Lancet Report: सदी के मध्य तक गर्मी से मौतों में देखी जाएगी पांच गुना वृद्धि, जलवायु परिवर्तन से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा
Lancet Report स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन की एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 सबसे गर्म साल रहा है अगर आगे भी यह तापमान जारी रहता है और अनुकूलन पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं होती है तो सदी के मध्य तक वार्षिक गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या वर्तमान संख्या से लगभग पांच गुना बढ़ने की संभावना है।
पीटीआई, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन बहुत ही तेजी से हो रहा है। जलवायु परिवर्तन को लेकर कई रिपोर्ट सामने आते रहते हैं। यह ताजा रिपोर्ट लैंसेट की है जिसमें बताया गया है कि साल 2023 सब्स गर्म वर्ष रहा है। स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि वर्तमान तापमान जारी रहता है और इसके अनुकूलन पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं होती है तो सदी के मध्य तक वार्षिक गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या वर्तमान संख्या से लगभग पांच गुना बढ़ने की संभावना है।
ब्रिटिश जर्नल की वेबसाइट के अनुसार, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन एक अंतरराष्ट्रीय, बहु-विषयक सहयोग है और इसे वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है।
बढ़ सकता है कुपोषण का वैश्विक खतरा
स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन ने अपनी आठवीं वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि गर्मी से संबंधित श्रम हानि 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इसमें कहा गया है कि अकेले हीटवेव के कारण 2041-60 तक 524.9 मिलियन अतिरिक्त लोगों को मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है जिससे कुपोषण का वैश्विक खतरा बढ़ जाएगा।
जीवन-घातक संक्रामक रोगों के प्रसार में होगी वृद्धि
रिपोर्ट में सदी के मध्य तक जीवन-घातक संक्रामक रोगों के प्रसार में वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसमें विब्रियो रोगजनकों के लिए उपयुक्त समुद्र तट की लंबाई 17-25 प्रतिशत तक बढ़ रही है और डेंगू के संचरण की क्षमता 36-37 प्रतिशत तक बढ़ रही है। विब्रियो रोगजनक हैजा जैसी खाद्य जनित बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं।यह रिपोर्ट 52 अनुसंधान संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के 114 प्रमुख विशेषज्ञों के काम का प्रतिनिधित्व करती है, यह स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंधों का सबसे अद्यतित मूल्यांकन प्रदान करती है।
हीटवेव के कारण बढ़े मौत के आकड़ें
विश्लेषण में पाया गया कि 1990-2000 की तुलना में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में गर्मी से संबंधित मौतों में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 38 प्रतिशत की वृद्धि से काफी अधिक है जिसकी उम्मीद की जा सकती थी अगर तापमान में बदलाव नहीं हुआ होता।