सरकारी नियंत्रण से डाटा सेंटरों में निवेश करना होगा कठिन, आइटीआइ ने सरकार को मिली शक्तियों पर उठाए सवाल
आइटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि सरकार के लिए छूट केवल सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखना आपात स्थिति महामारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों जैसी विशेष परिस्थितियों में ही होगी। देश के बाहर भंडारित करने की अनुमति जैसे मुद्दों पर विधेयक का समर्थन किया है।
नई दिल्ली, पीटीआई। प्रस्तावित डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक-2022 के तहत सरकार को महत्वपूर्ण नियंत्रण और छूट से कंपनियों के लिए भारत में डाटा सेंटरों और डाटा प्रोसेस्ड गतिविधियों में निवेश करना कठिन हो सकता है। वैश्विक प्रौद्योगिकी उद्योग के संगठन आइटीआइ ने यह आशंका जताई है। आइटीआइ ने कहा है कि यह विधेयक भारत सरकार की कार्यकारी शाखा को महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इसमें सरकार के लिए कई तरह की छूट हैं जो कंपनियों के लिए भारत में डाटा केंद्रों और डाटा प्रसंस्करण गतिविधियों में निवेश को मुश्किल बना सकती हैं। इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक-2022 का मसौदा तैयार किया है और दो जनवरी तक इस पर आम लोगों से राय मांगी है।
आइटीआइ वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों गूगल, माइक्रोसाफ्ट, मेटा, ट्विटर और एपल का प्रतिनिधित्व करती है। आइटीआइ ने कहा कि डीपीडीपी के मसौदे में सरकार द्वारा अधिसूचित डाटा ट्रस्टियों को कई अनुपालन बोझ से छूट दी गई है। इनमें डाटा संग्रह के उद्देश्य के बारे में किसी व्यक्ति को सूचित करने से संबंधित प्रविधान, बच्चों के डाटा का संग्रह, सार्वजनिक व्यवस्था के आसपास जोखिम मूल्यांकन, डाटा आडिटर की नियुक्ति आदि शामिल है।
हालांकि इलेक्ट्रानिक्स और आइटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि सरकार के लिए छूट केवल सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखना, आपात स्थिति, महामारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों जैसी विशेष परिस्थितियों में ही होगी। हालांकि, उद्योग निकाय ने डेटा को देश के बाहर भंडारित करने की अनुमति जैसे मुद्दों पर विधेयक का समर्थन किया है।
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