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'LAC पर हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा', आखिर विदेश मंत्री जयशंकर ऐसा क्यों कहा?

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे का भारत-चीन संबंधों पर गहरा असर पड़ा है क्योंकि एलएसी पर शांति और स्थिरता को व्यापक द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक शर्त के रूप में देखा गया है। व्यवधानों के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में कमी आई है। भारत और चीन के बीच अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख के पास एलएसी पर तनाव बना हुआ था।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 06 Nov 2024 06:49 AM (IST)
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भारत के विदेश मंत्री जयशंकर (File Photo)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएी) पर सैन्य तनाव समाप्त करने को लेकर भारत और चीन के बीच पिछले महीने हुए समझौते को पूरी तरह से लागू होने में वक्त लगेगा। अभी उक्त समझौते के मुताबिक दोनों देशों की तरफ से अपने अपने सैनिकों को हटाने का काम शुरू हो चुका है।

काम पूरा होने में समय लगेगा

पेट्रोलिंग का काम भी शुरू हो चुका है, लेकिन वर्ष 2020 से पहले की स्थिति में सैनिकों को अपने-अपने स्थान पर भेजने का काम पूरा होने में समय लगेगा। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को आस्ट्रेलिया में एक सार्वजनिक मंच से भारत-चीन संबंधों के बारे में पूछे गये सवाल के जबाव में दिया। जयशंकर ने कहा कि सभी कुछ एक साथ होने नहीं जा रहा, कई स्तरों पर अभी चर्चाएं होंगी।

दोनों देशों के बीच समझौता

भारत और चीन के बीच अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख के पास एलएसी पर तनाव बना हुआ था जिसका असर दोनों देशों के सामान्य संबंधों पर भी पड़ा। दोनों तरफ से हजारों सैनिकों और भारी सैन्य साजों-समान की तैनाती की गी थी। लगातार हो रही चर्चा के बाद 21 अक्टूबर, 2024 को दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है।

द्विपक्षीय रिश्ते सामान्य

इसके बारे में जयशंकर ने कहा कि वर्ष 2020 में जो स्थिति बनी थी उसके बाद दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर कुछ दूरी पर तैनात थी, जो काफी चिंता की बात थी। इसको समाप्त करने के लिए हमने समझौता किया है। हाल ही में प्रधानमंत्री (पीएम नेरन्द्र मोदी) और राष्ट्रपति (शी चिनफिंग) के बीच यह सहमति बनी है कि दोनों देशों के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और दूसरे अधिकारी आपस में विमर्श करेंगे ताकि द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाया जा सके। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इस विमर्श को किस तरह से व किस गति से आगे बढ़ृाते हैं।

भविष्य के लिए महत्वपूर्ण

जयशंकर ने कहा कि हमारी प्राथमिकता इस बात की है कि दोनों देशों की सेनाओं को एक दूसरे दूर भेजा जाए। जहां तक संभव हो सेनाओं को वर्ष 2020 से पहले वाली स्थिति में भेजा जाए। यह काम अभी जारी है। दोनों पक्षों की संतुष्ठि का ख्याल रखना होगा। जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता को स्वीकार किया और कहा कि भारत-चीन के संबंध भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।