कार्बन बजट की अधिक खपत कर रहे विकसित देश, भारत जैसे देशों के लिए बचा है बहुत कम कार्बन बजट
राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि भारत ने अपने लोगों आर्थिकी और समाज की जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पूरे विश्व के लिए अपनी जलवायु वार्ता को आगे बढ़ाने का विकल्प चुना है। बता दें कार्बन बजट ग्रीनहाउस गैसों की वह मात्रा है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के निश्चित स्तर के लिए उत्सर्जित किया जा सकता है।
नई दिल्ली, पीटीआई। सरकार ने गुरुवार को कहा कि विकसित देशों ने वैश्विक कार्बन बजट का 80 प्रतिशत से अधिक उपभोग कर लिया है। इससे भारत जैसे देशों के पास भविष्य के लिए बहुत कम कार्बन बजट बचा है। राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि भारत ने अपने लोगों, आर्थिकी और समाज की जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पूरे विश्व के लिए अपनी जलवायु वार्ता को आगे बढ़ाने का विकल्प चुना है।
दुनिया को 2030 तक उत्सर्जन को करना है आधा
कार्बन बजट ग्रीनहाउस गैसों की वह मात्रा है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के निश्चित स्तर (इस मामले में 1.5 डिग्री सेल्सियस) के लिए उत्सर्जित किया जा सकता है। भारत में वार्षिक ग्रीनहाउस गैसों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व औसत से काफी नीचे है। 1.5 डिग्री लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावनाओं के लिए दुनिया को 2030 तक उत्सर्जन को 2009 के स्तर से आधा करना होगा।
आठ वर्षों में 2.4 लाख से अधिक भारतीयों ने सरेंडर किए पासपोर्ट
वर्ष 2014 से 2022 तक पूरे भारत में 2,46,580 भारतीयों ने पासपोर्ट सरेंडर किए। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने पासपोर्ट सरेंडर करने वाले भारतीयों का डाटा साझा किया। केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली से 60,414 लोगों ने पासपोर्ट सरेंडर किए।
वहीं पंजाब से 28,117 लोगों ने पासपोर्ट सरेंडर किए। गुजरात से पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की संख्या 22,300 रही। गोवा से पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की संख्या 18,610 रही, जबकि केरल से पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की संख्या 16,247 रही।