Move to Jagran APP

Cauvery dispute: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच बढ़ रहा विवाद, बेंगलुरु के तमिल बहुल इलाकों में बढ़ाई गई सुरक्षा

Cauvery dispute कर्टनाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के जल को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के फैसले के बाद कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन इस मामले में SC ने हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है। जिसके बाद बेंगलुरु के उन इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है जहां बड़ी संख्या में तमिल भाषी आबादी रहती है।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 22 Sep 2023 10:39 AM (IST)
Hero Image
Cauvery dispute: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच बढ़ रहा विवाद
बेंगलुरु, एजेंसी। Cauvery Water dispute: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी (Cauvery Water dispute between tamil nadu and karnataka) के जल को लेकर विवाद चल रहा है। वहीं, बीते दिनों दिल्ली में हुई बैठक में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority) ने राज्य सरकार को तमिलनाडु के लिए 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था। इस बैठक में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार शामिल हुए थे।

कर्नाटक सरकार पहुंची थी SC

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश के बाद कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। जिसके बाद बेंगलुरु के उन इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां बड़ी संख्या में तमिल भाषी आबादी रहती है।

कर्नाटक के बांधों से पानी छोड़ने के आदेश के बाद कन्नड़ कार्यकर्ताओं और किसान संगठनों ने शुक्रवार को पूरे कर्नाटक में बंद का आह्वान किया है। राज्य की राजधानी बेंगलुरु में भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

बेंगलुरु में बढ़ाई गई सुरक्षा

बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी. दयानंद ने DCP को राजधानी शहर में सुरक्षा उपाय बढ़ाने और उन इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं जहां बड़ी संख्या में तमिल लोग रहते हैं।

आदेश के बाद पुलिस ने एहतियाती कदम उठाए हैं और विरोध प्रदर्शन और सड़कें अवरुद्ध करने वाले संगठनों के बारे में जानकारी एकत्र की है।

बेंगलुरु में 1991 में हुई थी हिंसा

1991 में, बेंगलुरु में तमिलों को निशाना बनाकर की गई सबसे बुरी हिंसा देखी गई थी। हिंसा की घटनाएँ मैसूरु शहर में हुईं, जहाँ बड़ी संख्या में तमिल आबादी भी रहती है। ये हमले कर्नाटक से पानी छोड़ने के कावेरी जल न्यायाधिकरण के आदेश का विरोध करने वाले प्रदर्शनों के बाद हुए थे।

इस हिंसा के बाद तमिल आबादी डर गई और हजारों लोग तमिलनाडु की ओर भाग गए। संघर्ष के दौरान पुलिस गोलीबारी में 16 लोग मारे गए। प्रवासी तमिलों की पूरी झुग्गियों को आग लगा दी गई।

हालांकि शुक्रवार को इस मामले पर विरोध प्रदर्शन जारी रहा, लेकिन संगठनों ने 23 सितंबर को मांड्या जिले में बड़े पैमाने पर बंद करने का फैसला किया है, जहां केआरएस बांध स्थित है।

भाजपा और JD (S) नेताओं के इस आरोप के बाद कि कांग्रेस सरकार भारतीय राष्ट्रीय जनतांत्रिक समावेशी गठबंधन (INDIA) को मजबूत करने के लिए तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक पार्टी के साथ मिलीभगत कर रही है, पुलिस विभाग पूरे राज्य में हाई अलर्ट पर है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

कर्नाटक सरकार द्वारा कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण समिति के आदेश को चुनौती दी गई थी। जिस पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि हम तमिलनाडु की उस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है जिसमें कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण समिति के आदेश को (जिसमें 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया गया है) चुनौती दी गई है।

यह भी पढ़ें- Cauvery Water Dispute: जल विवाद को लेकर हुई बैठक, कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का तमिलनाडु को झटका, कर्नाटक को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार