जोशीमठ मुद्दे पर दिल्ली HC ने वकील से कहा, पता करो इस तरह का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है?
Joshimath दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को जोशीमठ से संबंधित मुद्दों को उठाने वाले एक याचिकाकर्ता से कहा कि वह पता करें कि इसी तरह का एक मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है। याचिकाकर्ता का दावा है कि भूमि धंसने के कारण 570 घरों में दरारें आ गई हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 09 Jan 2023 03:11 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तराखंड में जोशीमठ से संबंधित मुद्दों को उठाने वाले एक याचिकाकर्ता से कहा कि वह पता करें कि इसी तरह का एक मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है। वकील रोहित डंडरियाल ने लिस्टिंग के लिए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया।
इसके बाद बेंच ने कहा, 'अगर इसी समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका है तो क्या हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों इस पर गौर करेंगे? इसके बारे में पूछताछ करें और फिर आप उल्लेख कर सकते हैं। पहले पता कीजिए।'
सैकड़ों घरों में दरार
डंडरियाल ने अपनी याचिका में जोशीमठ के डूबने के मुद्दे को देखने और प्रभावित परिवारों के जल्द पुनर्वास के लिए केंद्र को एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की है। 3000 से अधिक लोगों की समस्याओं को उजागर करते हुए याचिका में कहा गया है कि लगातार भूमि धंसने के कारण कम से कम 570 घरों में दरारें आ गई हैं।याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि पिछले वर्षों में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालयों द्वारा की गई निर्माण गतिविधियों ने जोशीमठ शहर की हालत खराब करने का काम किया है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि वहां के निवासियों की मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन हुआ है।Joshimath Sinking: डेंजर जोन खाली कराने का अभियान शुरू, SDRF ने स्थानीय लोगों को दिया तीन दिन का समय
कनेक्टिविटी सुधार कार्यक्रम में खर्च किए गए है पैसे
याचिका में आगे कहा गया कि सड़क मंत्रालय ने उत्तराखंड में चार-धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री) के लिए कनेक्टिविटी सुधार कार्यक्रम में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं, बिजली मंत्रालय ने भी एनटीपीसी के माध्यम से 2976.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर निर्माणाधीन 520 मेगावाट की पावररन-ऑफ-रिवर परियोजना के लिए 2013 में तपोवन विष्णुगढ़ बिजली यूनिट का निर्माण शुरू किया है।
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