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Delhi Riots 2020- The Untold Story Issue : लेखक विलियम डेलरिंपल का वीजा रद करने की मांग

जैसे ही ये खबर आई कि ब्लूम्सबरी ने इस पुस्तक का प्रकाशन रोकने का फैसला लिया है तो लेखक आतिश तासीर ने ट्वीट करके विलियम डेलरिंपल का धन्यवाद किया।

By Tilak RajEdited By: Updated: Sun, 23 Aug 2020 07:46 PM (IST)
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Delhi Riots 2020- The Untold Story Issue : लेखक विलियम डेलरिंपल का वीजा रद करने की मांग
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली दंगों पर लिखी गई किताब 'दिल्ली रॉयट्स 2020- द अनटोल्ड स्टोरी' के प्रकाशन रोकने के प्रकाशक ब्लूम्सबरी के फैसले को लेकर बौद्धिक जगत में आरोप-प्रत्यारोप के तीर चल रहे हैं। इस किताब को सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा ने लिखा है और इसका प्रकाशन ब्लूम्सबरी प्रकाशन से होनेवाला था। शनिवार की दोपहर जब ब्लूम्सबरी ने इसके प्रकाशन को रोकने की घोषणा की, तो उसके इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर पक्ष और विपक्ष में बातें शुरू हो गईं।

जैसे ही ये खबर आई कि ब्लूम्सबरी ने इस पुस्तक का प्रकाशन रोकने का फैसला लिया है, तो लेखक आतिश तासीर ने ट्वीट करके विलियम डेलरिंपल का धन्यवाद किया। आतिश ने लिखा कि वो विलियम डेलरिंपल के आभारी हैं कि उन्होंने इस शर्मनाक स्टेट प्रोपगंडा को रोकने का प्रयास किया, उनके सहयोग के बिना ये संभव नहीं था। आतिश तासीर के इस ट्वीट के बाद ये बात सामने आ गई कि लेखक और जयपुर लिटरेटर फेस्टिवल के डायरेक्टर विलियम डेलरिंपल की इस किताब को रोकने में भूमिका थी। गौरतलब है कि विलियम डेलरिंपल की किताबों के प्रकाशक ब्लूम्सबरी ही हैं।

विलियम डंलरिंपल का नाम आने के बाद सोशल मीडिया पर विलियम डेलरिंपल का वीजा रद करने की मांग उठने लगी। आपको बताते चलें कि विलियम डेलरिंपल ब्रिटिश नागरिक हैं और काफी लंबे समय से भारत में रह रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने ट्वीट किया, 'ब्लूम्सबरी इंडिया अब दिल्ली दंगों की किताब नहीं छापेगा, क्योंकि दिल्ली के फॉर्म हाउस में रहनेवाला एक पाकिस्तानी और एक फिरंगी विलियम डेलरिंपल नहीं चाहता। भारत सरकार को इस विदेशी का वीजा रद करना चाहिए।' इस तरह के कई ट्वीट सोशल मीडिया पर आ रहे हैं।

उधर इस किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा ने ट्वीटर पर ब्लूम्सबरी को टैग करते हुए लिखा, 'ब्लूम्सबरी इंडिया, कृपया अपने लेखकों को हाशिए पर मत डालें। हमें कम से कम एक ईमेल तो लिखा होता कि आप हमारी पुस्तक दिल्ली रॉयट्स,2020- द अनटोल्ड स्टोरी का प्रकाशन नहीं कर रहे हैं। आपने सभी प्लेटफॉर्म से इस किताब को हटा दिया है, ताकि लोग इसको पढ़ नहीं सकें। क्या अंतराष्ट्रीय कार्यकर्ता इस बात का निर्णय करेंगे कि भारतीय क्या पढ़े या नहीं पढ़ें?' साफ है कि मोनिका अरोड़ा भी विलियम डेलरिंपल की ओर ही इशारा कर रही हैं।

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इस वर्ष दिल्ली में हुए दंगों को लेकर मोनिका अरोड़ा की इस किताब के प्रकाशन के पहले ब्लूम्सबरी इंडिया ने शाहीन बाग, फ्रॉम अ प्रोटेस्ट टू अ मूवमेंट नाम की पुस्तक का प्रकाशन किया। इस पुस्तक को लेकर कहीं किसी प्रकार का सवाल खड़ा नहीं किया गया था। अब बौद्धिक जगत में इस बात को लेकर सवाल उठ रहा है कि एक प्रकाशन गृह वैचारिक लड़ाई में क्यों पक्षपात कर रहा है।

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