Move to Jagran APP

Benglauru: चीनी स्वामित्व वाली कंपनी पर ED ने की बड़ी कार्रवाई, 8.26 करोड़ रुपये का फंड किया जब्त

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बेंगलुरु में चीनी स्वामित्व वाली शिक्षा कंपनी पिजन एजुकेशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड में छापा मारा है। ईडी ने कंपनी का 8.26 करोड़ रुपये मूल्य का फंड जब्त कर लिया है। इसने विदेश मुद्रा कानून का उल्लंघन किया था। (फाइल फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Fri, 19 May 2023 01:40 PM (IST)
Hero Image
चीनी स्वामित्व वाली कंपनी पर ED ने की बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली, पीटीआई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने बेंगलुरु में चीनी स्वामित्व वाली शिक्षा कंपनी पर छापा मारा है। ईडी ने कंपनी का 8.26 करोड़ रुपये मूल्य का फंड जब्त कर लिया है। कंपनी का पूर्ण स्वामित्व और नियंत्रण चीनी नागरिकों के पास है। ईडी के द्वारा की गई जांच में पता चला कि कंपनी ने विदेशी मुद्रा कानून का कथित उल्लंघन किया है।

फेमा के तहत फंड किया जब्त

पिजन एजुकेशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के फंड को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) की धारा 37ए के तहत जब्त कर लिया गया है। कंपनी ने "ओडाक्लास" ब्रांड नाम के तहत ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की है।

चीन और हांगकांग को लगाया 82.72 करोड़ रुपये का चूना

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अप्रैल में कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की थी। ईडी की जांच में खुलासा हुआ था कि यह कंपनी चीनी नागरिकों के 100 प्रतिशत स्वामित्व में है और वित्तीय निर्णयों सहित कंपनी के सभी मामलों को चीन में बैठे व्यक्तियों द्वारा लिया जा रहा है। वहीं, एजेंसी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने चीन के निदेशक लियू कैन के निर्देश पर विज्ञापन और मार्केटिंग खर्च के नाम पर चीन और हांगकांग को 82.72 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

यह भी पढ़ें-तीन दिन से Twitter पर क्यों ट्रेंड कर रही टीना डाबी? निकाह के बाद तलाक और फिर दूसरी शादी से चर्चा में आई थीं

चीनी निदेशक के निर्देशों पर हुआ भुगतान

ईडी ने बताया कि कंपनी अपनी ओर से सेवा प्राप्ति का कोई सबूत और उक्त खर्च के खिलाफ प्रकाशित किसी विज्ञापन का सबूत पेश नहीं कर सकी। ईडी ने कहा कि कंपनी के निदेशक और लेखा प्रबंधक ने जांच के दौरान स्वीकार किया कि कैन के निर्देश पर ही भुगतान किया गया था। कंपनी के भारतीय निदेशक वेदांत हमीरवासिया ने कहा कि चीनी निदेशक ने उन्हें बताया कि विज्ञापन गूगल और फेसबुक के माध्यम से प्रकाशित किए गए थे। हालांकि, इन प्लेटफार्मों द्वारा कोई पुष्टि या चालान नहीं किया गया।

यह भी पढ़ें- सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन को बनाया गया सुप्रीम कोर्ट का जज, कई हाई प्रोफाइल मामलों में कर चुके हैं पैरवी