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1971 के बाद से देश के उत्तरी हिस्सों में शीतलहर की स्थिति में आई कमी, जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को दी जानकारी

पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 1971-80 के दशक की तुलना में हाल के दशकों में भारत के उत्तरी हिस्सों में शीतलहर की स्थिति में काफी कमी आई है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 16 Mar 2023 05:08 AM (IST)
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1971 के बाद से देश के उत्तरी हिस्सों में शीतलहर की स्थिति में आई कमी
नई दिल्ली, पीटीआई। हाल के दशकों में भारत के उत्तरी हिस्सों में शीतलहर की स्थिति में काफी कमी आई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा को यह जानकारी दी।

शीतलहर की घटनाओं में आई कमी

जितेंद्र सिंह ने बताया कि जनवरी 2023 में भारत के उत्तरी भागों में लगभग 74 शीतलहर की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि दक्षिण भारत में केवल 6 शीतलहर की घटनाएं दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि 1971 के बाद से शीतलहर के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तर भारत में शीतलहर की घटनाओं में कमी आई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1971-80 के दशक की तुलना में हाल के दशकों में भारत के उत्तरी हिस्सों में शीतलहर की स्थिति में काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि अमूमन वैज्ञानिक समुदायों ने इस बात पर अपनी सहमति जताई है कि दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन की वजह से अधिक मौसमी घटनाएं हो रही हैं, जिसमें हीट वेब, सूखा और अत्यधिक ठंड शामिल है। साथ ही उन्होंने मौसम पैटर्न को लेकर शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह देखा गया है कि अल नीनो वर्षों के दौरान तीव्र गर्मी की लहरें और ला नीना वर्षों के दौरान तीव्र शीतलहरों का अनुभव किया जाता है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा (ISMR) अल नीनो वर्षों के दौरान सामान्य से कमजोर, जबकि ला नीना वर्षों के दौरान इसके विपरीत होती है।

उन्होंने बताया कि 1951 से 2022 के बीच 16 अल नीनो वर्ष थे, जिनमें से 9 वर्षों के दौरान सामान्य से कम बारिश देखने को मिली, जो यह दर्शाता है कि अल नीनो और आईएसएमआर के बीच कोई सीधा संबंध नहीं था।