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क्या राष्ट्रपति पुतिन की वजह से PM मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग की हुई थी मुलाकात? रूस ने दिया जवाब

ब्रिक्स सम्मलेन के दौरान भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इस वार्ता को रूस ने सकारात्मक घटनाक्रम बताया। वहीं रूस ने यह साफ कर दिया कि चीन और भारत के बीच हुई बैठक में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। डेनिस अलीपोव से सवाल पूछा गया कि क्या पीएम मोदी और शी चिनफिंग के बीच हुई मुलाकात में रूस की कोई भूमिका थी?

By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 29 Oct 2024 08:39 AM (IST)
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ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और चीन के बीच हुई बैठक पर रूस ने दी प्रतिक्रिया।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)
एएनआई, नई दिल्ली। रूस के कजान में हुए ब्रिक्स सम्मेलन को रूस ने सफल बताता है। पिछले हफ्ते के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के परिणामों पर दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि यह 35 राज्यों और छह अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं के साथ विस्तारित प्रारूप में पहला शिखर सम्मेलन था, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ-साथ एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह एक समावेशी 'मंच' है।  

रूस में भारत और चीन के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता

ब्रिक्स सम्मलेन के दौरान भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इस वार्ता को रूस ने सकारात्मक घटनाक्रम बताया। वहीं, रूस ने यह साफ कर दिया कि चीन और भारत के बीच हुई बैठक में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

डेनिस अलीपोव से सवाल पूछा गया कि क्या पीएम मोदी (PM Modi) और शी चिनफिंग (Xi Jinping) के बीच हुई मुलाकात में रूस की कोई भूमिका थी? तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि इस बैठक में रूस की कोई भूमिका नहीं थी। गौरतलब है कि हम इस तरह की बैठक का स्वागत करते हैं।

सीमा विवाद पर हुआ समझौता

बता दें कि हाल में संपन्न हुए ब्रिक्स सम्मेलन 2024 से ठीक पहले भारत और चीन अपने सीमांत क्षेत्र में सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक समझौते पर पहुंच गए । यह समझौता पूर्वी लद्दाख की सीमा पर साल 2020 की झड़प के चार साल बाद हुआ है। सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध कई दशकों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। 

बता दें कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर के देपसांग मैदानों और डेमचोक में भारतीय और चीनी सेना के बीच पीछे हटने का प्रोसेस अभी भी जारी है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भारत और चीन आज और 29 अक्टूबर तक वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे।

पीएम मोदी ने की थी सीमा विवाद सुलझाने की अपील

भारत और चीन के बीच हुई बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा था,"सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार होना चाहिए।’

चीन को लेकर विदेश मंत्री ने क्या कहा? 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सैनिकों का पीछे हटना पहला कदम है और उम्मीद है कि भारत 2020 की गश्त की स्थिति में वापस आ जाएगा। विदेश मंत्री ने कहा कि अगला कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करना है। हालांकि, ऐसा तब तक नहीं होगा जब तक भारत को यकीन नहीं हो जाता कि दूसरी तरफ भी यही हो रहा है।

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