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टैंकर से सप्लाई हो सकता है तो नल से क्यों नहीं? SC ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार; हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश

दिल्ली जल संकट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया के सक्रिय होने पर सवाल उठाया।कोर्ट ने कहा कि अगर पानी टैंकर से सप्लाई हो सकता है तो नल से क्यों नहीं आ सकता?कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक टालते हुए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दाखिल कर बताए कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए उसने क्या उपाय किए।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Wed, 12 Jun 2024 11:45 PM (IST)
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SC ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार (Image: ANI)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली जल संकट मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया के सक्रिय होने पर सवाल उठाया। शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि लोग परेशान हैं। नलों में पानी नहीं आ रहा है और टैंकर से पानी आता है। सारे मीडिया में टैंकर माफिया के दिल्ली में सक्रिय होने की खबर चल रही है। दिल्ली सरकार ने इस पर क्या कार्रवाई की है?

हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश

अगर दिल्ली सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो कोर्ट दिल्ली पुलिस से टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहेगा। कोर्ट ने कहा कि अगर पानी टैंकर से सप्लाई हो सकता है तो नल से क्यों नहीं आ सकता? कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक टालते हुए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दाखिल कर बताए कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए उसने क्या उपाय किए हैं।

समस्या से निपटने के लिए क्या किया?

लगातार चली आ रही इस समस्या से निपटने के लिए और क्या किया गया है? इसके अलावा कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को भी फटकार लगाई क्योंकि हिमाचल प्रदेश की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि उसके पास 137 क्यूसिक जल अतिरिक्त है जिसे वह दिल्ली को दे सकता है और इसके बाद कोर्ट ने छह जून को हिमाचल को 137 क्यूसिक अतिरिक्त जल दिल्ली के लिए सात जून से छोड़ने का आदेश दिया था लेकिन हिमाचल ने बाद में यह कहा कि वह तो पहले से ही 137 क्यूसिक अतिरिक्त जल दिल्ली को दे रहा है।

हिमाचल प्रदेश को खरी-खरी सुनाई 

पीठ ने कोर्ट को गुमराह करने के लिए हिमाचल प्रदेश को खरी-खरी सुनाई और अवमानना की चेतावनी दी। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के वकील से कहा कि वह अधिकारी को कोर्ट में बुलाएंगे और उससे पूछेंगे कि उसने किस आधार पर कोर्ट में अतिरिक्त जल होने की बात कही थी। कोर्ट ने छह जून के आदेश के अनुपालन की अपर यमुना रिवर बोर्ड की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद बुधवार को ये बात कहीं।

पानी में की गई कटौती

रिवर बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में जो स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है, उसके मुताबिक हिमाचल प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोई अतिरिक्त जल दिल्ली के लिए नहीं छोड़ा है। हिमाचल का कहना है कि वह तो पहले से ही 137 क्यूसिक अतिरिक्त जल नेचुरल प्रवाह में छोड़ रहा है। उसके पास कोई जलाशय नहीं है जहां से पानी छोड़ा जाए, उसने तो अपने उपयोग के जल में कटौती की है।

बोर्ड ने हिमाचल की ये बात रिपोर्ट में शामिल करते हुए निर्देश मांगा है कि हिमाचल प्रदेश अपने कुल खर्च किए जाने वाले पानी और छोड़े जाने वाले अतिरिक्त जल का आंकड़ा दे और 137 क्यूसिक जल दिल्ली के लिए छोड़े जाने का अपना दावा साबित करे।उपरोक्त टिप्पणियां और आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और प्रसन्ना बालचंद्र वराले की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली जल संकट पर दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।

दिल्ली में गंभीर जल संकट

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली में गंभीर जल संकट की बात कही है और मांग की है कि कोर्ट हरियाणा सरकार को आदेश दे कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा दिल्ली के लिए छोड़ा जाने वाला अतिरिक्त जल दिल्ली को दे। दिल्ली में 52 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा बुधवार को सुनवाई के दौरान जब दिल्ली सरकार की ओर से अपने हलफनामे का हवाला देते हुए हथिनीकुंड बैराज से दिल्ली के लिए पानी छोड़ने के आंकड़े बताए जा रहे थे तभी कोर्ट ने पूछा कि हलफनामा सचिव ने क्यों नहीं दाखिल किया।

छह जून के आदेश का पालन हुआ है कि नहीं

हरियाणा की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने कहा कि दिल्ली जो आंकड़े दे रही है, वह ठीक नहीं है और दिल्ली ने जल बंटवारे के बारे में पूर्व के आदेश भी मामले में पेश नहीं किए हैं। वैसे यहां पर मुद्दा बस इतना है कि कोर्ट के छह जून के आदेश का पालन हुआ है कि नहीं। दीवान ने कहा कि इकोनोमिक सर्वे की रिपोर्ट है कि दिल्ली में करीब 52 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है। तभी कोर्ट ने दिल्ली में पानी के संकट और टैंकर माफिया के सक्रिय होने की मीडिया में आ रही खबरों का हवाला देकर दिल्ली सरकार से सवाल किया कि वह जल की चोरी और बर्बादी रोकने के लिए कोई उपाय क्यों नहीं करती?

जल की चोरी और बर्बादी रोकने को उपाय क्यों नहीं हो सकता?कोर्ट ने कहा कि अगर बिजली चोरी रोकने के लिए कानून हो सकता है तो जल की चोरी और बर्बादी रोकने का उपाय क्यों नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली बर्बाद होने वाले पानी का 10 या 15 प्रतिशत भी बर्बाद होने से रोक ले तो काफी कुछ राहत हो सकती है। पीठ ने कहा कि अगर 137 क्यूसिक अतिरिक्त जल भी आ जाता है और ऐसे ही जल की बर्बादी जारी रही तो क्या होगा समस्या तो वैसी ही बनी रहेगी।

आम आदमी सरकार से पूछा सवाल

कोर्ट ने दिल्ली की आम आदमी सरकार से पूछा कि क्या आप टैंकर से पानी सप्लाई करते हैं तो वकील ने कहा हां लेकिन भाजपा भी ऐसा करती थी। दिल्ली ने कहा कि उसने पानी की बर्बादी रोकने के लिए कदम उठाए हैं और जो लोग पानी चोरी करते थे उनके कनेक्शन काट दिए, गए हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने टैंकर माफिया पर कार्रवाई क्यों नहीं की। कोर्ट ने कहा कि वह इस संबंध में पूर्व के सभी आदेश जानना चाहेंगे।

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