Economic Survey 2024: काम के लिए हुनर ही नहीं, अच्छी सेहत भी जरूरी; आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात पर जताई गई चिंता
आर्थिक सर्वेक्षण में यह चिंता भी सामने आई है कि इंटरनेट मीडिया स्क्रीन टाइम और सेहत के लिए खराब मानी जाने वाली खाद्य सामग्री का बड़ा खतरा मौजूद है जो लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ ही उनकी उत्पादकता पर बुरा असर डालने वाला है और इससे कुल मिलाकर देश की आर्थिक मजबूती पर असर पड़ने वाला है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुछ बुरी आदतें केवल कामकाजी लोगों की राह ही नहीं रोक रहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रही हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह चिंता भी सामने आई है कि इंटरनेट मीडिया, स्क्रीन टाइम और सेहत के लिए खराब मानी जाने वाली खाद्य सामग्री का बड़ा खतरा मौजूद है, जो लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ ही उनकी उत्पादकता पर बुरा असर डालने वाला है और इससे कुल मिलाकर देश की आर्थिक मजबूती पर असर पड़ने वाला है। इस संदर्भ में निजी क्षेत्र को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
आर्थिक सर्वेक्षण में क्या कहा गया है?
सर्वेक्षण में कहा गया है कि श्रम पर पूंजी को तरजीह देना दीर्घ काल के लिए कॉरपोरेट ग्रोथ सही नहीं होगा। यह निष्कर्ष इस लिहाज से अहम है, क्योंकि उद्यमियों और उद्योगपतियों ने मांग के अभाव का हवाला देकर निवेश करने के प्रति अनिच्छा प्रदर्शित की है।
कौशल के साथ हो अच्छी सेहत की भी चिंता
सर्वेक्षण के अनुसार देश की कामकाजी आबादी को अर्थपूर्ण रोजगार मिलने के लिहाज से यह जरूरी है कि वे कौशल के साथ-साथ अच्छी सेहत की भी चिंता करें। इस संदर्भ में भारतीयों में खाने की जैसी आदतें उभर रही हैं, वे न केवल अस्वास्थ्यकर हैं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी ठीक नहीं हैं।
भारत के व्यवसायों को दिखानी होगी समझदारी
भारत की जो परंपरागत खान-पान शैली और खाना है, उसने सदियों से यह साबित किया है कि वह सेहत के लिहाज से एकदम उपयुक्त है और प्रकृति के साथ भी तालमेल बिठाने वाला है। भारत के व्यवसायों को इस मामले में समझदारी दिखानी होगी कि वे भारतीय खान-पान शैली और खाने को अपनाएं। उनके लिए दुनिया का बाजार भी इंतजार कर रहा है।
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