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तेजी से बढ़ रहा ड्रोन मार्केट, दुश्मनों के बेड़े पर नजर रखने से लेकर सामानों की डिलीवरी तक में हो रहा इस्तेमाल

दुनिया के कई देशों में पहले से ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी लोकप्रियता पूरे विश्व में तेजी से बढ़ी है। भारत समेत कई देश खुद ड्रोन बनाना शुरू कर चुके हैं जिससे देश की ताकत बढ़ेगी।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 21 May 2023 05:39 PM (IST)
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दुनियाभर में तेजी से हो रहा ड्रोन का विस्तार
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। आज के दौर में दुनिया तकनीकी क्षेत्र में काफी विस्तार कर रहा है। इसी बीच, बहुत अधिक मात्रा में ड्रोन शब्द का इस्तेमाल भी देखा जा रहा है। दरअसल, ड्रोन की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि इसने हर एक काम को काफी हद तक आसान बना दिया है। चाहे, कहीं वीडियो बनाना हो या कहीं निगरानी रखनी हो, ड्रोन ने सब कुछ आसान कर दिया है।

यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम ड्रोन का इस्तेमाल कैसे करना चाहते हैं। हालांकि, बहुत से लोगों को इस बारे में नहीं पता होगा कि इसका आविष्कार किसने किया था और आज के समय में इसकी उपयोगिता किस हद तक बढ़ चुकी है। इस खबर के माध्यम से हम आपको ड्रोन से जुड़े सभी सवालों के जवाब देंगे।  

क्या होता है ड्रोन? (What Is Drone)

ड्रोन को UAV या RPAS कहा जाता है। UAV का अर्थ 'Unmanned Aerial Vehicles' और RPAS या 'Remotely Piloted Aerial Systems' के नाम से जाना जाता है। अगर आम शब्दों में कहे, तो ड्रोन को मानव रहित मिनी हेलिकॉप्टर कहा जा सकता है। ड्रोन को एक रिमोट सॉफ्टवेयर के जरिए नियंत्रित किया जाता है। ड्रोन का इस्तेमाल अलग-अलग कामों के लिए किया जाने लगा है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा बढ़ी है। आज के समय में ड्रोन टेक्नोलॉजी में लगातार नए-नए विस्तार हो रहे हैं।

कितने प्रकार के होते हैं ड्रोन? (Types Of Drones)

ड्रोन को उसके वजन के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है। ड्रोन का वजन 250 ग्राम से लेकर 150 किलोग्राम से भी ज्यादा हो सकता है। यूं तो ड्रोन कई प्रकार के होते हैं, लेकिन मुख्यत इसे दो प्रकार में बांटा गया है। इसमें एक होता है रोट्री ड्रोन, जिसमें अलग-अलग प्रकार के ड्रोन आते हैं और दूसरा होता है फिक्स्ड विंग ड्रोन।

सिंगल रॉटर हेलीकॉप्टर: यह एक प्रकार का छोटा ड्रोन होता है, जिसमें एक रॉटर होता है। इसके पिछले हिस्से में भी एक छोटा रॉटर लगा रहता है, जो कंट्रोल करता है। यह काफी लंबे समय तक हवा में रह सकता है। इस ड्रोन की कीमत सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि इसके रॉटर का ब्लेड काफी बड़ा होता है।

मल्टी रॉटर ड्रोन: आज के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल मल्टी रॉटर ड्रोन का किया जाता है। इसे कई तरह के प्रोफेशनल कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए समझ सकते हैं कि इस ड्रोन का इस्तेमाल फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और निगरानी करने जैसे कामों के लिए अधिक होता है। मल्टी रॉटर ड्रोन के अंदर ट्राइकॉप्टर, क्वाडकॉप्टर ड्रोन, हेक्साकॉप्टर और ऑक्टॉकोप्टर शामिल होता है।

फिक्स्ड विंग ड्रोन: यह अपनी रचना और बनावट की वजह से काफी अलग होता है। इस ड्रोन में हवाई जहाज के जैसे पंख होते हैं। इस प्रकार के ड्रोन काफी भारी होते हैं। यह ड्रोन काफी भारी होते हैं और लंबे समय तक हवा में निगरानी और अटैक कर सकते है। इस ड्रोन को टेक ऑफ करने के लिए रनवे की जरूरत पड़ती है।

इस प्रकार के ड्रोन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा आर्मी द्वारा किया जाता है। यह ड्रोन काफी महंगे होते हैं और इसे चलाने के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है।

ड्रोन का आविष्कार किसने किया? (Who Invented Drone)

ड्रोन को एक कामयाब और बेहतरीन आविष्कार माना गया है। इसके जरिए कई बड़े-बड़े काम को आसानी से पूरा किया जा रहा है। हालांकि, ड्रोन के आविष्कारक को लेकर कई सारे तर्क है। एक रिर्पोट के मुताबिक, 1849 में ऑस्ट्रिया मे एक मानव रहित बम फेंकने वाला उपकरण बनाया गया था, जो दिखने में गुब्बारे जैसा था।

