सबरीमाला मंदिर पहुंचने से पहले मस्जिद में जाते हैं श्रद्धालु, जानिए कई और बातें
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के दर्शनों को लेकर जहां एक तरफ विवाद हो रहा है वहीं दूसरी तरफ इससे जुड़ी कुछ बातों को कई लोग जानते ही नहीं हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 18 Oct 2018 09:41 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के दर्शनों को लेकर जहां एक तरफ विवाद हो रहा है वहीं दूसरी तरफ इससे जुड़ी कुछ बातों को कई लोग जानते ही नहीं हैं। दरअसल, स्वामी अयप्पा मंदिर में जाने से पहले सभी श्रद्धालुओं को वहां से करीब साठ किमी दूर स्थित एक मंदिर में जाना पड़ता है। यह मस्जिद इरुमलै इलाके में स्थित है। यहां पर सभी श्रद्धालुओं को रुकना होता है, यह इस यात्रा का नियम भी है और वर्षों पुरानी परपंरा है। इस सफेद मस्जिद का नाम वावर मस्जिद है। यहां पर आने वाले श्रद्धालु भगवान अयप्पा के साथ साथ वावर स्वामी की जयकार लगाते हैं। यहां आने के बाद यहां श्रद्धालु मस्जिद की परिक्रमा करते हैं और प्रसाद के तौर पर उन्हें यहां पर विभूति और काली मिर्च दी जाती है। इसके बाद ही श्रद्धालु आगे की यात्रा पूरी करते हैं।
नमाज के बीच पूजा अर्चना
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस मस्जिद में आने वाले सभी श्रद्धालु यहां पर होती नमाज के बीच ही अपनी पूजा अर्चना और परिक्रमा करते हैं। इसको सर्वधर्म समभाव की एक अनूठी मिसाल कहा जा सकता है जो वर्षों से निरंतर चली आ रही है। मंदिर से पहले मस्जिद जाने की यह परंपरा 500 वर्षों से अधिक पुरानी है। एक तरफ जहां मंदिर और मस्जिद को लेकर तरह-तरह की बातें कर तनाव को बढ़ाने की हरकत की जाती है वहीं दूसरी तरफ वावर मस्जिद और सबरीमाला की यात्रा धर्म और आस्था की मिसाइल पेश करता है। यह उन लोगों के लिए जवाब भी है जो धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम करते हैं।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस मस्जिद में आने वाले सभी श्रद्धालु यहां पर होती नमाज के बीच ही अपनी पूजा अर्चना और परिक्रमा करते हैं। इसको सर्वधर्म समभाव की एक अनूठी मिसाल कहा जा सकता है जो वर्षों से निरंतर चली आ रही है। मंदिर से पहले मस्जिद जाने की यह परंपरा 500 वर्षों से अधिक पुरानी है। एक तरफ जहां मंदिर और मस्जिद को लेकर तरह-तरह की बातें कर तनाव को बढ़ाने की हरकत की जाती है वहीं दूसरी तरफ वावर मस्जिद और सबरीमाला की यात्रा धर्म और आस्था की मिसाइल पेश करता है। यह उन लोगों के लिए जवाब भी है जो धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम करते हैं।
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ
वावर मस्जिद में आने वाले श्रद्धालुओं के जुलूस के आगे दो सजाए गए हाथी चलते हैं। मस्जिद के बाद सभी श्रद्धालु पास के ही दो मंदिरों में दर्शन करते हैं। इस मस्जिद की कमेटी हर वर्ष इस विशेष यात्रा की तैयारी करती है। यह सभी के लिए बेहद खास होती है। इस उत्सव को चंदनकुकुडम कहा जाता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इरुमैल में स्थित यह मस्जिद काफी चढ़ाई पर जाकर है। लिहाजा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को थकान हो जाती है। वहीं इरुमैल में काफी संख्या में मुस्लिम आबादी है जो यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जगह की व्यवस्था करती है। मक्का मदीना के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है जहां पर इतनी भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
वावर मस्जिद में आने वाले श्रद्धालुओं के जुलूस के आगे दो सजाए गए हाथी चलते हैं। मस्जिद के बाद सभी श्रद्धालु पास के ही दो मंदिरों में दर्शन करते हैं। इस मस्जिद की कमेटी हर वर्ष इस विशेष यात्रा की तैयारी करती है। यह सभी के लिए बेहद खास होती है। इस उत्सव को चंदनकुकुडम कहा जाता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इरुमैल में स्थित यह मस्जिद काफी चढ़ाई पर जाकर है। लिहाजा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को थकान हो जाती है। वहीं इरुमैल में काफी संख्या में मुस्लिम आबादी है जो यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जगह की व्यवस्था करती है। मक्का मदीना के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है जहां पर इतनी भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
1000 मीटर की ऊंचाई पर है मंदिर
सबरीमाला मंदिर केरल की राजधानी से करीब पांच किमी दूर 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मलयालम में सबरीमाला का अर्थ होता है पर्वत। यह सहयाद्रि पर्वत से घिरे पथनाथिटा जिले में है। पंपा से सबरीमाला तक की पांच किमी की यात्रा श्रद्धालुओं को पैदल ही करनी होती है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड भी है। यहां पर श्रद्धालुओं को ब्राउन या काली रंग की मुंड पहननी होती है। श्रद्धालुओं को उपरी शरीर पर कुछ नहीं पहनना होता है। सऊदी पत्रकार खाशोगी की हत्या में पार कर दी गईं सारी हदें, इन पर है शक की सूईं
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सबरीमाला मंदिर केरल की राजधानी से करीब पांच किमी दूर 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मलयालम में सबरीमाला का अर्थ होता है पर्वत। यह सहयाद्रि पर्वत से घिरे पथनाथिटा जिले में है। पंपा से सबरीमाला तक की पांच किमी की यात्रा श्रद्धालुओं को पैदल ही करनी होती है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड भी है। यहां पर श्रद्धालुओं को ब्राउन या काली रंग की मुंड पहननी होती है। श्रद्धालुओं को उपरी शरीर पर कुछ नहीं पहनना होता है। सऊदी पत्रकार खाशोगी की हत्या में पार कर दी गईं सारी हदें, इन पर है शक की सूईं
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