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अपनी जगह से खिसकता जा रहा है भारत! क्‍या है इसकी बड़ी वजह और जानें- यहां आने वाले Earthquakes से इसका संबंध

भारत और हिमालय के क्षेत्र में आने वाले भूकंपों की सबसे बड़ी वजह धरती के नीचे मौजूद प्‍लेट्स का खिसकना है। इनकी वजह से भारत की स्थिति भी बदल रही है। करोड़ों वर्षों से ये बदलाव जारी है और आगे भी जारी रहेगा।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 11:39 AM (IST)
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जब से धरती बनी है तब से अ‍ब तक इसमें कई तरह के बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं।
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। धरती के कई हिस्‍सों को भूकंप के हिसाब से बेहद संवेदनशील माना गया है। इसमें एक हिमालय का क्षेत्र भी है। दुनिया के किसी भी हिस्‍से में आने वाले भूकंप की सबसे बड़ी वजह वहां पर दो प्‍लेटों में होने वाली टक्‍कर और इनकी स्थिति में होने वाला बदलाव होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जमीन के अंदर होने वाली इस टककर से किसी परमाणु बम के बराबर ऊर्जा रिलीज होती है जो धरती के ऊपरी भाग में हलचल पैदा करती है और ये भूकंप के जरिए हम सभी के सामने आता है। इसको इस तरह से भी समझा जा सकता है कि किसी भी विस्‍फोट के बाद निकली शाक वेव्‍स आसपास हलचल पैदा कर देती है। ऐसे ही दो प्‍लेट्स की टक्‍कर भी करती है।

शुरुआत से अब तक हुए कई बदलाव

जब से धरती बनी है तब से अ‍ब तक इसमें कई तरह के बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं। इस धरती की शुरुआत में कुछ भी ऐसा नहीं था जैसा अब हमें दिखाई देता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि करोड़ों वर्ष पहले भारत भी इस जगह पर नहीं था जहां पर आज है। इसका अर्थ है कि भारत एशिया का हिस्‍सा ही नहीं था। वैज्ञानिकों की मानें तो भारत की स्थिति लगातार बदल रही है।इस लिहाज से ये कहना गलत नहीं है कि भविष्‍य में भारत की जगह में बदलाव हो जाएगा और ये खिसककर मध्‍य एशिया की तरफ या उससे भी आगे कहीं चला जाएगा।

पहले एशिया का हिस्‍सा नहीं था भारत 

भारत की स्थिति के बारे में वैज्ञानिकों का तर्क है कि भारत हर वर्ष करीब 47 मिलीमीटर खिसक कर मध्य एशिया की तरफ बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो करोड़ों साल पहले भारत एक बड़ा द्वीप हुआ करता था। करीब साढ़े पांच करोड़ वर्ष पहले इसकी टक्‍कर यूरेशिया टेक्टॉनिक प्लेट से हुई थी, जिसके चलते हिमालय का निर्माण हुआ। आपको बता दें कि इसी वजह से हिमालय को दुनिया की सबसे कम उम्र की पर्वत श्रृंखला कहा जाता है।

नार्थ पोल में बदलाव 

ये बदलाव केवल भारत की स्थिति में ही नहीं हो रहा है बल्कि नार्थ पोल में भी हो रहा है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि नार्थ पोल हर वर्ष 0-15 किमी की दूरी से अपनी स्थिति बदल रहा है। उत्‍तरी धुव्र की स्थिति 1990 में कनाडा के करीब थी जो 2020 में साइबेरिया के करीब हो गई है। नासा के वैज्ञानिक इस बदलाव को देखकर हैरान हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते 120 वर्षों में उत्‍तरी ध्रव करीब कई किलोमीटर की दूरी तय कर चुका है। वैज्ञानिकों के मुताबिक चुंबकीय ध्रुव में बदलाव काफी हैरान करने वाला है।

प्‍लेट्स बना रही एक दूसरे पर दबाव 

विभिन्‍न रिसर्च पेपर में इस बात की पुष्टि हुई है कि जमीन के अंदर यूरेशिया और इंडियन प्‍लेट्स लगातार एक दूसरे पर दबाव बना रही है। इंडियन प्‍लेट अब तक भी स्थिर नहीं है। इसका अर्थ है कि इसमें लगातार बदलाव हो रहा है। यही वजह है कि भविष्‍य में भारत की स्थिति बदल सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के गहराई में करीब 300 मीटर नीचे मिली काली मिट्टी किसी प्रागैतिहासिक झील का अवशेष है। इस क्षेत्र में आने वाले भूकंप में इसकी भूमिका काफी होती है। यही वजह है कि यहां पर बड़े भूकंप की आशंका भी हर वक्‍त लगी रहती है।

दबाव सहने की क्षमता कम 

वैज्ञानिकों की मानें तो यहां पर लगातार टक्कर से परतों के दबाव सहने की क्षमता भी कम हो रही है। इसलिए जब टकराव होता है तो ऊर्जा के बाहर निकलने पर भूकंप आता है। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा है। पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण को जोन 5 में रखा गया है जो बेहद संवेदनशील माना जाता है।

चीन का भूकंप 

चीन का शीशुआन प्रांत भी इसी क्षेत्र में आता है। यहां पर मई 2008 में आए भूकंप में 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। वैज्ञानिकों ने पाया है कि लद्दाख के सुदूर सिवनी क्षेत्र टेक्टोनिक रूप से सक्रिय है। भूवैज्ञानिकों के कहना है कि यहां की नदियों का ऊपरी हिस्सा उठ गया है और निचले हिस्से की चट्टानों में बदलाव दर्ज किया गया है। ये पहले के मुकाबले अब कमजोर हो गई हैं।

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