राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन कहां रखा था बम? आतंकी ने किया खुलासा; ISIS से जुड़े हैं तार
एनआईए ने रामेश्वरम कैफे धमाके की जांच छह महीने से भी कम समय में पूरी कर ली और बेंगलुरू की विशेष अदालत में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी लेकिन जांच में एनआईए को कई ऐसी जानकारी मिली जो बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश करती हैं। साथ ही कई और बड़ी आतंकी साजिशों का भी खुलासा पकड़े गए आरोपियों ने किया है जो चौंकाने वाले हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन बेंगलुरू में भाजपा का राज्य कार्यालय उड़ाने की साजिश थी। बेंगलुरू के रामेश्वरम कैफे धमाके की चार्जशीट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने यह खुलासा किया है।
छह महीने से कम समय में जांच पूरी कर एनआईए ने बेंगलुरू की विशेष अदालत में आईएसआईएस से जुड़े चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। एक मार्च को रामेश्ववरम कैफे में हुए बम धमाके में नौ लोग घायल हो गए थे। तीन मार्च को एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू की थी।
भाजपा कार्यालय को उड़ाने की साजिश
एनआईए के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आईएसआईएस ने प्राण प्रतिष्ठा के दिन भाजपा राज्य कार्यालय को आइईडी से उड़ाने की साजिश रची थी। रामेश्वरम कैफे में बम रखने वाले मुस्सविर हुसैन शाजिब ने एनआईए की पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि उसने 22 जनवरी को एक आइईडी मोटरसाइकिल में भाजपा कार्यालय में प्लांट किया था, लेकिन तकनीकी कारणों से वह आइईडी विस्फोट नहीं हो पाया था।
भाजपा कार्यालय उड़ाने में विफलता के बाद उसने एक मार्च को रामेश्वरम कैफे में बम विस्फोट किया। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार रामेश्वरम कैफे में बम रखने की साजिश में मुस्सविर हुसैन साजिब के साथ अब्दुल मथीन अहमद टाहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ शामिल थे। एनआईए ने चारों को चार्जशीट में आरोपी बनाया है।
2020 से फरार थे दो दोनों आतंकी
बम रखने वाला शाजिब और टाहा दोनों का नाम इसके पहले आईएसआईएस के अल हिंद माड्यूल में भी सामने आया था, लेकिन 2020 में अल हिंद माड्यूल के भंडाफोड़ के बाद से दोनों फरार थे। ये दोनों ही कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले हैं, जहां वे स्थानीय युवाओं को आईएसआईएस की कट्टर विचारधारा से जोड़ने का प्रयास करते थे और उन्हें सीरिया में आईएसआईएस आतंकियों से मिलने के लिए जाने को प्रेरित करते थे।
माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ भी ऐसे ही युवाओं में था, जो रामेश्वरम कैफे धमाके की साजिश में शामिल हो गया था। एनआईए की चार्जशीट के अनुसार शाजिब और टाहा दोनों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई भारतीय सिम कार्ड खरीद रखे थे और कई बैंक एकाउंट भी खोल रहा था। यही नहीं, दोनों ने डार्क वेब की मदद से कई भारतीय और बांग्लादेशी पहचान के दस्तावेज भी बना लिये थे।
पश्चिम बंगाल से किया गया था गिरफ्तार
एक मार्च को रामेश्वरम कैफे धमाके के 42 दिन बाद एनआईए ने दोनों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एक सजायाफ्ता आतंकी सोएब अहमद मिर्जा ने टाडा का परिचय मोहम्मद शहीद फैसल नाम के आतंकी से कराया था, जो लश्करे तैयाबा के बेंगलुरू साजिश केस में फरार घोषित है।
फैसल ही टाडा का आतंकी गतिविधियों के लिए निर्देश देता था, जिसने बाद में उसकी मुलाकात अल हिंद आतंकी माड्यूल केस के आरोपी मेहबूब पाशा और आईएसआईएस के दक्षिण भारत के अमीर खाजा मोहिदीन से कराई थी। फैसल ने ही टाडा को माज मुनीर अहमद से मिलवाया था। टाडा और फैसल को क्रिटो कैरेंसी के जरिये आतंकी फंडिंग मिलती थी, जिसे वह टेलीग्राम पर आधारित पी2पी प्लेटफार्म के माध्यम से उपयोग करता था।