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MSME और छोटे कारीगरों के लिए जिला स्तर पर ई-निर्यात प्लेटफॉर्म क‍िए जाएंगे स्थापित: डीजीएफटी

निर्यात प्रोत्साहन को लेकर ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) की तरफ से मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में सारंगी ने कहा कि अभी देश के निर्यात में सिर्फ 70 जिलों का योगदान है। 500 से अधिक जिलों को निर्यात से जोड़ने की तैयारी हो रही है।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Tue, 23 May 2023 09:53 PM (IST)
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एमएसएमई और छोटे-छोटे शिल्पकारों को आसानी से ई-निर्यात से जोड़ने की तैयारी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा है कि इस साल जिले स्तर पर ई-निर्यात प्लेटफार्म तैयार किए जाएंगे, ताकि एमएसएमई और छोटे-छोटे शिल्पकार आसानी से ई-निर्यात से जुड़ सकें।

निर्यात प्रोत्साहन को लेकर ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) की तरफ से मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में सारंगी ने कहा कि अभी देश के निर्यात में सिर्फ 70 जिलों का योगदान है। 500 से अधिक जिलों को निर्यात से जोड़ने की तैयारी हो रही है। हाल ही में घोषित विदेश व्यापार नीति में ई-निर्यात को लेकर अलग से विस्तृत नियम लाने व जिला निर्यात हब बनाने की घोषणा की गई है।

सारंगी ने बताया कि ई-निर्यात में भी निर्यातकों को निर्यात संबंधी सभी फायदा देने के लिए आरबीआई, सीमा शुल्क, राजस्व विभाग से विचार-विमर्श चल रहा है, ताकि ई-निर्यात के लिए पूरा इको-सिस्टम तैयार किया जा सके। अभी ई-निर्यात बिजनेस-टू-बिजनेस स्तर पर हो रहा है, जबकि नए नियम से उद्यमी सीधे विदेशी ग्राहकों को निर्यात कर सकेंगे और उन्हें सभी सुविधाएं भी मिलेगी।

उन्होंने कहा कि हैंडीक्राफ्ट्स, गारमेंट, आयुष उत्पाद, जेम्स व ज्वैलरी व फार्मा जैसे सेक्टर के लिए ई-निर्यात में काफी संभावनाएं हैं। टीपीसीआई के चेयरमैन मोहित स‍िंगला ने बताया कि उभरते हुए सेक्टर को निर्यात के लिए प्रोत्साहित करने से कुल निर्यात में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी।

कफ सीरप के बाद अन्य दवा के लिए भी आ सकता है क्वालिटी कंट्रोल

सारंगी ने बताया कि कफ सीरप के बाद अन्य दवा के लिए भी क्वालिटी कंट्रोल नियम लाया जा सकता है। हाल ही में कफ सीरप के लिए क्वालिटी कंट्रोल नियम लाया गया है और सभी कफ सीरप निर्माताओं को उस नियम का पालन करना होगा। अभी दवा निर्माता खुद ही अपनी दवा को सत्यापित करते हैं। भारतीय दवा से कुछ देशों में विपरीत असर पड़ने की भी खबरें पिछले कुछ सालों में आई है।