Move to Jagran APP

ट्रेन में सफर करने का तो खूब अनुभव होगा, लेकिन भारतीय रेलवे की इन विविधताओं से नहीं होंगे वाकिफ

भारतीय रेलवे अपनी विवधताओं के लिए जाना जाता है। हर श्रेणी के डिब्बों का किराया अलग-अलग होता है लेकिन उनमें इसके अलावा भी कई अंतर होते हैं।

By Srishti VermaEdited By: Updated: Sat, 14 Jul 2018 04:53 PM (IST)
Hero Image
ट्रेन में सफर करने का तो खूब अनुभव होगा, लेकिन भारतीय रेलवे की इन विविधताओं से नहीं होंगे वाकिफ
नई दिल्ली (जेएनएन)। ट्रेन में यात्रा करने का अनुभव तो आपके पास खूब होगा। हो भी क्यों ना दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क होने के नाते भारत में परिवहन का सबसे लोकप्रिय साधन भी तो रेलवे ही है। भारतीय रेलवे अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है। हर तरह के यात्री की क्षमता के हिसाब से भारतीय रेलवे डिजाइन की गई है।वीआइपी स्तर के लोग एसी 1st क्लास में सफर का आनंद लेते हैं तो उनके नीचे स्तर वाले 2nd एसी में सफर करते हैं। जबकि देश की आबादी का एक बड़ा भाग 3rd AC इकोनॉमी कोच में सफर करता है।

वहीं भारत की आबादी का एक एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो अपनी हैसियत के हिसाब से सामान्य कोच में सफर करता है। इन श्रेणियों वाले कोचों का अलग-अलग अपना किराया होता है। लेकिन आपको बता दें कि इनमें सिर्फ किराए भर का अंतर नहीं होता बल्कि अगल-अलग श्रेणी में किराए के साथ साथ कुछ बुनियादी सुविधाएं भी दी जाती हैं। आज आपको इसी के बारे में बतायेंगे, इस खबर के जरिए आप भारतीय ट्रेन की विविधताओं के बारे में जान पायेंगे।

आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि रेलवे के अलग-अलग कोच में सिर्फ किराए भर का ही अंतर होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अलग-अलग श्रेणियों के कोच में सुविधाएं भी अलग-अलग दी जाती हैं। जानते हैं उन कोचों में किराये के अलावा किन-किन प्रकार की बुनियादी सुविधाओं का अंतर होता है। 

फर्स्ट एसी स्लीपर


यह रेलवे का सबसे महंगा क्लास होता है, जिसमें सफर करना हर भारतीय के लिए संभव नहीं है। इसका किराया भारत में चलने वाली एअरलाइंस के आम किराए से कम नहीं होता। यह पूरा कोच वातानुकूलित होता है। और यह सिर्फ महानगर शहरों के चुनिंदा रुट्स के लिए ही संचालित होता है। ऐसे कोच में 18 से 20 यात्रियों के सफर करने तक की सुविधा होती है। इस श्रेणी के कोच में कार्पेट बिछा हुआ होता है जो यात्रियों को सफर का एक खास अनुभव कराता है। इस कोच में सोने के साथ साथ आपकी निजी लग्जरी की सुविधाएं भी होती हैं। राजधानी की First AC का खाना अन्य श्रेणियों में मिलने वाले खाने से कई गुना बेहतर होता है। फर्स्ट एसी में आठ केबिन होते हैं और आधे एसी प्रथम श्रेणी के कोच में तीन केबिन होते हैं। कोच में यात्रियों की मदद करने के लिए एक सेवक होता है। 

सेकंड एसी स्लीपर

रेलवे का Second AC कोच भी स्लीपिंग बर्थ के साथ-साथ पूरी तरह से वातानुकूलित होता है। इसमें एंपल लेग रुम होता है, पर्दे होते हैं और हर यात्री के लिए अलग-अलग रीडिंग लैंप भी लगा होता है। इस कोच में सीटें छह खंडो के दो स्तरों में बंटी होती हैं। चार सीटें कोच की चौड़ाई में फैली हुईं और दो सीटें साइड में। निजता का ख्याल रखते हुए हर सीट में एक पर्दा लगा हुआ होता है। इसमें 48 से 54 यात्री एक बार में सफर कर सकते हैं। 

