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Droupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने पर आदिवासी जन परिषद ने जताई खुशी

प्रेम एस मुंडा ने बुधवार को कहा कि विपक्षी दलों को आदिवासी समुदायों को प्राथमिक भूमिकाओं में शामिल करना सीखना चाहिए। उन्होंने विपक्षी दलों से सर्वसम्मति से द्रौपदी मुर्मू को भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुनने की अपील की है।

By Piyush KumarEdited By: Updated: Thu, 23 Jun 2022 03:47 AM (IST)
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जन परिषद के प्रमुख प्रेम एस मुंडा की फाइल फोटो।
 रांची, एएनआइ। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने पर जन परिषद के प्रमुख प्रेम साही मुंडा (Prem Sahi Munda) ने खुशी जाहिर की है। प्रेम साही मुंडा ने बुधवार को कहा कि विपक्षी दलों को भी आदिवासी समुदायों को प्राथमिक भूमिकाओं में शामिल करना सीखना चाहिए। उन्होंने विपक्षी दलों से सर्वसम्मति से द्रौपदी मुर्मू को भारत की राष्ट्रपति के रूप में चुनने की अपील की है। प्रेम एस मुंडा ने एएनआइ से बातचीत करते हुए कहा, 'मैं विपक्षी दलों (राजद, कांग्रेस, टीएमसी) से अपील करता हूं कि वो सर्वसम्मति से एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को भारत की राष्ट्रपति बनाने में मदद करें।' उन्होंने कहा, 'आजादी के 75 साल बाद, कभी भी कोई आदिवासी व्यक्ति एनडीए (NDA) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित नहीं हुआ, हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।'

25 जून को नामांकन दाखिल करने सकती हैं द्रौपदी मुर्मू

बता दें कि द्रौपदी मुर्मू को मंगलवार को राजग की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। वह ओडिशा की पूर्व मंत्री हैं। सूत्रों ने बताया कि वो 25 जून को नामांकन दाखिल कर सकती हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह भी घोषणा की कि 18 जुलाई, 2022 को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा विपक्षी दलों के आम उम्मीदवार होंगे।

झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है, मतदान 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा। निर्वाचित होने पर द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं। उन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

जानिए कैसे की थीं द्रौपदी मुर्मू ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत

ओडिशा के एक पिछड़े जिले मयूरभंज के एक गरीब आदिवासी परिवार से आने वाली द्रौपदी मुर्मू ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में बतौर शिक्षक पढ़ाया भी है। 20 जून, 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने रमादेवी महिला कालेज, भुवनेश्वर में बीए किया उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत रायरंगपुर एनएसी के उपाध्यक्ष के रूप में की थी। द्रौपदी मुर्मू 2000 और 2004 के बीच रायरंगपुर से ओडिशा विधानसभा की सदस्य थीं। एक मंत्री के रूप में, उन्होंने परिवहन और वाणिज्य, पशुपालन और मत्स्य पालन विभागों का कार्यभार संभाला। उन्होंने 2004 से 2009 तक ओडिशा विधानसभा में फिर से विधायक के रूप में कार्य किया।

बता दें कि साल 2007 में ओडिशा विधानसभा ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए 'नीलकंठ पुरस्कार' से सम्मानित किया। उन्होंने 1979 और 1983 के बीच सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में कार्य किया। उन्होंने भाजपा में कई संगठनात्मक पदों पर कार्य किया है और 1997 में राज्य एसटी मोर्चा की उपाध्यक्ष भी रहीं। द्रौपदी मुर्मू 2013 से 2015 तक भाजपा के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य थीं और 2010 और 2013 में मयूरभंज (पश्चिम) के भाजपा जिला प्रमुख के रूप में उन्होंने कार्य किया। 2006 और 2009 के बीच वह ओडिशा में भाजपा के एसटी मोर्चा की प्रमुख थीं। वह 2002 से 2009 तक भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं।