कम पलकें झपकाने से हो सकता है 'ड्राई आई सिंड्रोम', जरूरी है आंखों का झपकना; रहें सावधान!
ड्राई आई सिंड्रोम में या तो आंखों में आंसू बनना कम हो जाता है या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। दरअसल आंसू आंख के कॉर्निया व कन्जंक्टाइवा को गीला रखकर उसे सूखने से बचाते है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 02 Aug 2019 08:49 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पलकें झपकाना सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि आंखों की तरलता बनाए रखने के लिए पलकों का झपकना बेहद जरूरी है, लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक पलकें झपकाने से दिमाग को ताजगी मिलती है क्योंकि पल भर के इसी लम्हें में हमारा दिमाग आराम कर लेता है। आंसू को हम दुखों का पर्याय मानते हैं, पर आंखों की अच्छी सेहत के लिए आंसू भी बेहद जरूरी हैं। इसी की वजह से आंखों की कुदरती नमी बरकरार रहती है, पर आजकल लोगों की आंखों में रूखेपन की समस्या तेजी से बढ रही है। आधुनिक जीवनशैली ने जिन स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है, ड्राई आई सिंड्रोम भी उन्हीं में से एक है। इसमें आंखों की नमी कम हो जाती है। सामान्य दृष्टि के लिए आंखों में नमी होना बहुत जरूरी है।
क्यों जरूरी है पलकें झपकाना
आपने देखा होगा कि स्वस्थ आंखों की पुतलियां हमेशा गीली नजर आती हैं। दरअसल आंखों की पुतलियों पर एक खास तरह का लिक्विड होता है, जो ल्युब्रिकेंट की तरह काम करता है। जब आप पलकें झपकाते हैं, तो ये ल्युब्रिकेंट पुतलियों में अच्छी तरह फैलता रहता है और आंखों की पुतलियों पर नमी बरकरार रहती है। इसके उलट जब आप पलकें कम झपकाते हैं, तो ल्युब्रिकेंट सही तरीके से आंखों में फैलता नहीं है। इसी कारण से आंखों में सूखापन आ जाता है, जिसे ड्राई आई सिंड्रोम कहा जाता है।
आपने देखा होगा कि स्वस्थ आंखों की पुतलियां हमेशा गीली नजर आती हैं। दरअसल आंखों की पुतलियों पर एक खास तरह का लिक्विड होता है, जो ल्युब्रिकेंट की तरह काम करता है। जब आप पलकें झपकाते हैं, तो ये ल्युब्रिकेंट पुतलियों में अच्छी तरह फैलता रहता है और आंखों की पुतलियों पर नमी बरकरार रहती है। इसके उलट जब आप पलकें कम झपकाते हैं, तो ल्युब्रिकेंट सही तरीके से आंखों में फैलता नहीं है। इसी कारण से आंखों में सूखापन आ जाता है, जिसे ड्राई आई सिंड्रोम कहा जाता है।
क्या है ड्राई आई सिंड्रोम
ड्राई आई सिंड्रोम में या तो आंखों में आंसू बनना कम हो जाता है या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। दरअसल आंसू, आंख के कॉर्निया व कन्जंक्टाइवा को नम व गीला रखकर उसे सूखने से बचाते हैं। वहीं हमारी आंखों में एक टियर फिल्म होती है, जिसकी सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली लेयर कहा जाता है। यही लिपिड लेयर आंसू के ज्यादा बहने, गर्मी एवं हवा में आंसू के सूखने या उड़ने को कम करती है। लिपिड या फिर यह ऑयली लेयर ही आंखों की पलकों को चिकनाई प्रदान करती है, जिससे पलकों को झपकाने में आसानी रहती है। लेकिन बहुत देर तक कंप्यूटर पर काम करने या बहुत ज्यादा टीवी देखने या फिर लगातार एयरकंडीशन में रहने से आंखों की टीयर फिल्म प्रभावित होती है और आंखें सूखने लगती हैं। इसे ही ड्राई आई सिंड्रोम कहा जाता है।
ड्राई आई सिंड्रोम में या तो आंखों में आंसू बनना कम हो जाता है या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। दरअसल आंसू, आंख के कॉर्निया व कन्जंक्टाइवा को नम व गीला रखकर उसे सूखने से बचाते हैं। वहीं हमारी आंखों में एक टियर फिल्म होती है, जिसकी सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली लेयर कहा जाता है। यही लिपिड लेयर आंसू के ज्यादा बहने, गर्मी एवं हवा में आंसू के सूखने या उड़ने को कम करती है। लिपिड या फिर यह ऑयली लेयर ही आंखों की पलकों को चिकनाई प्रदान करती है, जिससे पलकों को झपकाने में आसानी रहती है। लेकिन बहुत देर तक कंप्यूटर पर काम करने या बहुत ज्यादा टीवी देखने या फिर लगातार एयरकंडीशन में रहने से आंखों की टीयर फिल्म प्रभावित होती है और आंखें सूखने लगती हैं। इसे ही ड्राई आई सिंड्रोम कहा जाता है।
