उत्सर्जन में कमी के लिए विकासशील देशों को मिलेंगे 100 अरब डॉलर, जी-20 की बैठक में बनी सहमति
जी-20 समूह से जुड़े देशों के वित्त मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में इस बात को लेकर भी रजामंदी बनी कि बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) कर्ज से जूझ रहे देशों को 200 अरब डालर का नया कर्ज मुहैया कराएगा। इसके लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। वहीं एफएसबी की रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि कोई देश चाहे तो क्रिप्टो पर प्रतिबंध भी लगा सकता है।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 18 Jul 2023 11:42 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जलवायु परिवर्तन के तहत उत्सर्जन को कम करने के उपाय के लिए विकसित देश इस साल विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर देंगे। जी-20 समूह के देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के बीच हुई बैठक में इस बात को लेकर सहमति बन गई है।
भारत की अगुआई में यह फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि आठ साल पहले हुए पेरिस समझौते के बाद विकसित देशों ने विकासशील देशों को समझौते के तहत अपनाए जाने वाले उपायों के लिए हर साल 100 अरब डालर देने का वादा किया था, लेकिन किसी तरह का भुगतान नहीं किया गया था। पहली बार विकसित देश इस मद में वित्तीय मदद देने के लिए राजी हुए हैं।
गांधीनगर में जी-20 समूह से जुड़े देशों के वित्त मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में इस बात को लेकर भी रजामंदी बनी कि बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) कर्ज से जूझ रहे देशों को 200 अरब डालर का नया कर्ज मुहैया कराएगा। इसके लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। इससे पहले बेंगलुरू में वित्त मंत्रियों की हुई बैठक में भारत ने इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा था कि एमडीबी विकासशील देशों को कर्ज मुहैया कराने में समान रुख नहीं अपनाता है।
क्रिप्टो पर बनेगा सख्त वैश्विक नियम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में फाइनेंशियल स्टैबिलिटी बोर्ड (एफएसबी) की रिपोर्ट रखी गई। एफसबी ने आपस में सूचना के आदान-प्रदान और डाटा शेय¨रग के आधार पर क्रिप्टो करेंसी को लेकर सख्त वैश्विक नियामक बनाने की सिफारिश की है, जिस पर सभी देशों में सहमति दिखी। सभी देशों ने माना कि क्रिप्टो काफी जोखिम भरा है।एफएसबी की रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि कोई देश चाहे तो क्रिप्टो पर प्रतिबंध भी लगा सकता है। पिछले कुछ सालों में क्रिप्टो से छोटे-छोटे देश काफी प्रभावित हुए हैं। भारत ने ही क्रिप्टो को लेकर वैश्विक नियामक बनाने की पहल की थी और इस संबंध में बेंगलुरू में होने वाली पिछली बैठक में एफएसबी का गठन किया गया था। एफएसबी की रिपोर्ट के आधार पर सितंबर में होने वाली जी-20 की बैठक में क्रिप्टो को लेकर अंतिम दस्तावेज सौंपा जाएगा जिसके बाद ही वैश्विक नियामक को लेकर कोई फैसला हो पाएगा।