानीय दलाई लामा को लेकर भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट और सुसंगत है। वह एक सम्मानित धार्मिक नेता हैं और भारत के लोग उनका गहरा सम्मान करते हैं। उनको अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के संचालन के लिए स्वतंत्रता है।

अमेरिकी सांसदों के दल ने की थी मुलाकात

सनद रहे कि अमेरिकी सांसदों का दल 19 जून को मैक्लोडगंज (धर्मशाला) में दलाई लामा से मुलाकात करने के लिए आया था। इसके पहले चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि वह दलाई लामा से मुलाकात नहीं करे। साथ ही दलाई लामा को पृथकतावादी आंदोलन चलाने का आरोप लगाया था। इस पर अमेरिकी दल ने काफी तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। दल के मुखिया अमेरिकी संसद में विदेश मामलों के समिति के अध्यक्ष माइकल मैकोल ने कहा था कि तिब्बत की जनता को अपने धर्म का पालन करने की आजादी होनी चाहिए।

अमेरिकी सांसदों के दल ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और पीएम नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की थी। अमेरिका लौटने पर मैकोल ने एक बयान में कहा कि उन्होंने पीएम मोदी को कहा है कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी को कड़ा संदेश देने के लिए भारत और अमेरिका को साथ आना जरूरी है। भारत और अमेरिका के हित में है कि वह साथ मिल कर अत्याधुनिक हथियारों का उत्पादन करें।