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Milan 2024: 'किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेंगे', मिलन-24 में बोले- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लोकतांत्रिक और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के युग में सामूहिक रूप से शांति की आकांक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने शांति-साझा अच्छाई की वकालत करते हुए कहा कि देश साझा शांति और समृद्धि के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा हमारी सामूहिक भलाई को कमजोर करने वाले ऐसे किसी भी खतरे का मुकाबला करने से हम पीछे नहीं हटेंगे।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 21 Feb 2024 10:27 PM (IST)
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किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेंगे- राजनाथ (फोटो, एक्स)
आईएएनएस, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लोकतांत्रिक और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के इस युग में सामूहिक रूप से शांति की आकांक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने शांति और साझा अच्छाई की वकालत करते हुए कहा कि देश साझा शांति और समृद्धि के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।

उन्होंने यह भी कहा, "हमारी सामूहिक भलाई को कमजोर करने वाले ऐसे किसी भी खतरे का मुकाबला करने से हम पीछे नहीं हटेंगे। इन खतरों में समुद्री डकैती और तस्करी शामिल है।" रक्षा मंत्री ने विशाखापत्तनम में बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास 'मिलन-24' के 12वें संस्करण के औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि युद्धों और संघर्षों का नहीं होना शांति का सबसे अपरिवर्तनीय न्यूनतम तत्व है।

नकारात्मक शांति प्रभुत्व या आधिपत्य से उत्पन्न होती है

उन्होंने 'नकारात्मक शांति' का जिक्र करते हुए कहा कि यह अक्सर प्रभुत्व या आधिपत्य से उत्पन्न होती है, जहां एक शक्ति अपनी इच्छा दूसरों पर थोपती है। निष्पक्षता और न्याय द्वारा समर्थित नहीं होने वाली ऐसी शांति को भौतिक विज्ञानी और अर्थशास्त्री 'अस्थिर संतुलन' कहते हैं।

पार्टियां कमजोर करने की पूरी कोशिश करती

राजनाथ सिंह ने जिसे वे 'ठंडी शांति' कहते हैं, उसके बारे में विस्तार से बताया, जहां पार्टियां खुले में एक-दूसरे को नहीं मारती हैं, बल्कि एक-दूसरे को कमजोर करने की पूरी कोशिश करती हैं। उन्होंने ठंडी शांति को सीधे संघर्षों के बीच का अंतराल मात्र बताया।

सकारात्मक शांति साझा वैश्विक शांति है- राजनाथ

उन्होंने कहा, "सकारात्मक शांति कोई भारतीय शांति या आस्ट्रेलियाई शांति या जापानी शांति नहीं है, बल्कि यह साझा वैश्विक शांति है। यह भावना भी स्पष्ट रूप से स्थापित की गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है, बल्कि बातचीत और कूटनीति का युग है।"

सशस्त्र बल दोहरी भूमिका निभाते हैं- सिंह

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बल दोहरी भूमिका निभाते हैं। युद्ध का संचालन करने के साथ वे शांति और अच्छी व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ऐतिहासिक अनुभव हमें बताता है कि सशस्त्र बल भी शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने मिलन 2024 को महासागरों और पहाड़ों के दायरे में मौजूद देशों के बीच बेहद जरूरी भाईचारा बनाने का प्रयास बताया है।

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