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Delhi-Varanasi Bullet Train Project: दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना में आई बाधा, रेलवे बोर्ड ने अंतिम रिपोर्ट की खारिज

दिल्ली और वाराणसी के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना की अंतिम रूप से जारी रिपोर्ट को रेलवे बोर्ड ने खारिज कर दिया है। बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह रेलवे बोर्ड के सचिव आरएन सिंह की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

By Shashank_MishraEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 04:06 PM (IST)
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दिल्ली और वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाई-स्पीड रेलवे कारिडोर में आई रुकावट।

नई दिल्ली, एजेंसियां। दिल्ली और वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाई-स्पीड रेलवे कारिडोर में रुकावट आ गई है, जो 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली थी। क्योंकि रेलवे बोर्ड ने इस परियोजना की अंतिम रूप से जारी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने संकेत दिया कि बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह रेलवे बोर्ड के सचिव आरएन सिंह की बैठक में यह निर्णय लिया गया। अंतिम अध्ययन रिपोर्ट नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा प्रस्तुत की गई थी। अंतिम रिपोर्ट में प्रस्तावित कारिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग -2 के साथ बनाया जाएगा। इससे सस्ती दरों पर भूमि के अधिग्रहण और निर्माण की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी के चलते रेलवे बोर्ड हुआ सावधान

हालांकि, बैठक में कहा गया है कि NH-2 में दिल्ली और वाराणसी के बीच कई स्थानों पर घुमावदार खंड थे, जो एक ट्रेन के लिए 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने के लिए अत्यधिक खतरनाक हो जाएगा। सूत्र ने कहा, "350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई स्पीड कारिडोर का ट्रैक सीधा होना चाहिए।" जबकि NHSRCL परियोजना पर काम शुरू करने के लिए उत्सुक है, रेलवे बोर्ड सावधान है, विशेष रूप से मुंबई और अहमदाबाद के बीच चल रही बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी और बाधाओं को देखते हुए।

सूत्रों ने कहा, मुंबई-अहमदाबाद परियोजना की अनुमानित लागत 1.50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि हाई स्पीड कारिडोर बनाने पर प्रति किलोमीटर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने सुझाव दिया है कि अभी के लिए 160- 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से केवल सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें चलाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि लगभग 400 ऐसी ट्रेनें अगले तीन वर्षों में उपलब्ध होंगी और विभिन्न मार्गों पर इस्तेमाल की जा सकती हैं।