'कोई देश नहीं जहां बहुमत समाज ने आस्था के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ी', अमित शाह बोले- राम के बिना नहीं हो सकती भारत की कल्पना
17वीं लोकसभा के अंतिम सत्र में राम मंदिर निर्माण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने राम राज्य के रूप में मोदी सरकार की नीतियों को भी परिभाषित किया। आंदोलन के पड़ावों का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने पार्टी और विचार परिवार के पुरोधाओं को भी याद किया। कहा कि निहंगों द्वारा शुरू की गई लड़ाई को अशोक सिंहल चरम तक ले गए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा के अंतिम सत्र में राम मंदिर निर्माण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने राम राज्य के रूप में मोदी सरकार की नीतियों को भी परिभाषित किया। अयोध्या में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि 22 जनवरी को ऐतिहासिक और समग्र भारत की आध्यात्मिक चेतना के पुनर्जागरण का दिन बताया।
हवन में हड्डी न डालेंः अमित शाह
बिना किसी दल का नाम लिए कहा कि जो लोग अपने इतिहास को नहीं पहचानते, वह अपने अस्तित्व और वजूद को खो देते हैं। राम के चरित्र और राम को देश के जनमानस का प्राण बताते हुए अमित शाह ने कहा कि जो लोग राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वह भारत को नहीं जानते। वह हमारे गुलामी काल का प्रतिनिधित्व करते हैं। गुजरात की कहावत दोहराते हुए चेताया भी कि हवन में हड्डी न डालें।
राम मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध थी भाजपाः गृह मंत्री
गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि राम का राज्य किसी एक धर्म या संप्रदाय के लिए नहीं है। राम और राम के चरित्र को फिर से स्थापित करने का काम 22 जनवरी को नरेन्द्र मोदी के हाथों से हुआ है। यह भी संदेश दिया कि राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा प्रतिबद्ध थी। कहा कि 1990 में जब इस आंदोलन ने गति पकड़ी, उससे पहले से ही भाजपा का यह जनता से वादा था।गृह मंत्री ने मोदी सरकार के दस वर्ष के प्रमुख निर्णयों का कराया स्मरण
गृह मंत्री ने मोदी सरकार के दस वर्ष के प्रमुख निर्णयों का भी स्मरण भी कराया। कहा कि विपक्षी राम मंदिर ही नहीं, अनुच्छेद 370, तीन तलाक, यूसीसी आदि के लिए कहते रहे कि वोट प्राप्त करने के लिए भाजपा चुनावी वादा करती है, लेकिन जब इनको हम पूरा कर देते हैं तो बड़ी मुखालफत करते हैं। भाजपा और मोदी जो कहते हैं, वह करते हैं। यह हमारी पार्टी का चरित्र है।
राम मंदिर के लिए हमने देखी राहः शाह
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने पूरी दुनिया में भारत के पंथ निरपेक्ष चरित्र को उजागर किया है। दुनिया में एक भी ऐसा देश नहीं है, जहां बहुमत समाज ने अपनी आस्था का निर्वहन करने के लिए इतनी लंबी लड़ाई। हमने राह देखी है और सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी है। जो बोल रहे हैं, उन्हें भी पता है कि वह क्यों बोल रहे हैं। गुजराती में कहावत है कि हवन में हड्डी नहीं डालनी चाहिए। पूरा देश जब आनंद में डूबा है तो उससे जुड़ जाओ, उसी में देश का और सबका भला है।पीएम मोदी ने की जन आकांक्षाओं की पूर्ति
आंदोलन के पड़ावों का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने पार्टी और विचार परिवार के पुरोधाओं को भी याद किया। कहा कि निहंगों द्वारा शुरू की गई लड़ाई को अशोक सिंहल चरम तक ले गए। लालकृष्ण आडवाणी ने जनजागृति की और पीएम मोदी ने जन आकांक्षाओं की पूर्ति कर दी। उन्होंने कहा कि जब भी दुनिया का इतिहास लिखा जाएगा, यह आंदोलन लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए याद किया जाएगा।
शाह ने विपक्ष को एक बार फिर चेताया कि इतने चेतनामय वातावरण के अंदर भी विभाजन की बात करने वालों से निवेदन है कि समय को पहचानो, एकता के संदेश को स्वीकारो और आगे देखकर चलना सीखे। इसी में भारत की और हम सबकी भलाई है।यह भी पढ़ेंः रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा के दौरान राममय हुई संसद, सभी दलों ने राम के अनेक स्वरूपों का किया गुणगान