DPIIT सचिव अनुराग जैन ने कहा- उद्योग लगाने के लिए अब कुछ घंटों में पूरी हो जाती है भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया
DPIIT सचिव अनुराग जैन ने बताया कि यह सब पीएम गतिशक्ति कार्यक्रम के तहत केंद्र और राज्य दोनों के डाटा को एक प्लेटफार्म पर एकत्र करने से संभव हो सका है। राज्यों की तरफ से 600 डाटा लेयर्स पीएम गतिशक्ति प्लेटफार्म पर हैं।
By Ashisha Singh RajputEdited By: Updated: Sun, 18 Sep 2022 10:05 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) के सचिव अनुराग जैन के अनुसार प्रधानमंत्री गतिशक्ति कार्यक्रम पर अमल के बाद भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया काफी आसान हो गई। उन्होंने बताया कि पहले उद्योग लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में महीनों लग जाते थे जबकि अब यह प्रक्रिया घंटों में पूरी हो रही है।
पीएम गतिशक्ति कार्यक्रम
उन्होंने बताया कि यह सब पीएम गतिशक्ति कार्यक्रम के तहत केंद्र और राज्य दोनों के डाटा को एक प्लेटफार्म पर एकत्र करने से संभव हो सका है। राज्यों की तरफ से 600 डाटा लेयर्स पीएम गतिशक्ति प्लेटफार्म पर हैं तो केंद्र की तरफ से 900 डाटा लेयर्स एकत्र हो चुके हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में तेजी लाने एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए रेल, सड़क, संचार जैसे विभिन्न विभागों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से पीएम गतिशक्ति कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इस प्लेटफार्म पर राज्यों की एजेंसियों को जोड़ा जा रहा है ताकि परियोजनाओं को पूरा करने के दौरान एक बार में ही विभिन्न विभागों से जुड़े कार्य को पूरा किया जा सके।
आनलाइन माध्यम से सुविधा हुई आसान
जैन ने बताया कि पहले किसी उद्योग को लगाने के लिए किसी जमीन की पहचान करने पर पहले तहसीलदार के यहां जाना पड़ता था कि वह जमीन किस एजेंसी के पास है। फिर संबंधित विभाग और उनसे जुड़ी एजेंसी से संपर्क करना पड़ता था और इसमें महीनों लग जाते थे। अब तमाम डाटा होने एवं आनलाइन रूप से सभी एजेंसियों के जुड़ जाने से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया घंटों में पूरी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि पहले परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने में साल भर लग जाते थे। अब एक से दो माह में यह काम पूरा हो जाता है।
अभी गतिशक्ति पोर्टल पर लगभग 1800 परियोजनाएं
अनुराग जैन ने बताया कि अभी गतिशक्ति पोर्टल पर लगभग 1800 परियोजनाएं हैं। सरकार की तरफ से उद्योग स्थापित करने एवं कारोबारी प्रक्रिया को लगातार आसान बनाया जा रहा है। पहले एक उद्यमी को श्रम मंत्रालय से जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए 62 फार्म भरने होते थे। अब उन्हें सिर्फ पांच फार्म भरने होते हैं। राज्यों में कारोबार को आसान बनाने के लिए लाजिस्टिक ईज एक्रास डिफरेंट स्टेट (लिड्स) सर्वे पिछले कुछ सालों से कराया जा रहा है। इसका नतीजा यह निकला है कि राज्यों के बीच अब कारोबार को आसान बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा होने लगी है। इस सर्वे में सभी राज्यों की सैकड़ों लाजिस्टिक एसोसिएशन भाग लेती है।
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