डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए इन सुझावों पर दें ध्यान, पढ़े एक्सपर्ट की राय
डॉ. अंबरीश मित्तल ने बताया कि ज्यादातर मामलों में डायबिटीज अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से होने वाली समस्या है। कुछ सुझावों पर अमल कर डायबिटीज से बचा जा सकता है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 11 Jan 2020 11:58 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Diabetes Prevention: प्राय: ऐसा देखा गया है कि जब लोगों को पहली बार मधुमेह (डायबिटीज) के बारे में पता चलता है तो वे बहुत ज्यादा मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें दुख की अनुभूति होती है और उनके मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या डायबिटीज को जड़ से खत्म किया जा सकता है? इस सवाल का उत्तर जानने के लिए डायबिटीज होने के कारणों को समझना आवश्यक है। जानें क्या कहते है दिल्ली के मशहूर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. अंबरीश मित्तल।
अधिक वजन और डायबिटीज
डायबिटीज आधुनिक युग में तेजी से बढ़ता एक ऐसा रोग है, जिसका हमारी जीवनशैली (लाइफ स्टाइल) से बहुत गहरा संबंध है। मोटापा डायबिटीज की समस्या का एक बड़ा कारण है। शरीर में संचित अतिरिक्त वसा इंसुलिन के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं को प्रभावित करती है। इस कारण इंसुलिन शरीर में सही तरीके से काम नहीं कर पाती है और समय के साथ इंसुलिन की कमी भी शरीर में बढ़ने लगती है।
मोटापा न सिर्फ डायबिटीज का कारण बनता है, बल्कि यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर और हृदय रोग आदि होने के खतरे को भी बढ़ा देता है। एक बार डायबिटीज हो जाने के बाद इसे जड़ से खत्म कर पाना कठिन है, लेकिन अपने वजन को नियंत्रित करके और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर सुखद रूप से जीवनयापन अवश्य किया जा सकता है।
लाइफ स्टाइल में बदलाव का आशयजीवनशैली में बदलाव करने का मतलब यह नहीं है कि जीने का पूरा तरीका बदल दिया जाए। इसका सही मतलब है कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी आदतें शामिल की जाएं, जो न सिर्फ डायबिटीज को नियंत्रण में रखें, बल्कि आपके स्वास्थ्य को हर तरह से बेहतर बनाएं।तनावमुक्त रहने की कोशिश करेंजब हम तनावग्रस्त होते हैं तो शरीर में कुछ ऐसे हार्मोंस प्रवाहित होते हैं, जो रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को बढ़ाते हैं। इसके अलावा तनाव की स्थिति में लोग अक्सर व्यायाम करना, अपने आहार का ध्यान रखना या अपनी दवाएं लेना भूल जाते हैं। इस कारण भी रक्त शर्करा अनियंत्रित हो जाती है। इसलिए तनाव दूर करने के तरीके खोजना आवश्यक है। व्यायाम के साथ योग व मेडिटेशन मानसिक तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा तनाव कम करने के लिए ऐसी चीजें करना भी लाभप्रद होता है, जिसमें आपकी विशेष दिलचस्पी हो।
धूमपान न करेंडायबिटीज से आपको हृदय रोग, नेत्र रोग, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी, रक्त वाहिका रोग, और पैर से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना रहती है। यदि आप धूमपान करते हैं तो इन समस्याओं के होने की आशंका बढ़ जाती है, क्योंकि धूमपान से कैंसर के अलावा शरीर में खून की नलिकाएं भी अवरुद्ध होती हैं। धूमपान के कारण व्यायाम करने में भी कठिनाई होती है। इसलिए धूमपान छोड़ने के तरीकों के बारे में अपने डॉक्टर से बात जरूर करें और इसे जल्द से जल्द छोड़ें।
मादक पदार्थों से दूर रहेंयदि आप किसी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन करते हैं तो इससे रक्त शर्करा को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। मादक पदार्थ आपकी रक्त शर्करा को बहुत बढ़ा भी सकते हैं और कम भी कर सकते हैं।नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्शअपने डॉक्टर से नियमित रूप से परामर्श करना भी जरूरी है ताकि वे आपकी दवाओं की डोज को सही रूप से निर्धारित कर सकें।
जरूरी है व्यायामनियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर की अनावश्यक वसा घटती है और इंसुलिन बेहतर तरीके से काम कर पाती है। इसलिए डायबिटीज के नियंत्रण के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है, परंतु डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को व्यायाम संबंधी कुछ बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। व्यायाम नियमित रूप से करें। आप एक बार में 40 से 45 मिनट तक व्यायाम कर सकते हैं। डायबिटीज में खाली पेट व्यायाम करने से शुगर कम होने (हाइपोग्लाइसीमिया) की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए व्यायाम करने से पूर्व फल या बादाम, अखरोट का सेवन कर सकते हैं।
ऐसा हो आहारडॉ. अंबरीश मित्तल ने बताया कि डायबिटीज को नियंत्रित करने में उपयुक्त आहार और व्यायाम की भूमिका महत्वपूर्ण है। मौजूदा दौर में खाना जीभ का स्वाद और पेट भरने का साधन मात्र बनकर रह गया है। एक सामान्य धारणा है कि चीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज की समस्या उत्पन्न होती है, परंतु डायबिटीज का एक मुख्य कारण है, हमारी डाइट में पोषक तत्वों का असंतुलन होना। इसलिए पौष्टिक आहार डायबिटीज के नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डायबिटीज में खाने की मात्रा, खाने की गुणवत्ता एवं खाने के समय का ध्यान रखना अनिवार्य है। प्राय: ऐसा देखा गया है कि खाने में रिफाइंड अनाज व चिकनाई (वसा) की मात्रा काफी अधिक होती है। इसलिए इस पर नियंत्रण रखना जरूरी है।
इन सुझावों पर दें ध्यान
- खाने में रेशायुक्त (फाइबर्स) खाद्य पदार्र्थों को वरीयता दें। साबुत अनाज जैसे दलिया, ओट्स, रागी, जौ और चोकरयुक्त आटे का सेवन लाभप्रद होता है।
- तेल, घी का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए अथवा तेल को नियमित रूप से बदलते रहना चाहिए।
- हमारे खाने में सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का खास अभाव होता है। इसलिए हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए अथवा खाने में दाल, चना, छोला, दूध , दही, अंडा जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को भी नियमित रूप से शामिल करें। खाने में संतुलन स्थापित करने के लिए अपनी खाने की प्लेट का आधा हिस्सा फाइबर युक्त सब्जियों से भरें (बिना स्टार्च वाली सब्जि़यां), एक चौथाई हिस्सा प्रोटीन और एक चौथाई हिस्सा कार्बोहाइड्रेट युक्त अनाज से भरें।
- बीच के समय में चाय के साथ बिस्कुट, नमकीन, रस्क जैसे पैकेज्ड खाद्य पदार्थ खाने की बजाय पौष्टिक चीजें जैसे फल, भुना चना, अंकुरित दाल या चना आदि का सेवन फायदेमंद होता है।