Defence Budget 2024: रक्षा क्षेत्र को करीब 6.22 लाख करोड़ रुपये का हुआ आवंटन, पढ़ें BRO और DRDO को कितना मिला?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा मंत्रालय को करीब 6.22 लाख करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने करीब डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान रक्षा बजट के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला। वहीं सीमा सड़क संगठन को 6500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जबकि डीआरडीओ को 23855 करोड़ रुपये का बजट आवंटन दिया गया है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा मंत्रालय को करीब 6.22 लाख करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया है जो अन्य सभी मंत्रालयों की तुलना में सबसे अधिक है। रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा जहां वेतन-पेंशन पर खर्च होगा वहीं पूंजीगत खर्च के लिए करीब 172000 करोड़ रुपये का आवंटन निर्धारित हुआ है। इसमें से 105518 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वदेशी रक्षा कंपनियों से रक्षा उत्पादों की खरीद पर खर्च की जाएगी।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी गति
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पूंजीगत खर्च में इस विशेष कोटे का उद्देश्य देश में रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा बजट आवंटन में बढ़ोतरी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा भी कि पूंजीगत व्यय तीनों सैन्य बलों की क्षमताओं को और मजबूत करेगा तथा रक्षा क्षेत्र में 'आत्म निर्भर भारत' को और गति मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय को करीब 6.22 लाख करोड़ रुपये का हुआ आवंटन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने करीब डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान रक्षा बजट के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला। हालांकि, बजटीय आवंटन के ब्यौरे में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा मंत्रालय के आवंटन की जानकारियां दी गईं। पूर्ण बजट में चालू वित्तीय वर्ष के लिए रक्षा मंत्रालय को कुल 6,21,940.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो कुल बजटीय अनुमान का लगभग 12.90 प्रतिशत है।
कहां पर कितना होगा खर्च?
वित्त वर्ष 2022-23 के आवंटन की तुलना में यह लगभग एक लाख करोड़ रुपये अधिक है और पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 4.79 प्रतिशत अधिक है। रक्षा बजट के कुल आवंटन में 27.66 प्रतिशत पूंजीगत खर्च, जीविका और सैन्य परिचालन तैयारियों पर व्यय के लिए 14.82 प्रतिशत, वेतन-भत्ते के लिए 30.66 प्रतिशत, पेंशन 22.70 प्रतिशत तथा रक्षा मंत्रालय के तहत नागरिक संगठनों के लिए 4.17 प्रतिशत का आवंटन किया गया है।
रक्षा पेंशन के लिए कुल आवंटन 1,41,205 करोड़ रुपये है जो लगभग 32 लाख पेंशनभोगियों को मासिक पेंशन पर खर्च किया जाएगा। हालांकि सामरिक विशेषज्ञ रक्षा क्षेत्र के बजटीय आवंटन को अपर्याप्त मानते हुए आशंका जता रहे कि इसका सेनाओं के आधुनिकीकरण से लेकर विशिष्ट हथियारों-उपकरणों की खरीद पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
रक्षा विशेषज्ञ ने क्या कहा?
रक्षा विशेषज्ञ पूर्व मेजर जनरल जेकेएस परिहार ने कहा कि वित्त मंत्री के संबोधन में रक्षा शब्द का जिक्र तक नहीं होना दर्शाता है कि उनकी प्राथमिकता सूची में यह कहां है। उन्होंने कहा कि भारत की सेनाएं दोहरे मोर्चे की जटिल चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इस लिए सैन्य आधुनिकीकरण तथा विशिष्ट रक्षा उपकरण-हथियारों के अधिग्रहण को गति देना जरूरी है। ऐसे में रक्षा बजट में आठ फीसद से कम का आवंटन निगेटिव माना जाएगा क्योंकि मुद्रास्फीति फैक्टर से निपटने के लिए यह न्यूनतम बेंचमार्क अपरिहार्य है।
बजट से प्रसन्न नजर आया रक्षा मंत्रालय
परिहार ने कहा कि पांच फीसद से भी कम बढ़ोतरी से साफ है कि रक्षा क्षेत्र फिलहाल सरकार की प्राथमिकता में नहीं है और बजट में इसका किसी रूप में उल्लेख न होने इसका प्रमाण है। हालांकि, रक्षा मंत्रालय बजट से प्रसन्न नजर आया और उसके अनुसार बजट आवंटन में पूंजीगत व्यय की राशि से सैन्य बलों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। 1.72 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत आवंटन वर्ष 2023-24 के संशोधित आवंटन से 9.40 प्रतिशत अधिक है।
घातक हथियारों पर खर्च होगी राशिः रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस आवंटन का मकसद चालू और अगले वित्त वर्ष में बड़े रक्षा खरीद के जरिए महत्वपूर्ण क्षमता निर्माण गैप को भरा जाएगा। साथ ही सशस्त्र सेनाओं को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, घातक हथियारों, लड़ाकू विमानों, पोतों, पनडुब्बियों, प्लेटफार्मों, मानव रहित हवाई वाहनों, ड्रोनों, विशेषज्ञ वाहनों आदि से लैस करने पर भी यह राशि खर्च होगी।
वहीं सेनाओं की परिचालन तत्परता के लिए अधिक आवंटन का मकसद सैन्य बलों को हर समय युद्ध के लिए तैयार रखना है। इसलिए इस मद में चालू वित्त वर्ष के दौरान रक्षा बजट में से 92,088 करोड़ रुपये इसके लिए आवंटित किए गए हैं जो दो साल पूर्व की तुलना में 48 प्रतिशत अधिक है। इसका उद्देश्य विमान और जहाजों सहित सभी प्लेटफार्मों को सर्वोत्तम रखरखाव सुविधाएं और समर्थन प्रणाली को सुदृढ़ करना है।
बजट में सीमावर्ती क्षेत्रों का भी रखा गया विशेष ध्यान
गोला-बारूद की खरीद की सुविधा के साथ सुरक्षा स्थिति की मांग के अनुसार संसाधनों और सैन्य कर्मियों की गतिशीलता में भी इस आवंटन से मदद मिलेगी और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए अग्रिम क्षेत्रों में सेना की तैनाती को मजबूत करना इसका लक्ष्य है। सीमावर्ती क्षेत्रों में अंतिम मील कनेक्टिविटी प्रदान करने के साथ-साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने में शामिल एजेंसियों को बजट आवंटित करने में प्राथमिकता में रखा गया है।
BRO और DRDO को कितने करोड़ रुपये का हुआ आवंटन?
इसके तहत पूंजी व्यय के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) को 6,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देंने के साथ लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एयरफील्ड के विकास, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारत की दक्षिणी पंचायत के लिए स्थायी पुल कनेक्टिविटी, हिमाचल प्रदेश में 4.1 किलोमीटर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शिंकू ला सुरंग, अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग और कई अन्य परियोजनाओं को भी इस आवंटन का फायदा मिलेगा। वहीं, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि डीआरडीओ को 23,855 करोड़ रुपये का बजट आवंटन दिया गया है।
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