थर्ड एसी स्लीपर

यह कोच में स्लीपिंग बर्थ होता है औऱ कोच पूरी तरह से फुली एअरकंडीशन्ड होता है। हालांकि इसकी सीटें 2AC के जैसी ही व्यवस्थित होती हैं, लेकिन इसमें चौड़ाई के सापेक्ष तीन सीटें होती हैं और दो साइड में यानी कुल मिलाकर 8 सीटें एक कोच में होती हैं। इसमें पढ़ने के लिए किसी भी प्रकार का कोई लैंप नहीं लगा होता है,लेकिन हाल ही में Third AC कोच को और बेहतर बनाने के प्रयास किए गए हैं। इसमें उपलब्ध कराई जाने वाली बेडिंग का खर्चा आपके किराए में शामिल होता है। इस प्रकार के कोच में 64-65 यात्री सफर करते हैं। 

थर्ड एसी इकोनॉमी स्लीपर

यह कोच भी स्लीपिंग बर्थ के साथ फुली एअरकंडीशन्ड होता है। फिलहाल गरीब रथ में इस तरह का कोच उपलब्ध है। इस कोच की सीटें भी आमतौर पर 3AC की तरह की अरेंज होती हैं लेकिन इसमें थ्री टियर होते हैं। इसमें भी कोई रीडिंग लैंप नहीं होता है और न ही इसमें पर्दे वगैहरा लगे होते हैं। बेडिंग का खर्चा आपके किराए में से काट लिया जाता है जो कि 25 रुपया प्रति यात्री होता है। इस तरह के कोच में भारत की एक बड़ी मध्यमवर्गीय आबादी सफर करती हुई दिखती है।

एसी चेयर कार

रेलवे का यह कोच भी फुली एअरकंडीशन्ड होता है लेकिन इसमें सिर्फ बैठने की जगह होती है, जैसा कि नाम से जाहिर है, चेयर कार। इसमें आम तौर पर एक पंक्ति में पांच लोगों के बैठने की जगह होती है। कुल मिलाकर इसमें सफर कर रहे यात्री सो नहीं सकते हैं उन्हें बैठ कर अपनी यात्रा संपन्न करनी होती है। इससे कहा जा सकता है कि यह लंबी दूरी के लिए नहीं होती है।

एग्जीक्यूटिव एसी चेयर कार

यह भी एयरकंडीशन्ड सीटर कोच होता है, जिसमें एक पंक्ति में सिर्फ चार सीटें ही होती हैं। इस कोच का इस्तेमाल आमतौर पर शहर में घूमने के लिहाज से किया जाता है। इस कोच में भी 2:2 के अनुपात में सीटें लगी हुई होती हैं। इस कोच में मिलने वाला खाना भी शताब्दी और चेयरकार से अलग होता है। यह भी लंबी दूरी की यात्रा के लिए नहीं होता है।

SL - स्लीपर क्लास नॉन एसी

स्लीपर क्लास भारतीय रेलवे का सबसे आम कोच है, आमतौर पर इस तरह के दस या अधिक कोच एक ट्रेन में जोड़े जाते हैं। इस कोच में चौड़ाई में तीन बर्थ होती हैं और दो लम्बाई में होती हैं, इसमें यात्रियों के लिए 72 सीटें होती हैं। आमतौर पर इस कोच में टिकट आरक्षण के लिए यात्रियों के बीच मारामारी देखते बनती है। चूंकि हर कोई एसी कोच में यात्रा करने में सक्षम नहीं होता है तो इस कोच में काफी भीड़ देखने को मिलती है। 

सेकंड सिटींग नॉन एसी


सेकंड सीटिंग कोच सबसे निचले वर्ग के कोच होते हैं। इसमें यात्रियों के लिए केवल बैठने के लिए सीटें होती हैं। एक बर्थ पर 3 यात्री बैठते हैं। इसमें LHB कोच में बैठने के लिए 108 सीटें होती हैं। आम जनता जिसे जनरल डिब्बा कहती है ये वही है। इसमें त्यौहारों के दिनों में लोगों की भीड़ देखते ही बनती है।