Move to Jagran APP

Defence Expo 2024: रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध से डिफेंस एक्सपो 2024 पर लगा 'ग्रहण', बढ़ी कूटनीतिक हलचल

दुनिया में चल रहे दो बड़े रूस-यूक्रेन और इजराजयल-हमास युद्धों की छाया का भले ही सीधे कोई सरकोर नहीं है मगर इसके कूटनीतिक और रणनीतिक प्रभाव के असर से भारत भी अछूता नहीं है। रक्षा मंत्रालय के सबसे अहम कार्यक्रमों में से एक डिफेंस एक्सपो-2024 का आयोजन टलने के पुख्ता संकेत इसका प्रमाण है। एक्सपो के आयोजन पर रक्षा मंत्रालय की तैयारियों को लेकर अब तक जानकारी नहीं आई है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 08 Jan 2024 09:14 PM (IST)
Hero Image
एक्सपो के आयोजन पर रक्षा मंत्रालय से कोई जानकारी सामने नहीं आई है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। दुनिया में चल रहे दो बड़े रूस-यूक्रेन और इजराजयल-हमास युद्धों की छाया का भले ही सीधे कोई सरकोर नहीं है मगर इसके कूटनीतिक और रणनीतिक प्रभाव के असर से भारत भी अछूता नहीं है। रक्षा मंत्रालय के सबसे अहम कार्यक्रमों में से एक डिफेंस एक्सपो-2024 का आयोजन टलने के पुख्ता संकेत इसका प्रमाण है।

समझा जाता है कि आधुनिक हथियारों और उपकरणों से जुड़ी वैश्विक कंपनियों से लेकर दुनिया के अहम रक्षा और सामरिक विशेषज्ञों के जमघट डिफेंस एक्सपो का आयोजन रूस और इजरायल दोनों के बड़े सैन्य संघर्षों में उलझे होने की वजह से टल गया है।

रूस-इजरायल से भारत के करीबी मैत्रीपूर्ण रिश्ते

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इजरायल-हमास युद्ध को लेकर वैश्विक सामरिक रणनीति और कूटनीति में मची हलचल के दौर में रूस और इजरायल से भारत के करीबी मैत्रीपूर्ण रणनीतिक रिश्ते हैं। ऐसे में भारत में होने वाले डिफेंस एक्सपो के आयोजनों में हमेशा रूस और इजरायल की बड़ी रक्षा कंपनियों की बड़ी भागीदारी रही है।

कूटनीतिक विवाद को पनपने का मौका नहीं देना चाहता भारत

इन दोनों देशों के अलग-अलग संघर्षों में शामिल होने से वैश्विक कूटनीतिक की बनी मौजूदा परिस्थितियों में रूस और इजरायल की डिफेंस एक्सपो में भागीदारी की अलग-अलग तरह से व्याख्या की जा सकती है। एक्सपो का आयोजन टाल भारत इस तरह के अवांछित कूटनीतिक वाद-विवाद को पनपने का मौका ही नहीं देना चाहता।

एक्सपो के आयोजन पर मंत्रालय से कोई जानकारी नहीं

डिफेंस एक्सपो 2024 के आयोजन पर रक्षा मंत्रालय की तैयारियों को लेकर अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आने के बारे में जानकार सूत्रों ने कहा कि यह इसका साफ संकेत है कि इस बार इसका आयोजन संभव नहीं लग रहा, रूस और इजरायल दोनों के बड़े संघर्ष में उलझना प्रमुख वजह है।

अहमदाबाद में प्रस्तावित था डिफेंस एक्सपो

डिफेंस एक्सपो का आयोजन इस बार अहमदाबाद में प्रस्तावित था, लेकिन अभी इसको लेकर न रक्षा मंत्रालय और न ही गुजरात सरकार की ओर से किसी तरह की कोई सक्रियता दिखाई गई है। इस बड़े वैश्विक आयोजन की तैयारियों में कम से कम छह महीमे का समय लगता है और इतने कम वक्त में तैयारी संभव नहीं लगती।

आयोजन में कई देशों के रक्षा मंत्री शामिल होते हैं

रक्षा मंत्रालय के इस अहम द्विवार्षिक आयोजन के तहत 12वां डिफेंस एक्सपो 2022 में गांधीनगर में हुआ था तो 2020 के इस प्रदर्शन की मेजबानी लखनऊ ने की थी। इस आयोजन में अमेरिका समेत कई देशों के रक्षा मंत्री से लेकर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी से लेकर सामरिक विशेषज्ञ भी शामिल होते रहे हैं।

'हम मेनटेंनेंस के अधीन है और जल्द वापस लौटेंगे'

दिलचस्प यह है कि डिफेंस एक्सपो की आधिकारिक वेबसाइट भी 'हम मेनटेंनेंस के अधीन है और जल्द वापस लौटेंगे' के संदेश के अलावा कोई जानकारी देने में असमर्थ है। रूस और इजरायल से करीबी रिश्ते होने के साथ ही रक्षा क्षेत्र में ये दोनों भारत के बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के तमाम दबाव और विरोधों के बावजूद भारत ने रूस से बेहद अहम एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 की खरीद की, जिसकी आपूर्ति 2024 से ही शुरू होने वाली है।

डिफेंस एक्सपो में रूस की भागीदारी कई देशों को करेगी असहज

यूक्रेन विवाद के दरम्यान रूस की सरकारी और निजी रक्षा कंपनियों की डिफेंस एक्सपो में भागीदारी अमेरिका और यूरोप के कुछ प्रमुख देशों को असहज कर सकती थी। बेशक इजरायल की इसमें भागीदारी पर यूरोप या अमेरिका को किसी तरह का एतराज नहीं होता। लेकिन मध्य पूर्व में अरब देशों से भारत के निकट कारोबारी-कूटनीतिक रिश्ते हैं और फलस्तीन से उनका अपना करीबी जुड़ाव है।

हमास पर इजरायल की लगातार जारी बमबारी के दौर में डिफेंस एक्सपो में इजरायली कंपनियों की हिस्सेदारी अरब देशों को असहज कर सकती थी।

ये भी पढ़ें: ITR Filing: आठ सालों में ITR भरने वालों की संख्या डबल से भी ज्यादा, आय की असमानता में आई भारी कमी