Move to Jagran APP

सरकार का बड़ा फैसला, 957 टी-90 टैंकों का होगा अपग्रेडेशन, रक्षा मंत्रालय ने 1,075 करोड़ रुपये के अनुबंध पर किए दस्‍तखत

रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited BEL) के साथ युद्धक टैंक टी-90 के कमांडर साइट के रेट्रो माडिफिकेशन के लिए 1075 करोड़ रुपये के अनुबंध पर दस्‍तखत किए। यह रेट्रो माडिफिकेशन भारतीय सेना के 957 टी-90 टैंकों में किया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 25 Feb 2022 02:54 AM (IST)
Hero Image
सरकार ने सेना को अत्‍याधुनिक बनाने की दिशा में एक और बड़ा फैसला लिया है।
नई दिल्‍ली, एजेंसियां। सरकार ने सेना को अत्‍याधुनिक बनाने की दिशा में एक और बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत युद्धक टैंक टी-90 का अपग्रेडेशन किया जाएगा। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited, BEL) के साथ युद्धक टैंक टी-90 के कमांडर साइट के रेट्रो माडिफिकेशन के लिए 1,075 करोड़ रुपये के अनुबंध पर दस्‍तखत किए। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक यह रेट्रो माडिफिकेशन भारतीय सेना के 957 टी-90 टैंकों में किया जाएगा।  

टी-90 टैंकों में इस माडि‍फ‍िकेशन के बाद इसे आपरेट करने वाले कमांडर लंबी दूरी पर भी अपने टारगेट का पता लगाने में सक्षम होंगे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रक्षा के क्षेत्र में लगातार आत्मनिर्भरता पर जोर दे रहे हैं। इसी मिशन को सार्थक करते हुए देश में ही टी-90 टैंक की कमांडर साइट को विकसित किया गया है। स्‍वादेशी तकनीक से विकसित साइट रूस की मदद से तैयार साइट से काफी अलग है। साथ ही यह अचूक क्षमता से भी लैस है।

मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि टैंक टी-90 की कमांडर साइट रात में आपरेशनों के लिए इमेज कन्वर्टर ट्यूब आधारित ट्रष्टि यानी विजन से लैस है। इसे डीआरडीओ और बीईएल ने मिलकर विकसित किया है। टी-90 टैंक की नई रेट्रो-माडिफाइड कमांडर साइट से दिन में आठ किलोमीटर तक की दूरी पर मौजूद टारगेट को ट्रैस किया जा सकता है जबकि रात में इससे पांच किलोमीटर तक की दूरी पर मौजूद दुश्‍मन का पता लगाया जा सकता है।

रक्षा मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक टारगेट की सटीक दूरी का पता करने के लिए टैंक में एक लेजर रेंजर फाइंडर का इस्‍तेमाल किया जाता है। बैलिस्टिक साफ्टवेयर और एलआरएफ से अपग्रेडेशन के बाद टैंक के कमांडर सटीकता के साथ लक्ष्यों का पता लगा सकते हैं। आपरेशनों के दौरान यह अपने टारगेट को लाक कर ध्‍वस्‍त कर देते हैं। टी-90 टैंक में लगाई गई विजन तकनीक पूरी तरह स्वदेशी है। थर्मल इमेजर आधारित कमांडर साइट को देश में ही विकसित किए जाने से स्वदेशी रक्षा निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।