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कुशलता बढ़ने से प्रवासी भारतीय कामगार अब अधिक रकम भेज रहे हैं भारत, आठ फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान

भारतीय युवाओं की शिक्षा का स्तर व उनकी कुशलता बढ़ने से विदेश में रह रहे भारतीय कामगार अब पहले के मुकाबले अधिक विदेशी मुद्रा भारत भेज रहे हैं। कामगारों की तरफ से विदेश से राशि भेजने को रेमिटेंस भी कहा जाता है। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि चालू वर्ष 2024 में पिछले वर्ष 2023 के मुकाबले रेमिटेंस में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 30 Jan 2024 09:20 PM (IST)
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कुशलता बढ़ने से प्रवासी भारतीय कामगार अब अधिक रकम भेज रहे हैं भारत (फोटो, रॉयटर्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय युवाओं की शिक्षा का स्तर व उनकी कुशलता बढ़ने से विदेश में रह रहे भारतीय कामगार अब पहले के मुकाबले अधिक विदेशी मुद्रा भारत भेज रहे हैं। कामगारों की तरफ से विदेश से राशि भेजने को रेमिटेंस भी कहा जाता है। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि चालू वर्ष 2024 में पिछले वर्ष 2023 के मुकाबले रेमिटेंस में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।

वर्ष 2023 में इन कामगारों की तरफ से 125 अरब डॉलर भारत भेजे गए थे जो इस साल बढ़कर 135 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। व‌र्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में रेमिटेंस में 36 प्रतिशत हिस्सेदारी उच्च कुशल भारतीय प्रवासियों की थी जिनमें हाईटेक कामगारों का अधिक योगदान था।

रेमिटेंस में हो रही है बढ़ोतरी

रिपोर्ट के मुताबिक पहले की तुलना में अधिक कुशल व योग्य होने से भारतीय अब अमेरिका व ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में कुशल काम के लिए जा रहे हैं जिससे उनकी आय बढ़ रही है और रेमिटेंस में भी बढ़ोतरी हो रही है।

वाह्य ऋण अभी जीडीपी का 18.6 प्रतिशत

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का वाह्य ऋण चालू वित्त वर्ष में गत सितंबर तक 635.3 अरब डॉलर का था जिसका प्रबंधन आने वाले समय में आराम से किया जा सकता है। वाह्य ऋण अभी जीडीपी का 18.6 प्रतिशत है जबकि वर्ष 2013 मार्च में वाह्य ऋण जीडीपी का 22.4 प्रतिशत था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक सर्विस सेक्टर के निर्यात के बेहतर प्रदर्शन से चालू खाते के घाटे को सीमा में रखने में मदद मिली है।

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