8 भगदड़, 129 मौतें... कैसे हादसों का साल बन गया 2025? अब भी नहीं चेत रहे लोग
साल 2025 में देश में 8 भगदड़ की घटनाएं हुई हैं, जिनमें 129 लोगों की जान गई। आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में हाल ही में हुई भगदड़ में 9 लोगों की मौत हो गई। तमिलनाडु, उत्तराखंड, बेंगलुरु, गोवा और प्रयागराज में भी ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई। भीड़ प्रबंधन की कमी के कारण ये हादसे हो रहे हैं, और प्रशासन को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

सभी हादसों में कुल मिलाकर अब तक 129 लोगों की मौत हो चुकी है (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 के नवंबर महीने की शुरुआत हो चुकी है। बीते 10 महीने में देश ने 8 भगदड़ की घटनाएं देखी हैं। इन सब हादसों में कुल मिलाकर अब तक 129 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत जैसे इतनी इतने बड़े और घनी आबादी वाले देश में भीड़ का जुटना एक सामान्य सी बात है। लेकिन उस भीड़ के प्रबंधन के लिए आजादी के 78 साल बाद भी हम कोई फुल प्रूफ हल नहीं निकाल पाए हैं।
शनिवार को आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में हुआ हादसा इसी की एक बानगी है। लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि इतने हादसों क बाद भी न तो प्रशासन और न ही लोग कोई सबक ले पाए हैं। यही वजह है कि कैलेंडर और दिन और महीने बदलते जाते हैं और किसी रोज देश के किसी न किसी हिस्से से ऐसे मामले सामने आ ही जाते हैं।
2025 में अब तक भगदड़ की 8 घटनाएं
1 नवंबर: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में वेंकटेश्वर मंदिर में एकादशी के मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई । इसके कारण मंदिर में भगदड़ मच गई और 9 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 8 महिलाएं और एक बच्चा शामिल है। पुलिस ने कहा कि मंदिर प्रबंधन ने कार्यक्रम के बारे में सूचित नहीं किया था। लोगों ने भगदड़ के लिए भीड़ मैनेजमेंट की कमी और एंट्री-एग्जिट के लिए संकरे रास्ते को जिम्मेदार ठहराया।
27 सितंबर: तमिनलाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने विजय की एक रैली आयोजित की गई थी। विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कजगम के बैनर तले इस रैली में 10 हजार लोगों के जुटने की उम्मीद थी, लेकिन 3 गुना ज्यादा लोग पहुंच गए। विजय के देर से पहुंचने के कारण भीड़ बढ़ती चली गई और फिर भगदड़ मच गई। हादसे में 41 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा घायल हो गए थे।
27 जुलाई: उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर के सीढ़ी मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। अफवाह फैल गई कि बिजली का तार टूट गया है और सीढ़ियों में करंट फैल गया है। इसके बाद भगदड़ मच गई और 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 30 से ज्यादा घायल हो गए थे।
4 जून: आईपीएल में लंबे इंतजार के बाद आरसीबी ने जीत दर्ज की थी। इसके उपलक्ष्य में बेंगलुरु में जश्न मनाया जाना था। लेकिन यहां 3 लाख से अधिक लोग पहुंच गए और अराजकता फैल गई। भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए।
3 मई: गोवा के शिरगाओ स्थित लैराई देवी जात्रा मंदिर में लगभग 70 हजार लोग मौजूद थे। एक भक्त ने अपनी बेंत से बल्ब को छूने की कोशिश की, जिससे उसे बिजली का झटका लगा और वह अन्य लोगों के ऊपर गिर गया। मंदिर में भगदड़ मच गई और 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 घायल हो गए।
15 फरवरी: प्रयागराज के कुंभ मेले में जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोग जुट रहे थे। लेकिन भीड़ को संभाला नहीं जा सका और भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 4 बच्चे भी शामिल थे। पहले कहा गया कि ट्रेन के दूसरे प्लेटफॉर्म पर आने की अनाउंसमेंट होने से अफरातफरी मच गई। लेकिन बाद में रेल मंत्री ने संसद में बताया कि एक यात्री का सामान सीढ़ियों पर गिर गया था, जिससे यात्री लड़खड़ा गए।
29 जनवरी: प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा था। मौनी अमावस्या के मौके पर लाखों लोग स्नान के लिए घाट पर पहुंचने लगे। इसके बाद भगदड़ मच गई और 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 अन्य घायल हो गए।
9 जनवरी: आंध्र प्रदेश के तिरुमाला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम के टिकट के लिए लोग लाइन में लगे थे। अचानक गेट खुला और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई थी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।