'चंदा दो...धंधा लो...', चुनावी बांड से चंदा देने वाली सात फार्मा कंपनियों की हो रही थी जांच; कांग्रेस ने सरकार पर कसा तंज
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया14 मार्च को चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए डाटा से पता चला है कि भारत में 35 दवा कंपनियों ने चुनावी बांड के जरिये राजनीतिक दलों को लगभग 1000 करोड़ रुपए का चंदा दिया है।जब ये कंपनियां बांड खरीद रही थीं तब इनमें से कम से कम सात कंपनियों पर घटिया क्वालिटी की दवाओं के लिए जांच की जा रही थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि चुनावी बांड के जरिये राजनीतिक दलों को 1,000 करोड़ रुपये का चंदा देने वाली 35 दवा कंपनियों में से सात कंपनियों की जांच चल रही थी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 14 मार्च को चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए डाटा से पता चला है कि भारत में 35 दवा कंपनियों ने चुनावी बांड के जरिये राजनीतिक दलों को लगभग 1,000 करोड़ रुपए का चंदा दिया है।
जब ये कंपनियां बांड खरीद रही थीं तब इनमें से कम से कम सात कंपनियों पर घटिया क्वालिटी की दवाओं के लिए जांच की जा रही थी। इनमें खांसी, रक्तचाप को नियंत्रित करने और कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर जैसी दवाएं शामिल हैं। कोई भी यह समझ सकता है कि इन 'घटिया दवाओं' का उत्पादन करने वाली कंपनियों और सरकार के बीच अंदर ही अंदर किस तरह के सौदे हुए होंगे - 'चंदा दो, धंधा लो'।
'क्या लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का इरादा है'
जसराम ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में पूछा कि क्या लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की अपनी 'गारंटी' को पूरा करने का पीएम मोदी का कोई इरादा है। जयराम ने कहा, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के लद्दाख हिल काउंसिल चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था। उन्होंने पूछा, जब लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया तो पीएम के पास लद्दाख के लिए क्या विजन था? क्या इसके लिए लोगों से परामर्श किया गया था।यह भी पढ़ें- SBI ने चुनाव आयोग को मुहैया कराया इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा ब्योरा, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा किया दायर