इसके बाद माना जाने लगा कि 1915 में एक वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने ऑटोमेटिक लड़ाकू विमान बनाने के लिए इस आइडिया का इस्तेमाल किया, जो मानवरहित था। इसे एक आधुनिक ड्रोन माना गया था।

आधुनिक ड्रोन के पहले संस्करण का आविष्कारक अब्राहम करेम को माना जाता है। उन्होंने फिक्स्ड और रोटरी-विंग मानव रहित वाहन डिजाइन किया था। उन्हें यूएवी ड्रोन टेक्नोलोजी का संस्थापक यानी पिता के माना जाता है।

भारत में ड्रोन को लेकर क्या लॉ है? (Law For Drone In India)

भारत में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा ड्रोन को लेकर कुछ नियम-कानून बनाए गए हैं। इनके वजन के मुताबिक, ड्रोन की गाइडलाइंस तय की गई हैं। यदि कोई भी इसके नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। उनके वजन के अनुसार, गाइडलाइन्स तैयार किए गए हैं और कई इलाकों में ड्रोन उड़ाने पर कई प्रतिबंध लगाया गया है।

  • नेनो ड्रोन, जिनका वजन 250 ग्राम तक होता है, उसे उड़ाने के लिए किसी लाइसेंस और परमिशन की जरूरत नहीं होती है।
  • माइक्रो ड्रोन, जिनका वजन 250 ग्राम से लेकर दो किलो तक होता है, उसको उड़ाने के लिए यूएएस ऑपरेटर परमिट-I से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके साथ ही, ड्रोन को रजिस्टर भी करवाना पड़ता है। ड्रोन उड़ाने वाले को SOP को भी फॉलो करना होता है।
इसके अलावा, 2 किलो से लेकर 150 किलो के वजन के ड्रोन उड़ाने के लिए डीजीसीए से परमिट और लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है। यदि किसी प्रतिबंधित जगह पर ड्रोन उड़ाया जाता है, तो ऐसे में भी डीजीसीए से अनुमति लेनी पड़ती है। यदि इन ड्रोन को बिना अनुमति उड़ाया जाता है, तो इसे गैरकानूनी माना जाता है और ऑपरेटर को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।

ड्रोन के नियमों का उल्लंघन करने पर क्या है प्रावधान?

  • ड्रोन को बिना लाइसेंस या प्रतिबंधित जगह पर उड़ाने के लिए ऑपरेटर को 25,000 रुपए का जुर्माना देना पड़ सकता है।
  • यदि कोई ऑपरेटर नो-ऑपरेशन जोन में ड्रोन उड़ाता है, तो उसे 50,000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

ड्रोन को उड़ाने के लिए क्षेत्रों का हुआ विभाजन

ड्रोन को उड़ाने के लिए क्षेत्रों को 3 जोन में बांटा गया है। इसमे रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन शामिल है।

  • एयरपोर्ट, इंटरनेशनल बॉर्डर, मिलिट्री इंस्टॉलेशन, सरकारी दफ्तर, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को रेड जोन में रखा जाता है। इस क्षेत्र में किसी को भी ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होती है।
  • येलो जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए ऑपरेटर को अथॉरिटी से परमिशन लेनी होती है।
  • ग्रीन जोन में किसी भी ड्रोन को उड़ाने के लिए किसी तरह की अनुमति की जरूरत नहीं होती है। इस क्षेत्र में कोई भी ड्रोन उड़ा सकता है।

कैसे ले सकते हैं ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस?

नैनो और माइक्रो ड्रोन के अलावा, किसी भी अन्य ड्रोन को उड़ाने के लिए लाइसेंस या परमिट लेने की जरूरत होती है। इसके लिए प्रशासन की ओर से दो तरह के लाइसेंस दिए जाते हैं। पहला, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस होता है और दूसरा, रिमोट पायलट लाइसेंस होता है। ड्रोन के साइज और क्षेत्र को देखते हुए लाइसेंस जारी किया जाता है।

लाइसेंस लेने के लिए किन बातों की आवश्यकता

  • ड्रोन लाइसेंस लेने के लिए ऑपरेटर की न्यूनतम आयु 18 साल और अधिकतम 65 साल होनी चाहिए।
  • ड्रोन ऑपरेटर कम से कम 10वीं पास होना चाहिए।
  • ड्रोन का लाइसेंस लेने के लिए डीजीसीए स्पेसिफाइड मेडिकल एग्जामिनेशन पास करना होता है।
  • स्टूडेंट रिमोट या रिमोट पायलट लाइसेंस जारी करने से पहले ऑपरेटर का बैकग्राउंड चेक किया जाता है।