आंखों का मॉइस्चराइजर
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि आंसू भी हमारी आंखों के लिए बेहद जरूरी हैं। आंखों में मौजूद लैक्रीमल ग्लैंड आंसू बनाने का काम करते हैं। दरअसल आंसू हमारी आंखों के लिए कुदरती मॉइस्चराइजर की तरह होते हैं। आंखों को स्वस्थ बनाए रखने में इनकी अहम भूमिका होती है। इसी वजह से आंखों की ऊपरी सतह नम रहती है और पलकें झपकाने पर उनको आराम मिलता है। आई बॉल्स के संचालन के साथ आंसू आंखों में मौजूद गंदगी हटाने का भी काम करते हैं। इसी नमी की वजह से आई बॉल्स को ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। आंसू में मौजूद एंजाइम आंखों को इंफेक्शन से भी बचाता है। आंखों से आंसू निकलना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। प्रतिदिन हमारी आंखों से आंसू निकलते रहते हैं और पलकों के भीतरी कोने से छन कर नाक में चले जाते हैं, लेकिन कभी-कभी आंखों में रुखापन आने लगता है। ऐसी स्थिति में लैक्रीमल ग्लैंड से आंसुओं का सिक्रीशन नहीं होता या उनके सूखने की गति तेज हो जाती है। इससे आंखों में किरकिरी, जलन और चुभन महसूस होती है। कई बार ऊपरी पलकों में इंफेक्शन भी हो जाता है। ऐसी समस्या को एवेपोरेटिव टियर डिफिशिएंसी कहा जाता है।बचाव एवं उपचार
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि आंसू भी हमारी आंखों के लिए बेहद जरूरी हैं। आंखों में मौजूद लैक्रीमल ग्लैंड आंसू बनाने का काम करते हैं। दरअसल आंसू हमारी आंखों के लिए कुदरती मॉइस्चराइजर की तरह होते हैं। आंखों को स्वस्थ बनाए रखने में इनकी अहम भूमिका होती है। इसी वजह से आंखों की ऊपरी सतह नम रहती है और पलकें झपकाने पर उनको आराम मिलता है। आई बॉल्स के संचालन के साथ आंसू आंखों में मौजूद गंदगी हटाने का भी काम करते हैं। इसी नमी की वजह से आई बॉल्स को ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। आंसू में मौजूद एंजाइम आंखों को इंफेक्शन से भी बचाता है। आंखों से आंसू निकलना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। प्रतिदिन हमारी आंखों से आंसू निकलते रहते हैं और पलकों के भीतरी कोने से छन कर नाक में चले जाते हैं, लेकिन कभी-कभी आंखों में रुखापन आने लगता है। ऐसी स्थिति में लैक्रीमल ग्लैंड से आंसुओं का सिक्रीशन नहीं होता या उनके सूखने की गति तेज हो जाती है। इससे आंखों में किरकिरी, जलन और चुभन महसूस होती है। कई बार ऊपरी पलकों में इंफेक्शन भी हो जाता है। ऐसी समस्या को एवेपोरेटिव टियर डिफिशिएंसी कहा जाता है।बचाव एवं उपचार
- घर से बाहर निकलते समय हमेशा अच्छी क्वॉलिटी का सनग्लास पहनें
- आमतौर पर आंखों की नमी बढाने वाले आई ड्राप्स से ड्राई आई की समस्या दूर हो जाती है
- कंप्यूटर पर काम करते या पढते समय हर एक घंटे के अंतराल पर दो मिनट के लिए अपनी आंखें बंद करें
- अपने मन से दवाओं का सेवन न करें क्योंकि कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट से भी आंखों की नमी सूखने लगती है
- ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों के लिए बहुत जरूरी है। मछली, अखरोट, बादाम और फ्लैक्ससीड में यह तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है
- अगर कोई तकलीफ न हो तो भी कम से कम साल में एक बार रुटीन आई चेकअप जरूर करवाएं और डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करें
- अगर कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करती हैं तो उसे नियमित रूप से अच्छी तरह साफ करें। बेहतर यही होगा आप अच्छी क्वॉलिटी का डिस्पोजेबल कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करें
- अपने भोजन में ऐसी चीजों को शामिल करें, जिनमें एंटी ऑक्सीडेंट तत्व और विटमिन ए पर्याप्त मात्रा में मौजूद हों। इसके लिए संतरा, पपीता, आम, नीबू और टमाटर आदि का सेवन फायदेमंद होता है