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'जाति-धर्म के आधार पर कैदियों को न करें अलग', गृह मंत्रालय का राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश

केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि जाति-धर्म के आधार पर कैदियों को अलग नहीं करें। इसके साथ ही भेदभावपूर्ण नजरिए से जेल की रसोई के प्रबंधन जैसे काम सौंपना बंद करने की भी हिदायत दी गई है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि कैदियों की चिकित्सकीय देखभाल भी जेल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण चिंता है।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Thu, 29 Feb 2024 10:59 PM (IST)
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जाति-धर्म के आधार पर कैदियों को न करें अलगः गृह मंत्रालय। फाइल फोटो।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि जाति-धर्म के आधार पर कैदियों को अलग नहीं करें। इसके साथ ही भेदभावपूर्ण नजरिए से जेल की रसोई के प्रबंधन जैसे काम सौंपना बंद करने की भी हिदायत दी गई है।

जाती के आधार पर सौंपे जाते हैं काम

गृह मंत्रालय ने कहा कि कुछ राज्यों के जेल मैनुअल में कैदियों को जाति-धर्म के आधार पर अलग करने का प्रविधान है और उन्हें उसके अनुसार ही जेलों में काम सौंपे जाते हैं। हालांकि, भारत का संविधान धर्म, जाति, नस्ल और जन्म के स्थान के आधार पर भेदभाव करने पर रोक लगाता है।

गृह मंत्रालय ने 2016 में जारी किया था आदर्श जेल मैनुअल

गृह मंत्रालय द्वारा तैयार आदर्श जेल मैनुअल-2016 मई, 2016 में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किया गया, जो धर्म-जाति के आधार पर रसोई के प्रबंधन अथवा खाना पकाने में कैदियों के साथ भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। इसके साथ ही इस मैनुअल में किसी विशिष्ट जाति अथवा धर्म से संबंधित कैदियों के समूह के लिए विशेष व्यस्था पर भी प्रतिबंध का प्रविधान है।

कैदियों की चिकित्सकीय देखभाल जेल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण चिंता

गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि कैदियों की चिकित्सकीय देखभाल भी जेल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण चिंता है। ऐसे में कैदियों विशेषतौर पर महिलाओं और बुजर्गों के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के लिए मेडिकल जांच शिविरों का आयोजन किया जाए।

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